April 27, 2024 : 10:57 AM
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भारतीयों पर हुई रिसर्च: लकड़ी के धुएं ने डैमेज किए भारतीयों के फेफड़े, ऑक्सीजन पहुंचने की क्षमता घटी; सर्दियों में बढ़ते हैं मामले

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एक दिन पहले

कॉपी लिंकअमेरिका में रेडियोलॉजिकल सोसायटी की मीटिंग में पेश की गई फेफड़ों पर रिपोर्टरिपोर्ट में लकड़ी जलाकर खाना बनाने वाले भारतीयों के फेफड़ों की हालत बताई गई

लकड़ी और दूसरे अधिक धुआं पैदा करने वाले ईधन को जलाते हैं तो आप फेफड़े डैमेज कर रहे हैं। यह अलर्ट वैज्ञानिकों ने जारी किया है। नॉर्थ अमेरिका में रेडियोलॉजिकल सोसायटी की एनुअल मीटिंग में वैज्ञानिकों ने कहा, सांस के जरिए बड़ी मात्रा में धुएं में मौजूद प्रदूषण फैलाने वाले तत्व और बैक्टीरियल टॉक्सिन सीधे तौर पर फेफड़ों में पहुंच रहे हैं और डैमेज कर रहे हैं। भारतीयों पर हुई रिसर्च में यह बात सामने आई है।

हर साल धुएं में खाना बनाने से 40 लाख मौतें

मीटिंग में फेफड़ों पर रिपोर्ट पेश की गई और बताया गया कि हर साल ऐसे बायोमास फ्यूल के जलने से दुनियाभर में 40 लाख मौतें हो रही हैं। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अभिलाष किज्जाके कहते हैं, ऐसे मामले सामने आने की दो वजह हैं। पहली, लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं और दूसरी, धुएं से डैमेज होते फेफड़ों की जानकारी से बेखबर हैं। दुनियाभर में 300 करोड़ लोग इसी तरह खाना बनाते हैं।

23 भारतीयों पर की रिसर्च

रिसर्च में शामिल लोवा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एरिक ए. हॉफमैन कहते हैं, हमने इसका पता लगाने के लिए 23 ऐसे भारतीयों को चुना जो लकड़ी जलाकर खाना बनाते हैं। इनमें घर में पॉल्यूशन का लेवल क्या है और इनके फेफड़े की क्षमता जानने के लिए स्पाइरोमेट्री टेस्ट किया गया। एडवांस सीटी स्कैन के साथ रिसर्च में शामिल भारतीयों की सांस लेने और छोड़ने की क्षमता भी जांची गई।

धुआं कैसे डैमेज कर रहा फेफड़े, ऐसे समझेंरिपोर्ट में सामने आया कि एलपीजी गैस का प्रयोग करने के मुकाबले जो लोग लकड़ी के धुएं के सम्पर्क में थे उनमें प्रदूषण के खतरनाक तत्व और बैक्टीरियल टॉक्सिंस काफी अधिक थे। ऐसे लोगों के फेफड़ों में हवा भरी हुई थी। इसे एयर ट्रैपिंग कहते हैं। ऐसा होने पर फेफड़ों में हवा जाना और इसका बाहर निकलना आसान नहीं होता। लगातार दूषित हवा भरे रहने से फेफड़े डैमेज हो जाते हैं।

प्रोफेसर किज्जाके कहते हैं, इस तरह फेफड़ों में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती और न पूरी तरह से कार्बन डाई ऑक्साइड निकल पाती है। फेफड़े गैस एक्सचेंज करने में असमर्थ हो जाते हैं।

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