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- The Central Government Told The Company The Situation Of Every Country Is Different, It Is Necessary To Change The Language Of The Agreement
न्यूयॉर्कएक मिनट पहलेलेखक: मोहम्मद अली
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सरकार ने एफडीए से पूछा, मॉडर्ना-फाइजर को क्या छूट दी है।
मॉडर्ना और फाइजर की कोरोना वैक्सीन का इंतजार अभी और लंबा होना तय है। इन्डेम्निटी बॉन्ड समेत कई मुद्दों पर दोनों कंपनियों से चल रही बातचीत के बीच अब केंद्र सरकार ने अमेरिकी नियामक FDA को चिट्ठी लिखी है। इसमें पूछा गया है कि वहां मॉडर्ना और फाइजर को कैसी छूट दी जा रही है। इसके साथ ही सरकार ने चिट्ठी में छूट के लिए अपनी शर्तों के बारे में भी बताया है।
भास्कर की पड़ताल में यह सामने आया है कि भारत सरकार न सिर्फ अन्य देशों के मॉडर्ना और फाइजर से हुए एग्रीमेंट देख रही है, बल्कि मौजूदा ड्राफ्ट एग्रीमेंट की भाषा भी बदलना चाहती है। इसी बात पर कंपनी से सहमति होना अभी बाकी है। कंपनी सूत्रों के मुताबिक, भारत सरकार एग्रीमेंट में कुछ शब्दों को बदलना चाहती है। कंपनी इस पर अभी विचार कर रही है।
भारत सरकार का तर्क है कि हर देश की परिस्थिति अलग है। अत: इन शब्दों में बदलाव से भारत की परिस्थिति के हिसाब से एग्रीमेंट ज्यादा प्रभावी होगा। खास बात ये है कि एग्रीमेंट में बदलाव पर दोनों पक्ष सहमत हो भी जाते हैं तो यह सिर्फ अमेरिकी सरकार की ओर से मिलने वाली करीब 1 करोड़ मुफ्त वैक्सीन की खेप के लिए होगा। मॉडर्ना के अधिकारी का कहना है कि कंपनी के पास वैक्सीन के हजारों करोड़ डोज के ऑर्डर बुक हैं।
2022 से पहले कमर्शियल सप्लाई संभव नहीं
ऐसे में व्यावसायिक रूप से भारत में वैक्सीन 2022 से पहले नहीं भेजी जा सकेगी। एग्रीमेंट में समय लगने से मुफ्त वैक्सीन की खेप भी सितंबर के बाद ही पहुंचने की उम्मीद है। केंद्र सरकार ने संसद में बताया है कि भारतीय कंपनी सिप्ला को इमरजेंसी यूज प्रोटोकॉल के तहत मॉडर्ना वैक्सीन के आयात का लाइसेंस दिया जा चुका है। मगर मॉडर्ना का कहना है कि अभी कई शर्तों पर रुख तय होना बाकी है। इन्डेम्निटी बॉन्ड पर कुछ सहमति बनी है।
क्या है इन्डेम्निटी बॉन्ड?
- इन्डेम्निटी बॉन्ड वह समझौता है जिससे वैक्सीनेशन के बाद किसी प्रतिकूल साइड इफेक्ट की स्थिति में कंपनी पर भारत में मुकदमा नहीं चल पाएगा। कंपनी ने इसके अलावा प्राइस कैपिंग और बेसिक कस्टम ड्यूटी से छूट मांगी है। इसके यह मायने हैं कि कि कंपनी भारत में बाजार की मांग के अनुरूप दाम तय करेगी। कंपनी ने ब्रिज ट्रायल से भी छूट मांगी है।
- इसके तहत कंपनी को भारतीय परिवेश में वैक्सीन की प्रभावशीलता जांचने के लिए देश में सीमित ट्रायल करने होते हैं। उधर, फाइजर ने कहा है कि जब तक भारत सरकार से डील फाइनल नहीं होती, तब तक कंपनी आवेदन नहीं करेगी। इन्डेम्निटी बॉन्ड पर सैद्धांतिक सहमति बन चुकी है। अगले कुछ हफ्तों में डील की शर्तें तय हो सकती हैं।