May 4, 2024 : 8:00 AM
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MP में OBC आरक्षण पर ‘सरकार’ की बैठक खत्म:पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद व SC के वरिष्ठ वकील तुषार मेहता करेंगे पैरवी; 1 सितंबर को अंतिम सुनवाई कर फैसला देने के लिए आवेदन देगी सरकार

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मध्य प्रदेश2 घंटे पहले

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मध्य प्रदेश में OBC आरक्षण को लेकर मंत्रालय में चल रही बैठक खत्म हो गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई बैठक में तय किया गया, हाईकोर्ट में राज्य सरकार का पक्ष रखने के लिए पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील तुषार मेहता को बुलाएंगे। हाईकोर्ट में 1 सितंबर को होने वाली सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से प्रकरण की अंतिम सुनवाई कर फैसला करने का आवेदन दिया जाएगा।

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ने बताया, बैठक 3 घंटे चली। इसमें इस रणनीति पर मंथन किया गया कि किस तरह प्रदेश में 27% ओबीसी आरक्षण देना सुनिश्चित किया जाए। बैठक में तय हुआ है, आरक्षण के संबंध में न्यायालय में होने वाली अगली सुनवाई में देश के दिग्गज वकीलों की सेवाएं ली जाएंगी। सुनवाई में स्वयं एडवोकेट जनरल न्यायालय से आग्रह करेंगे कि इसी सुनवाई को अंतिम मानकर पिछड़ा वर्ग के हित में 27% आरक्षण को मंजूरी दी जाए।

मंत्रालय में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ बैठक में मंत्री-विधायक।

मंत्रालय में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ बैठक में मंत्री-विधायक।

बैठक में मंत्री कमल पटेल, मोहन यादव, इंदर सिंह परमार व रामखेलावन पटेल, बीजेपी पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भगत सिंह कुश्वाहा, विधायक कृष्णा गौर, प्रदीप पटेल और एडवोकेट जनरल पुरुषेन्द्र कौरव मौजूद रहे।

एडवोकेट जनरल ने कोर्ट में कहा था – PSC में ओबीसी को 14% आरक्षण ही दिया जाए

नगरीय विकास मंत्री ने कहा, कमलनाथ सरकार ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के समय ओबीसी वर्ग को आरक्षण देने का नाटक किया था, जबकि उस सरकार के ही एडवोकेट जनरल ने कोर्ट में कहा कि राज्य सरकार PSC में ओबीसी वर्ग के लिए 14% आरक्षण ही चाहती है। ऐसे में 13% आरक्षण पर रोक लगाई जाए। इसके बाद एक साल तक कमलनाथ सरकार ने इस विषय पर कोर्ट में अपना पक्ष ही नहीं रखा। यहां तक कि उस सरकार की तरफ से कोई वकील भी इस विषय पर कोर्ट में पेश नहीं हुआ।

कमलनाथ सरकार ने पिछड़ा वर्ग को धोखे में रखा

भूपेंद्र सिंह ने कहा कि शिवराज सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल में पिछड़ा वर्ग को 14% आरक्षण देने के अलावा सरकारी नौकरी में मेरिट आधार पर अलग से लाभ दिया था। लेकिन कमलनाथ सरकार के दौरान कैबिनेट ने इस अतिरिक्त लाभ को बंद करने का निर्णय लिया था। सूत्रों ने बताया कि इस मुद्दे को लेकर बैठक में लंबी चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मुद्दे को जनता के बीच में लेकर जाएं। बताएं- किस तरह से कमलनाथ सरकार ने ओबीसी वर्ग को पूर्व की शिवराज सरकार द्वारा मैरिट के आधार पर दिए गए लाभ को रोका। भाजपा अब इसे बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी करेगी।

सीएम हाउस में हो चुकी है बैठक

पिछड़ा वर्ग को 27 % आरक्षण के मुद्दे पर विधानसभा सत्र से पहले सीएम हाउस में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की इस वर्ग के नेताओं के साथ अहम बैठक हो चुकी है। उसमें बीजेपी के पिछड़ा वर्ग के मंत्री, विधायक, सांसद और पिछड़ा वर्ग मोर्चा के पदाधिकारी शामिल हुए थे। सीएम हाउस में हुई बैठक में प्रदेश सरकार के महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव भी मौजूद थे। तब बैठक में ओबीसी वर्ग के नेताओं को 27% अरक्षण के लीगल पहलुओं से अवगत कराया गया था।

क्या है मामला
2019 में तत्कालीन कमलनाथ सरकार पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण देने का विधेयक लेकर आई थी, लेकिन फैसले पर तत्काल ही हाईकोर्ट ने स्टे लगा दिया था। इसके बाद प्रदेश में ओबीसी को 14% आरक्षण ही दिया जा रहा है। हाल ही में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने ओबीसी को 27% आरक्षण ना मिल पाने के लिए मौजूदा शिवराज सरकार को घेरा था।

कांग्रेस की ओर से आरोप लगाया गया कि सरकार आरक्षण पर कोर्ट में ठीक तरह से पक्ष नहीं रख रही है। इसी का काउंटर करने के लिए बीजेपी एक्टिव हुई। अब बीजेपी की ओर से ये आरोप लगाया जा रहा है कि कांग्रेस आरक्षण का विधेयक सिर्फ वोट बैंक के लिए लेकर आई थी। खुद सीएम शिवराज ने मंगलवार को कहा था कि कमलनाथ सरकार ने कोर्ट में समय पर जवाब पेश नहीं किया था, इसलिए उस पर कोर्ट ने स्टे लगा दिया था।

हाईकोर्ट 1 सितंबर को करेगा सुनवाई

बता दें कि मंगलवार को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने OBC वर्ग को 27% आरक्षण देने के मामले को लेकर सुनवाई की। हाईकोर्ट ने OBC आरक्षण के संबंध में सरकार के आदेश पर रोक बरकरार रखी है। 1 सितंबर को मामले की अगली सुनवाई होगी।

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