April 27, 2024 : 1:12 PM
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मोदी से मुलाकात के बाद गुपकार की पहली बैठक:PM के साथ मीटिंग पर निराशा जताई; कहा- जम्मू-कश्मीर को पहले राज्य का दर्जा मिले, फिर चुनाव हो

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नई दिल्ली2 घंटे पहले

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गुपकार नेताओं का कहना है कि PM की बैठक में राजनीतिक कैदियों की रिहाई समेत भरोसा कायम करने वाले कदम उठाने के बारे में कुछ नहीं कहा गया। - Dainik Bhaskar

गुपकार नेताओं का कहना है कि PM की बैठक में राजनीतिक कैदियों की रिहाई समेत भरोसा कायम करने वाले कदम उठाने के बारे में कुछ नहीं कहा गया।

कश्मीर के सियासी दलों के गठबंधन पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (PAGD) ने सोमवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने के बाद ही विधानसभा चुनाव कराए जाने चाहिए। गुपकार नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 24 जून को हुई बैठक पर भी निराशा जाहिर की है। गठबंधन का कहना है कि बैठक में राजनीतिक कैदियों की रिहाई समेत भरोसा कायम करने वाले कदम उठाने के बारे में कुछ नहीं कहा गया।

गुपकार की बैठक में क्या फैसला हुआ?
गुपकार की बैठक में कहा गया कि जहां तक जम्मू-कश्मीर को वापस राज्य का दर्जा देने का सवाल है, तो BJP खुद संसद में इसका ऐलान कर चुकी है। ऐसे में उन्हें अपने वादे का सम्मान करना चाहिए। गुपकार का संघर्ष अपना लक्ष्य हासिल करने तक चलता रहेगा।

परिसीमन आयोग के दौरे से पहले की मीटिंग
गुपकार नेताओं की यह मुलाकात परिसीमन आयोग के जम्मू-कश्मीर के दौरे से पहले रविवार को हुई। इस बैठक में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, PDP के मुख्य प्रवक्ता एम वाई तारिगामी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला सहित गठबंधन के सभी नेताओं ने हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री मोदी के साथ 24 जून को हुई बैठक के बाद यह इन नेताओं की पहली मुलाकात है।

पीएम आवास पर हुई बैठक में क्या हुआ था?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 जून को साढ़े तीन घंटे तक जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ बैठक की थी। करीब 2 साल बाद PM मोदी की इन नेताओं से यह सीधी मुलाकात थी। प्रधानमंत्री आवास पर चली इस बैठक में मोदी ने संदेश दिया कि जम्मू-कश्मीर से दिल्ली और दिल की दूरी कम होगी। उन्होंने परिसीमन के बाद जल्द विधानसभा चुनाव कराए जाने की बात भी कही और नेताओं से ये भी कहा कि वे इस प्रक्रिया में शामिल हों।

अगस्त 2019 में खत्म हुआ था अनुच्छेद 370
अगस्त 2019 में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया था। इसके साथ ही राज्य को 2 केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में भी बांट दिया था। इस फैसले से पहले जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती, फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला समेत कई बड़े नेताओं को हाउस अरेस्ट कर लिया गया था। हालांकि कई महीनों बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।

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