May 2, 2024 : 7:35 AM
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वसंत पूर्णिमा पर्व: भगवान श्रीकृष्ण है वसंत ऋतु के देवता, फाल्गुन महीने के आखिरी दिन इनकी विशेष पूजा और व्रत की परंपरा है

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Hindi NewsJeevan mantraDharmThere Is A Tradition Of Sri Krishna Worship On The Last Day Of The Month Of Phalgun, By Fasting On This Day, The Age Increases.

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4 घंटे पहले

कॉपी लिंकश्रीमद्भागवत में श्रीकृष्ण ने कहा है, मैं ऋतुओं में वसंत हूं; विष्णुधार्मोत्तर पुराण में है फाल्गुन पूर्णिमा पर व्रत का महत्ववसंत पूर्णिमा पर व्रत करने से बढ़ती है उम्र और बीमारियों से लड़ने की ताकत भी

रविवार, 28 मार्च को फाल्गुन महीने की पूर्णिमा है। इसे वसंत पूर्णिमा भी कहा जाता है। श्रीमद्भागवत में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि मैं ऋतुओं में वसंत हूं। इसलिए इस पूर्णिमा पर भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा करने की परंपरा है। इस दिन व्रत भी किया जाता है। विष्णुधार्मोत्तर पुराण के मुताबिक फाल्गुन महीने की पूर्णिमा पर व्रत करने से पाप खत्म होते हैं और उम्र भी बढ़ती है।

व्रत की परंपरा: ऋतु परिवर्तन के दोष से बचावजब-जब ऋतुएं बदलती हैं तब-तब मानसिक और शारीरिक बदलाव भी होते हैं। जिससे शरीर में त्रिदोष बढ़ता है यानी वात, पित्त और कफ के असंतुलन से बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। इससे बचने के लिए हिंदू कैलेंडर के आखिरी दिन यानी पूर्णिमा पर व्रत करने की परंपरा बनाई गई है। इस दिन व्रत करने से शरीर में हार्मोंन और अन्य चीजों का संतुलन बना रहता है। इस कारण रोगों से लड़ने की ताकत और उम्र बढ़ती है।

श्रीकृष्ण पूजा की परंपराफाल्गुन महीने के आखिरी दिन चंद्रमा अपनी सौलह कलाओं के साथ आसमान में उदित रहता है। इस दिन योगराज श्रीकृष्ण की पूजा की परंपरा बनाई गई है। श्रीकृष्ण पूजा में इस्तेमाल होने वाली चीजें, जैसे दूध, पानी, पंचामृत और मक्खन पर चंद्रमा का खास असर रहता है। चंद्रमा मन का कारक होता है। इस कारण इन चीजों से भगवान कृष्ण की विशेष पूजा करने से मानसिक शांति मिलती है। श्रीमद्भागवत में कहा गया है कि भगवान कृष्ण की पूजा से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। जिससे इंसान नीरोगी रहते हुए लंबी उम्र जीता है।

श्रीकृष्ण पूजा विधिसूर्योदय से पहले उठकर पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे डालकर नहा लें। इसके बाद श्रीकृष्ण पूजा और दिनभर व्रत रखने का संकल्प लें। फिर घर या मंदिर में जाकर शुद्ध पानी से भगवान की मूर्ति पर जल चढ़ाएं। फिर ताजा दूध, इसके बाद पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करते हुए क्लीं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करना चाहिए।अभिषेक के बाद में कृष्ण भगवान को चंदन, अक्षत, मौली, अबीर, गुलाल, इत्र, तुलसी और जनेऊ के साथ ही सभी पूजन सामग्री चढ़ाएं। इसके बाद पीला वस्त्र पहनाएं और मक्खन में मिश्री मिलाकर भगवान को भोग लगाएं। फिर आरती करें और श्रद्धा अनुसार जरूरतमंद लोगों को दान दें।

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