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कू के को-फाउंडर का इंटरव्यू: अब सरकार ट्विटर नहीं हमारे बारे में बात करती है, साल के आखिर तक देश की 25 भाषाओं में बात कर पाएंगे

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Hindi NewsTech autoKoo APP Vs Twitter Differences; Koo App Co Founder Mayank Bidawatka Interview To Dainik Bhaskar; Speaks On Funding And Data Serve

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नई दिल्ली3 घंटे पहले

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माइक्रो ब्लॉगिंग ऐप कू चर्चा में है। इस पर देश की कई बड़ी हस्तियां जुड़ चुकी हैं। कंपनी ने इस साल इस प्लेटफॉर्म पर 10 करोड़ यूजर्स को जोड़ने का लक्ष्य बनाया है। ऐप का प्रोडक्ट डेवलपमेंट, टेक्नोलॉजी और मार्केटिंग देखने वाले को-फाउंडर मयंक बिद्वतका ने हमसे इससे जुड़ी सभी बातें शेयर की।

1. कू का प्लान कहां से आया और इसका मतलब क्या है?पहले हम अर्बन इंडियंस के लिए इंटरनेट कंपनी चलाते थे। ऑनलाइन बस टिकिटिंग करते थे। लेकिन हम कुछ ऐसा बनाना चाहते थे जिसका फायदा 100 करोड़ भारतीय को मिले। इसके लिए लेंग्वेज वैरियर को तोड़ना बहुत जरूरी था। क्योंकि हमारे देश में सबसे ज्यादा भाषाएं बोली जाती हैं। ऐसे में एक ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार करना जरूरी था जिसे हर भारतीय इस्तेमाल कर पाए। बस इसी सोच को लेकर हमने कू तैयार किया।

कू के नाम इसलिए चुना गया, क्योंकि हम ऐसा नाम रखना चाहते थे जो सभी लोगों के समझ आए। मैसेज के लिए पक्षी का इस्तेमाल किया जाता रहा है। खासकर कबूतर के जरिए मैसेज पहुंचाए जाते थे। ऐसे में हमें एक बर्ड का लोगो चाहिए था। हमने यलो कलर की बर्ड चुनी, क्योंकि यलो कलर में पॉजीटिविटी होती है।

2. कू ट्विटर से कैसे अलग है?जब कू पर आप अपनी पसंदीदा भाषा सिलेक्ट करते हैं तब उसे उसी भाषा वाले मैसेज दिखाई देते हैं। इसका फायदा ये है कि लोग किसी विचार पर तेजी से रिएक्ट कर पाते हैं। ट्विटर पर ऐसा नहीं होता। ट्विटर पर सेलिब्रिटी तो दिखाई देती हैं, लेकिन आम आदमी नहीं दिखता। कू पर आम यूजर भी दिखता है जिससे उसे फॉलोअर्स भी आसानी से मिलते हैं।

3. कू पर वर्तमान में कितने यूजर्स हैं?अब इस पर 45 लाख से ज्यादा यूजर्स जुड़ चुके हैं। पिछले एक महीने में करीब 15 लाख यूजर्स जुड़े हैं। इस पर 10 गुना यूजर्स की बढ़ोतरी हुई है। अब हमारा फोकस 10 करोड़ यूजर्स को जोड़ने पर है।

4. क्या कू का इस्तेमाल दुनियाभर में किया जा सकता है?इसे भारतीय यूजर्स के लिए तैयार किया गया है, लेकिन इसका इस्तेमाल दुनियाभर के सभी यूजर्स कर सकते हैं। हम चाहते हैं कि इस प्लेटफॉर्म से पहले हमारे देश की समस्याएं खत्म हों। इसे कहीं से भी ऑपरेट किया जा सकता है। अभी इस पर 1% से भी कम यूजर्स देश के बाहर के हैं।

5. कू किन भाषाओं को सपोर्ट कर रहा है?अभी ऐप 7 भाषाओं को सपोर्ट करता है। इसमें हिंदी, अंग्रेजी, कन्नड़, तेलुगु, तमिल, बंगाली और मराठी शामिल हैं। इस साल के आखिर तक ऐप पर कुल 25 भाषाओं होंगी। इस पर 140 वर्ड्स में मैसेज कर सकते हैं। यूजर को वॉइस और वीडियो मैसेज का भी ऑप्शन मिलता है।

6. क्या कंपनी से चीनी फंडिंग खत्म हो चुकी है?चीन की एक मात्र कंपनी शुनवेई का ऐप में सिंगल डिजिट इन्वेस्टमेंट है। ये इन्वेस्टमेंट करीब ढाई साल पहले किया गया था। उस वक्त चीनी कंपनियों के भारत में निवेश पर रोक नहीं थी। कुछ ही दिनों में वो अपने सारे शेयर भारतीय कंपनी को बेच देगी।

7. किसान आंदोलन का कू को कितना फायदा मिला है?इस आंदोलन का ऐप को बहुत फायदा मिला है। सरकार ने जो मांग की थी ट्विटर ने वैसा नहीं किया। यही वजह है कि सरकार अब हमारे बारे में बात कर रही है। वो इस बात को समझती है कि आत्मनिर्भर का बहुत महत्व है। हम लोकल हैं इसलिए यहां के लोगों की प्रॉब्लम को ज्यादा बेहतर तरीके से समझते हैं।

8. प्लेटफॉर्म को हैंकिंग से बचाने की क्या प्लानिंग है?कू पर जितनी भी बड़ी हस्तियां आती हैं उन्हें वैरिफाइड टिकमार्क दिया जाता है। यदि यूजर को ऐसा लगता है कि किसी ने फेक प्रोफाइल बनाई है तब वो हमें रिपोर्ट कर सकता है। हमारे ऐप्स को कई लोग हैक करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन हमारी सिक्योरिटी पूरी तरह अपडेट है। हमारी सिक्योरिटी ए क्लास है। कोई हमारे सिस्टम में घुसकर उसका नाम चेंज नहीं कर सकता।

हमारे प्लेटफॉर्म पर यूजर्स का वही डेटा दिखाई देगा, जो यूजर्स अपनी मर्जी से देंगे। यानी नाम, ईमेल, डेट ऑफ बर्थ, मैरिड स्टेटस या अन्य वो जानकारी जो यूजर अपनी मर्जी से शेयर कर रहा है।

9. कू का डेटा सर्वर कहां है?ये मुंबई (भारत) में है। हमने सर्वर को यहां इसलिए रखा है ताकि यूजर्स को डेटा तेजी से मिल पाए। मान लीजिए यदि सर्वर सिंगापुर में है तब उसे आपकी लोकेशन तक डेटा पहुचाने के लिए पहले सिंगापुर से मुंबई फिर आपकी लोकल लोकेशन तक भेजना होगा। इसमें काफी वक्त लगता है। हमने ऐसा सिस्टम किया है कि आप जिस शहर में होंगे, डेटा भी वहीं पर होगा। इसे हम कंटेंट डिलिवरी नेटवर्क (CDN) कहते हैं।

10. कंपनी फंड्स के लिए क्या कर रही है? आपके पास कितने कर्मचारी हैं?कंपनी की ग्रोथ के लिए हमने 30 करोड़ रुपए के फंड्स जुटाए हैं। ये सभी प्रोडक्ट्स डेवलपमेंट और टेक्नोलॉजी पर इस्तेमाल किए जाएंगे। अभी कंपनी रेवेन्यू जनरेट नहीं कर रही है। जब हम 10 मिलियन (1 करोड़) से ज्यादा यूजर्स पर पहुंच जाएंगे, तब कंपनी का रेवेन्यू मॉडल जनरेट होगा। हमारा हेड ऑफिस बेंगलुरु में है। यहां 40 लोग काम कर रहे हैं। सभी लोग हर दिन 16 से 18 घंटे काम करते हैं।

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