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4 घंटे पहले
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म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद आम लोगों पर हमले और हिंसा की घटनाएं बढ़ गई हैं। इसके खिलाफ आम जनता की नाराजगी बढ़ती जा रही है। सेना लोगों पर अत्याचार कर रही है, जिसके विरोध में कई इलाकों में लोगों ने हथियार उठा लिए हैं। अब यहां धीरे-धीरे गृह युद्ध का खतरा बढ़ता जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र (UN) में मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाचेलेत ने यह चेतावनी दी है।
6 महीने पहले हुआ तख्तापलट, अब तक करीब 900 लोग मारे गए
म्यांमार में सेना ने 1 फरवरी की आधी रात तख्तापलट कर दिया था। वहां की लोकप्रिय नेता और स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन मिंट समेत कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद से ही पूरे देश में सेना के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं।
सेना सड़कों पर उतरे लोगों पर बल प्रयोग कर रही है। बाचेलेत ने कहा कि यहां तख्तापलट के बाद हुई हिंसा में करीब 900 लोग मारे गए हैं। करीब 2 लाख लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं। देश के सीमावर्ती इलाकों में लंबे समय से चल रहा संघर्ष तेज हो गया है। काचिन, कायिन और उत्तरी शान राज्यों में फिर हिंसा भड़क गई है। चिन और काया राज्यों में कई सालों से शांति थी, लेकिन यहां भी लोगों ने हथियार उठा लिए हैं।
दूसरे देशों को म्यांमार की सेना पर दबाव बनाने की मांग
बाचेलेत ने अपील की है कि दूसरे देश म्यांमार की सेना पर दबाव बनाएं, ताकि लोगों पर हो रहे हमले रोके जा सकें। उन्होंने कहा कि दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (ASEAN) ने अप्रैल में म्यांमार को लेकर रोड मैप तैयार किया था। ASEAN देशों के बीच बनी सहमति अहम है लेकिन इस पर जल्द कदम उठाने की जरूरत है।
तख्तापलट क्यों हुआ?
- दरअसल नवंबर, 2020 में म्यांमार में आम चुनाव हुए थे। इनमें आंग सान सू की पार्टी ने दोनों सदनों में 396 सीटें जीती थीं। उनकी पार्टी ने लोअर हाउस की 330 में से 258 और अपर हाउस की 168 में से 138 सीटें जीतीं।
- म्यांमार की मुख्य विपक्षी पार्टी यूनियन सॉलिडैरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी ने दोनों सदनों में मात्र 33 सीटें ही जीतीं। इस पार्टी को सेना का समर्थन हासिल था। इस पार्टी के नेता थान हिते हैं, जो सेना में ब्रिगेडियर जनरल रह चुके हैं।
- नतीजे आने के बाद वहां की सेना ने इस पर सवाल खड़े कर दिए। सेना ने चुनाव में सू की की पार्टी पर धांधली करने का आरोप लगाया। इसे लेकर सेना ने सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति और चुनाव आयोग की शिकायत भी की।
- चुनाव नतीजों के बाद से ही लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार और वहां की सेना के बीच मतभेद शुरू हो गया। अब म्यांमार की सत्ता पूरी तरह से सेना के हाथ में आ गई है। तख्तापलट के बाद वहां सेना ने 1 साल के लिए इमरजेंसी का भी ऐलान कर दिया है।