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आज का इतिहास:ब्रिटेन की संसद में पास हुआ भारत की आजादी का एक्ट, इसके 28 दिन बाद 200 साल की गुलामी से मिली देश को मुक्ति

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एक घंटा पहले

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आज ही के दिन 1947 में ब्रिटिश पार्लियामेंट ने ‘इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट’ को पास किया था। इसी एक्ट में भारत को आजाद करने और एक नए देश पाकिस्तान को बनाने का जिक्र था। इस एक्ट के पास होने के 28 दिन बाद 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हो गया।

ट्रेड के लिए आए अंग्रेज व्यापारी मुगल साम्राज्य की कमजोरियों का फायदा उठाकर सत्ता में आ गए थे। भारत का शासन सीधे ब्रिटेन के हाथों में चला गया था। 1857 में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को क्रूर तरीके से कुचल दिया गया। हालांकि 1900 के बाद ये आंदोलन फिर से मजबूत होने लगा था।

गांधी जी दक्षिण अफ्रीका से लौटे और अपनी अहिंसा की नीति के जरिए भारत की आजादी की मांग जोर-शोर से रखने लगे। कांग्रेस भी एक बड़ी राजनीतिक पार्टी बन चुकी थी। सत्ता में उसका दखल भी बढ़ रहा था। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद ब्रिटेन भी कमजोर हो गया था।

20 फरवरी 1947 को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने घोषणा की कि ब्रिटेन भारत को आजाद कर देगा। ये भारत में बढ़ते असंतोष और ब्रिटेन की कमजोर होती स्थिति का नतीजा था। एटली ने भारत की आजादी का प्लान बनाने की जिम्मेदारी लॉर्ड माउंटबेटन को दी। माउंटबेटन भारत आए और अपने काम में जुट गए।

भारत आने पर लॉर्ड माउंटबेटन का स्वागत करने एयरपोर्ट पहुंचे लियाकत अली खान और नेहरू। विभाजन के बाद लियाकत अली खान पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने और जवाहरलाल नेहरू भारत के।

भारत आने पर लॉर्ड माउंटबेटन का स्वागत करने एयरपोर्ट पहुंचे लियाकत अली खान और नेहरू। विभाजन के बाद लियाकत अली खान पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने और जवाहरलाल नेहरू भारत के।

उन्होंने सबसे पहले एक डिकी बर्ड प्लान बनाया जिसे भारतीयों ने रिजेक्ट कर दिया। उसके बाद माउंटबेटन ने एक और प्लान बनाया जिसे 3 जून प्लान भी कहा जाता है। इसमें कहा गया कि भारत आजाद तो होगा, लेकिन साथ ही एक नया देश पाकिस्तान भी बनेगा।

इस प्लान में रियासतों को ये सुविधा दी गई कि वे भारत या पाकिस्तान किसी के साथ भी मिल सकती हैं। 3 जुलाई 1947 को ब्रिटिश पार्लियामेंट में प्लान को पेश किया गया और नाम दिया गया ‘द इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट’। 18 जुलाई 1947 को ब्रिटिश पार्लियामेंट ने इस बिल को पास कर दिया।

इसी के साथ भारत की आजादी का रास्ता भी साफ हो गया। 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान बना और उसके एक दिन बाद भारत आजाद हुआ।

1925: हिटलर की आत्मकथा ‘माइन काम्फ’ का पहला संस्करण छपा

नाजी तानाशाह एडोल्फ हिटलर ने आज ही के दिन अपनी आत्मकथा माइन काम्फ के पहले संस्करण को पब्लिश किया था। पहले साल इस किताब की कुल 9,473 प्रतियां बिकीं। हिटलर ने ये किताब जेल में सजा काटने के दौरान लिखी थी।

1923 में हिटलर बीयर हॉल में तख्तापलट की नाकामयाब कोशिश के बाद कैद कर लिया गया था। देशद्रोह के आरोप में हिटलर को 5 साल की सजा सुनाई गई। उसे म्यूनिख की जेल में डाल दिया गया। इसी जेल में उसने अपनी आत्मकथा लिखी थी।

आत्मकथा में हिटलर ने अपने नस्लीय और यहूदी विरोधी विचारों को दुनिया के सामने रखा। माइन काम्फ के पहले संस्करण का नाम ‘अ रेकनिंग’ था। इस किताब में हिटलर ने जर्मनी को आगे बढ़ने से रोक रही समस्याओं का जिक्र किया था।

'माइन काम्फ' पर ऑटोग्राफ देते हुए हिटलर।

‘माइन काम्फ’ पर ऑटोग्राफ देते हुए हिटलर।

उसने कहा कि यहूदियों की वजह से जर्मनी विश्व शक्ति नहीं बन पा रहा है। जर्मन लोग बेहतर नस्ल के हैं और उन लोगों के बीच यहूदी एक परजीवी की तरह हैं। उसने जर्मनी की हार का बदला लेने के लिए भी लोगों को उकसाया।

जेल से रिहा होने के बाद हिटलर ने दोबारा जर्मनी में लोकप्रियता हासिल की।1932 में हिटलर ने राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा, लेकिन हार गया। अगले साल वो जर्मनी का चांसलर बनने में कामयाब रहा। चांसलर बनते ही हिटलर की तानाशाही प्रवृत्ति लोगों के सामने आ गई। उसने साम्यवादी पार्टी को अवैध घोषित कर दिया और यहूदियों का नरसंहार शुरू कर दिया। तत्कालीन राष्ट्रपति की मृत्यु के बाद हिटलर ने खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया।

अभी तक हिटलर की आत्मकथा की कोई खास बिक्री नहीं हुई थी, लेकिन हिटलर के सत्ता में आने के बाद ही ये किताब खूब बिकी और प्रमुख नाजी किताब बन गई। हर जर्मन अफसर के घर पर इस किताब की एक कॉपी जरूर होती थी।

हिटलर चाहता था कि पूरे जर्मनी के लोग इस किताब को पढ़ें, इसलिए उसने सरकारी अधिकारियों को आदेश दिया कि वे हर नए शादीशुदा जोड़ों के बारे में पता लगाएं और उन्हें इस किताब की एक प्रति गिफ्ट करें।

1968: इंटेल कॉर्पोरेशन की शुरुआत

सेमीकंडक्टर सर्किट बनाने के लिए पूरी दुनिया में मशहूर इंटेल कंपनी की आज शुरुआत हुई थी। आज ही के दिन 1968 में अमेरिकी इंजीनियर रॉबर्ट नोयस और गॉर्डन मूर ने इंटेल कॉर्पोरेशन की स्थापना की थी। रॉबर्ट नोयस और गॉर्डन मूर दोनों ही बेहद सफल इंजीनियर थे। 1957 में दोनों फेयरचाइल्ड सेमीकंडक्टर्स नाम की एक कंपनी के फाउंडिंग मेंबर थे। सेमीकंडक्टर बनाने के लिए ये कंपनी बेहद मशहूर थी।

इस कंपनी में काम करते हुए दोनों को एक परेशानी थी। दरअसल फेयरचाइल्ड का मेन बिजनेस कैमरा और दूसरे इंस्ट्रूमेंट्स बनाने का था। दोनों को लगने लगा था कि कंपनी सेमीकंडक्टर से कमा तो रही है, लेकिन इस फील्ड में रिसर्च पर कम पैसा खर्च कर रही है।

रॉबर्ट नोयस और गॉर्डन मूर।

रॉबर्ट नोयस और गॉर्डन मूर।

दोनों ने कंपनी छोड़ दी और नई कंपनी बनाई – इंटेल कॉर्पोरेशन। एक दर्जन इंजीनियर को साथ लेकर कंपनी ने 1 अगस्त से अपना कामकाज शुरू किया। आज इंटेल को सेमीकंडक्टर मार्केट की किंग कंपनी कहा जाता है। कंपनी के बनाए सेमीकंडक्टर सर्किट लगभग हर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में इस्तेमाल किए जाते हैं।

18 जुलाई को इतिहास में इन महत्वपूर्ण घटनाओं की वजह से भी याद किया जाता है…

1980: पूर्ण रूप से भारत में निर्मित उपग्रह ‘रोहिणी-1’ पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया।

1976: ओलिंपिक खेलों में पहली बार किसी जिम्नास्ट को परफेक्ट-10 स्कोर मिला। रोमानिया की जिम्नास्ट नादिया कोमानेसी को 10 में से 10 अंक दिए गए।

1957: बॉम्बे यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई।

1918: दक्षिण अफ्रीका के ‘मदीबा’ पुकारे जाने वाले नेल्सन मंडेला का जन्म हुआ।

1914: गांधी जी ने भारत लौटने के इरादे से दक्षिण अफ्रीका छोड़ा।

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