May 2, 2024 : 7:49 PM
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यूएन में पीएम मोदी का भाषण कैसा था? चीन को लेकर उठे सवाल

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपना भाषण दिया. उनके भाषण की समीक्षा की जा रही है. कई लोग तारीफ़ कर रहे हैं तो कई लोग विषय वस्तु को लेकर आलोचना कर रहे हैं.

इस भाषण में पीएम मोदी ने लोकतंत्र से लेकर आतंकवाद, अफ़ग़ानिस्तान और कोरोना वायरस वैक्सीन तक पर अपने विचार व्यक्त किए.

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र की 76वीं आम सभा को संबोधित करते हुए भारत का नाम लेते हुए हमला बोला था. लेकिन पीएम ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना निशाना साधा.

उन्होंने इस दौरान पाकिस्तान का सीधे-सीधे नाम नहीं लिया लेकिन उन्होंने ये ज़रूर कहा कि “पीछे ले जाने वाली सोच के साथ जो देश आतंकवाद का इस्तेमाल राजनीतिक उपकरण के तौर पर कर रहे हैं, उन्हें ये समझना होगा कि आतंकवाद उनके लिए भी उतना ही बड़ा ख़तरा है. ये तय करना बहुत ज़रूरी है कि अफ़ग़ानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने और आतंकी हमलों के लिए ना हो.”प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संयुक्त राष्ट्र में दिए गए भाषण की पाकिस्तान में कोई निंदा कर रहा है तो भारत में कोई तारीफ़ और आलोचना दोनों कर रहा है.पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख़ रशीद ने तो उनके भाषण की निंदा करते हुए कह दिया है कि भारतीय प्रधानमंत्री को अपने देश में अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार पर ध्यान देना चाहिए.

एपी के लेख में है कि पीएम मोदी ने अपने भाषण में सीधे-सीधे पाकिस्तान या चीन का नाम नहीं लिया लेकिन उनके भाषण का लक्ष्य साफ़ था.

20 मिनट के हिंदी में दिए अपने भाषण में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों की मदद करने को कहा.

पीएम मोदी ने सीधे पाकिस्तान का नाम नहीं लिया लेकिन उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई देश अपने स्वार्थ के लिए इस स्थिति का लाभ न उठा पाए.

भारत को चिंता रही है कि अफ़ग़ानिस्तान की ज़मीन को पाकिस्तान भारत विरोधी चरमपंथी समूहों के लिए इस्तेमाल कर सकता है और इससे कश्मीर जैसे विवादित क्षेत्र में संघर्ष को बढ़ावा दे सकता है.

इमरान ख़ान ने अपने भाषण में कश्मीर का ख़ूब ज़िक्र किया और वहाँ होने वाले कथित अत्याचार का मुद्दा उठाया. हालांकि, पीएम मोदी ने अपने भाषण में कश्मीर का कोई उल्लेख नहीं किया.

पीएम मोदी ने चीन का सीधे नाम नहीं लिया लेकिन उन्होंने समुद्र की सुरक्षा और ‘विस्तारवाद और क़ब्ज़े’ की नीति का उल्लेख ज़रूर किया. इस बात को चीन के भारत-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते प्रभुत्व से जोड़कर देखा जा रहा है.

संयुक्त राष्ट्र महासभा में पीएम मोदी ने यह भाषण क्वॉड की बैठक के अगले दिन दिया है. क्वॉड की बैठक के दौरान भी चीन का नाम नहीं लिया गया था. माना जाता है कि इस समूह को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते चीन के दबदबे को कम करने के लिए बनाया गया है.

क्वॉड के सबसे ताक़तवर देश अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने संयुक्त राष्ट्र महासभा के भाषण में भी चीन का ज़िक्र नहीं किया था. अमेरिका की ओर से किसी भी स्तर पर चीन का नाम न लिए जाने को सुरक्षा विश्लेषक ब्रह्मा चेलानी अलग तरीक़े से देखते हैं.

उन्होंने ट्वीट करके कहा है कि अमेरिका ने चीन का नाम इसलिए नहीं लिया क्योंकि वो उसके साथ तनाव को कम करना चाहता है.

उन्होंने लिखा, “संयुक्त राष्ट्र के भाषण में ‘चीन’ शब्द न बोलकर बाइडन चीन के साथ तनाव कम करने के लिए असाधारण दूरी नाप रहे हैं. बाइडन ने एक सौदे के ज़रिए बीजिंग के साथ संबंधों में आई अड़चन को दूर किया है. जिस दिन उन्होंने क्वॉड सम्मेलन की मेज़बानी की थी, उन्होंने ख़्वावे के संस्थापक की बेटी को चीन जाने की अनुमति दे दी थी.”

भाषण की तारीफ़ भी कर रहे हैं लोग

संयुक्त राष्ट्र महासभा में पीएम मोदी के भाषण की सोशल मीडिया पर एक वर्ग ख़ूब प्रशंसा कर रहा है तो वहीं एक दूसरा वर्ग उसकी आलोचना कर रहा है.

लेकिन, कुछ ऐसे राजनयिक भी हैं जो पीएम मोदी के भाषण को बहुत संतुलित बता रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने समाचार चैनल एनडीटीवी से कहा कि संयुक्त राष्ट्र एक वैश्विक मंच है, जहाँ पर आप विश्व से जुड़े मामलों की ओर ध्यान दिलाते हैं. अगर वहाँ पर भी कोई ऐसा होता है, जो सिर्फ़ एक मुद्दे पर ही अपनी बात कहता चला जाता है तो वो दशकों तक बोलता रहे उससे कोई नहीं सुनेगा.

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