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पेशावर के तीन ऐतिहासिक मंदिरों से ग्राउंड रिपोर्ट: बंटवारे के बाद पाकिस्तान में मंदिर नहीं बना, पुरानों पर माफिया काबिज

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पेशावर3 घंटे पहलेलेखक: रिफातुल्लाह उराकजई

कॉपी लिंकपेशावर के गोरघत्री इलाके में स्थित नाथ संप्रदाय का गोरखनाथ मंदिर 19वीं सदी के मध्य में बना था। बंटवारे के समय हुए दंगे के बाद इसे बंद कर दिया गया। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 2011 में इसे दोबारा खोला गया। - Dainik Bhaskar

पेशावर के गोरघत्री इलाके में स्थित नाथ संप्रदाय का गोरखनाथ मंदिर 19वीं सदी के मध्य में बना था। बंटवारे के समय हुए दंगे के बाद इसे बंद कर दिया गया। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 2011 में इसे दोबारा खोला गया।

खंडहर हो गए ऐतिहासिक मंदिर, मरम्मत के लिए भी सरकार नहीं करती है मददपाकिस्तान में अल्पसंख्यक धर्मस्थलों के हालात को लेकर आई रिपोर्ट के बाद भास्कर की रिपोर्ट

पाकिस्तान की कुल आबादी में करीब ढाई फीसदी (75 लाख) हिंदू हैं। इतनी बड़ी आबादी के बावजूद बंटवारे के 74 साल में पाकिस्तान में एक भी मंदिर नहीं बना। हिंदुओं और सिखों के भारत जाने के बाद उनके धर्मस्थलों के रखरखाव का जिम्मा संभालने वाले इवैक्यू ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) के अधिकारी तारीक वजीर ने बताया, आजादी के बाद देश में कोई मंदिर नहीं बना।

वहीं, 286 मंदिर मुकदमेबाजी के कारण बंद हो गए। आलम यह है कि दो हजार साल पुराने ऐतिहासिक मंदिर सहित ज्यादातर हिंदू धर्मस्थलों पर भूमाफिया का कब्जा हो गया है। बकौल तारिक वजीर देश में सबसे ज्यादा 275 मंदिर पंजाब में हैं। इसके बाद सिंध जहां हिंदुओं की सबसे ज्यादा आबदी है वहां 53, खैबर पख्तूनख्वा में 25 और बलूचिस्तान में 12 मंदिर हैं।

इनमें 14 की देखरेख ही ईटीपीबी करता है। वहीं, 65 की जिम्मेदारी हिंदू समुदाय के लोग उठाते हैं। दरअसल, बीते साल दिसंबर में खैबर पख्तूनख्वा में जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम पार्टी के लोगों ने एक मंदिर में आग लगा दी थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अल्पसंख्यक धर्मस्थलों की स्थिति जानने के लिए आयोग बनाया था।

गोरखनाथ मंदिर: 64 साल बाद खुला, विरासत है पर हिफाजत नहीं

पेशावर के गोरघत्री इलाके में स्थित नाथ संप्रदाय का गोरखनाथ मंदिर 19वीं सदी के मध्य में बना। बंटवारे के समय हुए दंगे के बाद मंदिर बंद कर दिया। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद पेशावर हाईकोर्ट के आदेश पर मंदिर को 2011 में दोबारा खोला गया। मंदिर का प्रबंधन संभालने वाले सरपंच काका राम ने बताया, 200 साल पुराने मंदिर के कई हिस्से अभी मूल स्वरूप में हैं।

पुरातत्व विभाग ने मंदिर को राष्ट्रीय विरासत घोषित कर दिया, लेकिन हिफाजत और रखरखाव के लिए कुछ नहीं किया। हम खुद मरम्मत करवाते हैं, ताकि ऐतिहासिक मंदिर को बचाया जा सके। अगर देखरेख नहीं हुई तो किसी भी दिन मंदिर गिर सकता है। वहीं, मंदिर में पूजन के लिए कोहट से आए हिंदू नेता राजेश चंद ने बताया, हमने मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन किया है। इसके बहाने हम पूरे पेशावर से अपने समुदाय के लोगों को बुलाते हैं ताकि हम आपस में जुड़े रह सकें।

पंज तीरथ: हजारों साल पुराने मंदिर की जमीन पर बना दिया पार्क

पेशावर के सबसे प्रचीन मंदिर पंज तीरथ को 2019 में राष्ट्रीय विरासत घोषित किया गया और पूजा के लिए खोलने का ऐलान हुआ लेकिन ऐसा नहीं हो सका। खैबर पख्तूनख्वा म्यूजियम के डायरेक्टर डॉ अब्दुल समद कहते हैं पंज तीरथ का जिक्र हजारों साल पुराने ‘महाभारत’ सहित अन्य पवित्र ग्रंथों में है। मंदिर परिसर में पांडवों के नाम पर पांच कुंड थे। हालांकि अब खंडहर बचा है।

इसके बड़े हिस्से में कब्जा कर चाचा यूनुस पार्क बना दिया गया। पेशावर हिंदू पंचायत की राजपूत वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष अनिल कुमार ने बताया, पार्क मंदिर की जमीन पर बना है। जीटी रोड पर होने से जमीन की कीमत करोड़ों में है।

इसलिए भूमाफियाओं की निगाह बाकी जमीन पर है। पेशावर के धार्मिक नेता और पंडित हारून दयाल बताते हैं कि राजधानी में चार-पांच मंदिर ऐसे हैं जहां हिंदू समुदाय के लोग नियमित पूजा करने जाते हैं। वहीं, 11 मंदिर मुकदमेबाजी के चलते बंद हैं। वहां पूजा करने की भी अनुमति नहीं है।

आसामाई मंदिर : खंडहर हो गया दुर्लभ मंदिर

पेशावर स्थित आसामाई मंदिर दशकों से बंद पड़ा है। बंटवारे के वक्त आसामाई कॉम्प्लेक्स में तीन छोटे मंदिर और गुरुद्वारा था। यहां भी कब्जा कर प्लाजा बना लिया गया। हारुन दयाल कहते हैं कि यहां एक मंदिर कुछ गज में अवशेष में सिमट गया है। बाकी मंदिरों की जगह नए निर्माण हो गए हैं। यहीं बगल में मस्जिद महबात खान है। बंटवारे के पहले मस्जिद के साथ तीन मंदिर भी बने थे। कहते हैं कि दुनिया में आसमाई के दो ही मंदिर है एक काबुल में और दूसरा पेशावर में।

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