गुजरात की राजधानी गांधीनगर के रेलवे स्टेशन का आधुनिकीकरण और उसके ऊपर एक पाँच सितारा होटल. ये है भारत के रेलवे स्टेशनों के भविष्य की एक झलक.
पिछले साल इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी दिखाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि देश के बड़े रेलवे स्टेशन हवाई अड्डों की तरह होने चाहिए. उन्होंने कहा था, “21वीं सदी के भारत की आवश्यकताओं को 20वीं सदी के तरीक़ों से पूरा नहीं किया जा सकता, इसलिए रेलवे में सुधार की ज़रूरत है.”
मोदी सरकार ने विश्व स्तरीय यात्री सुविधाएँ प्रदान करने और उन्हें आर्थिक विकास का केंद्र बनाने के उद्देश्य से रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास परियोजना की शुरुआत की है. निकट भविष्य में ट्रेन स्टेशनों के ऊपर और अंदर होटल, मॉल, कैफ़े और रेस्टोरेंट्स होंगे, ठीक उसी तरह से जैसे हवाई अड्डों में होते हैं.
इस आधुनिक पुनर्विकास के इस चार-वर्षीय प्रोजेक्ट के लिए देश के 400 रेलवे स्टेशनों को चुना गया है. और अगर सरकार अपनी योजनाओं को अमली जामा पहनाने में कामियाब रही, तो 90 मुसाफ़़िर ट्रेनों का भी पुनर्विकास होगा, जिन्हें निजी कंपनियाँ चलाया करेंगी.
दरअसल रेलवे की ये योजनाएँ मोदी सरकार की राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) का एक अहम हिस्सा हैं, जिसके अंतर्गत सरकार अपनी संपत्तियों को 25 सालों के लिए निजी कंपनियों के हवाले करने जा रही है.
इसे संपत्ति मुद्रीकरण या एसेट मोनेटाइज़ेशन कहते हैं. केंद्र सरकार के अनुसार, एनएमपी का उद्देश्य विभिन्न ब्राउनफ़ील्ड इंफ़्रास्ट्रक्चर संपत्तियों के एसेट्स के मुद्रीकरण के लिए एक आवश्यक रोडमैप के रूप में कार्य करना है. रेलवे के अलावा, सड़क, नौवहन, विमान, बिजली, दूरसंचार, तेल और गैस, स्टेडियम और गोदाम जैसे क्षेत्र में सरकारी संपत्तियों को 25 सालों के लिए पट्टे पर दिया जाएगा.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का दावा है कि एनएमपी योजनाओं से सरकार को 6 लाख करोड़ रुपए की कमाई होगी. 23 अगस्त की घोषणा से पहले उन्होंने इसका विस्तार से ज़िक्र 2021-2022 के बजट में भी किया था.
इस पर वर्ष 2022 से अमल किया जाएगा और 2025 में इसकी समाप्ति होगी.