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मिस्र में पहली बार मुखर हुईं महिलाएं:जिन सरकारी अधिकारियों पर सुरक्षा का जिम्मा, वे ही जांच के बहाने करते हैं यौन उत्पीड़न

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7 घंटे पहलेलेखक: माेना एल-नाग्गर, यूसुफ अल-हलोऊ और अलिजा ऑफ्रिच्टिग

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पुलिस स्टेशन से लेकर जेल और सरकारी अस्पताल सब जगह महिलाओं के लिए असुरक्षित। - Dainik Bhaskar

पुलिस स्टेशन से लेकर जेल और सरकारी अस्पताल सब जगह महिलाओं के लिए असुरक्षित।

29 साल की अस्मा अब्देल हामिद काहिरा में सबवे का किराया बढ़ाने के खिलाफ प्रदर्शन करने पर गिरफ्तार की गई थीं। उनका तीन जगह यौन उत्पीड़न हुआ। पहली बार पुलिस कस्टडी में, दूसरी बार सरकारी अस्पताल और तीसरी बार जेल में। तीनों बार उन्हें पूरे कपड़े हटाने पर मजबूर किया गया। 2018 में गिरफ्तार अब्देल पर आतंकी संगठन से जुड़ने और सार्वजनिक परिवहन में बाधा पहुंचाने का अपराध दर्ज किया गया।

मिस्र में ऐसी एक नहीं, सैकड़ों महिलाएं हैं, जिन्हें सरकार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए गिरफ्तार किया गया था या वे अधिकारियों के पास अपने साथ हुए अपराध की शिकायत करने गई थीं। इसके बाद वे यौन उत्पीड़न की शिकार हो गईं। वे कहती हैं, उन्हीं लोगों ने उनकी इज्जत के साथ खिलवाड़ किया, जो उनकी सुरक्षा के लिए जिम्मेदार थे। सालों से चले आ रहे ऐसे उत्पीड़न के खिलाफ पहली बार महिलाओं ने सवाल उठाए हैं। सभी महिलाओं ने कहा है कि अधिकारियों ने ही उनका यौन उत्पीड़न किया है।

महिलाओं का कहना है कि चाहे वह पुलिस स्टेशन हो, जेल हो या अस्पताल, कोई भी जगह सुरक्षित नहीं है। ये अपराध तब हुए, जब पुलिस या जेल के गार्ड नियमित जांच करने आए थे। कुछ अपराध तब हुए, जब डॉक्टर ने महिलाओं की शारीरिक जांच की। मिस्र में ऐसे अपराधों का कोई डेटा नहीं है, क्योंकि देश में इस तरह के यौन उत्पीड़न की शिकायत का कोई चलन नहीं है।

आम तौर पर ऐसी शिकायत करने वाली महिलाओं को परिवार छोड़ देते हैं या अपमानित किया जाता है। लेकिन अब नागरिक समाज समूहों, विशेषज्ञों, अधिवक्ताओं का कहना है कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि ऐसे अपराध लगातार और तेजी से हो रहे हैं। ऐसी महिलाओं ने पहचान छिपाते हुए यह दास्तां बताई है क्योंकि उन्हें डर है कि पहचान उजागर हुई तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। सरकारी अधिकारी ऐसे आरोपों से इंकार करते हैं।

2011 में कोर्ट ने रोका था, लेकिन अब भी हो रहे जबर्दस्ती वर्जिनिटी टेस्ट
मिस्र की एक कोर्ट ने 2011 में आदेश दिया था कि दबावपूर्वक किए जाने वाले वर्जिनिटी टेस्ट महिला के शरीर के साथ हिंसा है, लेकिन पिछले साल अगस्त में आई ह्यूमन राइट्स वाॅच की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि ऐसे टेस्ट अब भी हो रहे हैं। पुलिस के चंगुल में फंसने वाली हर महिला को इससे गुजरना होता है।

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