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- On This Day On The 9th Of Halahari Amavasya, Happiness And Prosperity Increases By Worshiping The Plow And Planting Trees.
3 घंटे पहले
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- इस दिन न तो खेत जोते जाते और न ही फसलों की बुआई होती है, बैलों को भी चरने के लिए खुला छोड़ देते हैं
आषाढ़ महीने की अमावस्या 9 जुलाई को है। इसे हलहारिणी अमावस्या भी कहते हैं, क्योंकि बारिश के मौसम की शुरुआत के साथ इस दिन पेड़-पौधे लगाए जाते हैं और हल की पूजा की जाती है। इस दिन खेत नहीं जोते जाते और न ही फसलों की बुआई की जाती है। इस पर्व पर परिवार की समृद्धि के लिए भगवान विष्णु के साथ ही हल और खेती में इस्तेमाल होने वाले औजारों की पूजा करने की परंपरा है।
हलहारिणी अमावस्या क्यों
इस अमावस्या पर बेलों से काम नहीं लिया जाता है। उन्हें पेड़-पौधे और घास चरने के लिए दिनभर खुला छोड़ दिया जाता है। साथ ही हल की पूजा भी की जाती है। पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि चंद्रमा अमृत का कारक ग्रह है और अमावस्या के दिन चंद्रमा का औषधीय प्रभाव घास और पेड़-पौधों पर होता है। जिन्हें खा कर बैल की ताकत और उम्र बढ़ती है। जिससे लंबे समय तक खेती की जा सकती है।
पेड़-पौधे लगाने से पुण्य
इस दिन पीपल, बड़ नीम आंवला अशोक तुलसी बिल्वपत्र और अन्य पेड़-पौधे लगाने की परंपरा है। ऐसा इसलिए क्योकि बारिश का मौसम होता है। जिससे पेड़-पौधे मुरझाते नहीं और जल्दी बड़े होते हैं। ग्रंथों में भी कहा गया है कि अमावस्या पर लगाए गए पेड़-पौधों से पितर और देवता प्रसन्न होते हैं। साथ ही कभी न खत्म होने वाला पुण्य भी मिलता है। इससे कई तरह के दोष भी खत्म होते हैं।
तिथि दूसरे दिन तक, इसलिए शनैश्चरी अमावस्या भी
डॉ. मिश्र बताते हैं कि अमावस्या तिथि 9 जुलाई को सूर्योदय से पहले ही शुरू हो जाएगी। जो 10 जुलाई को सुबह तकरीबन 7 बजे तक रहेगी। इस दिन 5.45 पर ही सूर्योदय हो जाएगा, इसलिए उस दिन शनैश्चरी अमावस्या भी कहलाएगी। इसलिए इस दिन स्नान-दान करने से कई गुना पुण्य मिलेगा। पितृदोष, कालसर्प दोष की शांति के लिए, बाधाओं के निवारण के लिए यह अमावस्या बहुत श्रेष्ठ है।
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