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वर्ल्ड टीबी-डे आज: भूख कम लगना और वजन घटना भी टीबी का लक्षण, अलर्ट रहें क्योंकि 2019 में इसके 30% नए मामले मिले हैं, जानिए कैसे बचें

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5 घंटे पहलेलेखक: अंकित गुप्ता

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टीबी का एक मरीज 5 से 15 लोगों को संक्रमित कर सकता है। 2019 में इससे दुनियाभर में 14 लाख लोगों की मौत हुई और 30 फीसदी तक टीबी के नए मामले भी मिले। दुनिया में मौत होने की 10 बड़ी वजहों में टीबी भी शामिल है।

कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है। इसके कुछ लक्षण टीबी से मिलते-जुलते हैं। एक्सपर्ट कहते हैं, सतर्कता ही दोनों बीमारियों से बचाएगी, इसलिए मास्क जरूर पहनें, सोशल डिसटेंसिंग का ध्यान रखें और टीबी की दवाएं न बंद होने दें।

आज वर्ल्ड टीबी-डे है। जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट मुम्बई के एक्सपर्ट से जानिए टीबी से कैसे निपटें, इसका इलाज क्या है और कौन से लक्षण दिखने पर अलर्ट हो जाएं…

टीबी दो तरह की होती है, इसे समझना जरूरी

टीबी का पूरा नाम है ट्यूबरकुलोसिस है। इसकी वजह है, शरीर में मायकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नाम के बैक्टीरिया का संक्रमण होना। यह दो तरह की होती है-

1- पल्मोनरी टीबी

जब टीबी का बैक्टीरिया केवल फेफड़ों में संक्रमण फैलाता है तो इसे पल्मोनरी टीबी कहते हैं। इसके मामले सबसे कॉमन हैं। सीने में दर्द और लम्बे समय तक बलगम के साथ खांसी आना इसका सबसे कॉमन लक्षण है। इसके 25 फीसदी मरीजों में लक्षण नहीं दिखते हैं। लेकिन, कभी-कभी खांसी के साथ खून आ सकता है। इसे नजरअंदाज न करें। ऐसे मरीजों में फेफड़े का ऊपरी हिस्सा अधिक प्रभावित होता है।

2- एक्स्ट्रापल्मोनरी टीबी

जसलोक हॉस्पिटल के जनरल मेडिसिन कंसल्टेंट डॉ. आरपी राम के मुताबिक, जब टीबी का बैक्टीरिया फेफड़े के बाहर संक्रमण फैलाता है तो इसे एक्स्ट्रापल्मोनरी टीबी कहते हैं। आमतौर पर बुखार, रात में पसीना आना, भूख न लगना जैसे लक्षण दिखते हैं। टीबी के 15-20 फीसदी मामलों में संक्रमण फेफड़े के बाहर फैलता है। इसके मामले बच्चों और कम इम्युनिटी वाले लोगों में दिखते हैं। HIV के मरीजों में 50 फीसदी तक एक्स्ट्रापल्मोनरी टीबी के मामले सामने आते हैं।

क्या टीबी का पूरी तरह से इलाज संभव है?

जसलोक हॉस्पिटल में रेस्पिरेट्री मेडिसिन कंसल्टेंट डॉ. समीर गार्डे कहते हैं, टीबी के मरीज के छींकने, खांसने, बोलने और गाना गाने से टीबी का बैक्टीरिया सामने वाले इंसान को संक्रमित कर सकता है। संक्रमित इंसान के मुंह से निकली लार की बूंदों में टीबी के बैक्टीरिया होते हैं जो संक्रमण फैलाते हैं। ऐसे मरीज के सम्पर्क में आने से बचें। इसका पूरी तरह से इलाज संभव है। इसलिए लक्षण दिखने पर डॉक्टर से सम्पर्क करें।

संक्रमण के कई साल बाद भी दिख सकता है असर

टीबी का हर संक्रमण खतरनाक नहीं है। बच्चों में टीबी के मामले और फेफड़ों के बाहर होने वाला टीबी का संक्रमण अधिक खतरनाक नहीं होता। आमतौर पर एक सेहतमंद इंसान में शरीर का इम्यून सिस्टम ही टीबी के बैक्टीरिया को खत्म कर देता है। लेकिन, कुछ मामलों में ऐसा नहीं हो पाता। करीब 10 फीसदी मामले ऐसे भी होते हैं, जिनमें टीबी का संक्रमण होने के कई साल बाद लक्षण दिखते हैं।

यह असर तब दिखता है जब रोगों से बचाने वाला इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ता है। जैसे कोई मरीज डायबिटीज से जूझ रहा है या उसमें पोषक तत्वों की कमी हो गई है या फिर तम्बाकू और अल्कोहल का अधिक सेवन करता है। ऐसी स्थिति में संक्रमित होने का खतरा ज्यादा रहता है।

टीबी के गंभीर मामलों में गले में सूजन, पेट में सूजन, सिरदर्द और दौरे भी पड़ सकते हैं। टीबी का पूरी तरह से इलाज संभव है। इसलिए ऐसा होने पर दवाएं समय से लें और कोर्स अधूरा न छोड़ें।

टीबी से जुड़े भ्रम और उनकी सच्चाई

इलाज में लापरवाही से बेअसर हो सकती हैं दवाएं

डॉ. आरपी राम कहते हैं, कई बार लक्षणों के आधार कहना मुश्किल होता है कि मरीज टीबी से जूझ रहा है या नहीं। ऐसे में कुछ बेसिक जांचें कराई जाती हैं, जैसे- सीने का एक्सरे, बलगम की जांच। टीबी का इलाज कराने में जितनी देरी होती है उतना ही खतरा बढ़ता है। इलाज में देरी करने या दवा लेने में लापरवाही होने पर दवा बेअसर हो सकती है। इसे मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट टीबी कहते हैं। इसलिए दवाएं न तो रोकें और न ही इसका कोर्स अधूरा छोड़ें।

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