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देश में कोरोना का पॉजिटिविटी रेट 8.4 फीसदी तक बढ़ना खतरनाक, एक्सपर्ट से समझिए इसका बढ़ना किस तरह लोगों पर असर डालेगा

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2 दिन पहले

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  • महाराष्‍ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और आंध्र प्रदेश वर्तमान में हॉटस्पॉट राज्य, यहां जैसे-जैसे मूवमेंट अधिक बढ़ेगा, अधिक मामले सामने आएंगे
  • देश में मेट्रो का सफर शुरू हो रहा है, लेकिन जितना हो सके कॉन्टैक्ट-लेस ट्रैवल करें, भीड़ कोरोनावायरस के लिए मैगनेट का काम करती है

देश में कोरोना का पॉजिटिविटी रेट बढ़ना खतरनाक है। अनलॉक में भी संक्रमण से बचने के लिए सावधानी बरतनी जरूरी है। दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के वरिष्‍ठ चिकित्सक डॉ. राजेन्द्र कुमार धमीजा ने बताया, देश में अब तक करीब 5 करोड़ टेस्‍ट किए जा चुके हैं। अब करीब 11 लाख टेस्‍ट रोजाना किए जा रहे हैं। देश में पॉजिटिविटी रेट 8.4 प्रतिशत है। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों के हिसाब से बहुत अधिक है।

ऐसे समझें, क्या है पॉजिटिविटी रेट

सरल भाषा में ऐसे समझिए। अगर आपकी कॉलोनी में 100 लोगों का टेस्‍ट हुआ और 20 एक्टिव केस निकले, तो मतलब पॉजिटिविटी रेट 20 प्रतिशत हुआ। आमतौर पर पॉजिटिविटी रेट 4 से 5 प्रतिशत तक हो, तो स्थिति नियंत्रित मानी जाती है। लेकिन देश में यह 8.4 फीसदी तक पहुंच गया है।

रिकवरी रेट अच्छा, लेकिन मामले बढ़ना चिंताजनक
कोरोना के एक्टिव मामलों पर डॉ. धमीजा का कहना है कि देश में रिकवरी रेट बहुत अच्‍छा है। बाकी देशों की तुलना में भारत में कोरोना से होने वाली मृत्यु की दर बहुत कम है, लेकिन कोरोना के बढ़ते मामले चिंता का विषय है। एक्टिव केस की वृद्धि दर पिछले कुछ दिनों से 2.3 प्रतिशत बनी हुई है। अगर अमेरिका से तुलना करें, तो वहां एक्टिव केस की वृद्धि दर 0.7%, ब्राजील में 1% और रूस में 0.5% है। इस पर नियंत्रण करने के लिए देश के लोगों को सावधानी बरतनी होगी।

डॉ. धमीजा के मुताबिक, हमारे यहां टेस्टिंग बढ़ रही है, इसलिए देश भर में कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं। अगर मामलों की कुल संख्‍या बढ़ेगी तो डेथ भी बढ़ेगी, यह चिंता का विषय है। अभी मृत्‍यु दर भले ही 2 प्रतिशत से कम है, लेकिन यह चिंता का विषय तो है ही।

ये हैं चार हॉटस्पॉट राज्य
प्रसार भारती से बातचीत में डॉ. धमीजा ने कहा कि महाराष्‍ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और आंध्र प्रदेश इस वक्त हॉट स्‍पॉट राज्य हैं। दिल्ली में भी पहले मामले नियंत्रित थे, लेकिन अब फिर से बढ़ने लगे हैं। यह स्‍वाभाविक है कि जैसे-जैसे जिंदगी की रफ्तार बढ़ेगी, लोगों का मूवमेंट बढ़ेगा, केस भी बढ़ेंगे। दूसरी बात मुंबई, दिल्ली में जनसंख्‍या घनत्व ज्‍यादा है, यह भी एक वजह है।

कुछ लोग पॉजिटिव और कुछ निगेटिव क्यों हैं?

इस बीच लोगों के मन में एक बात और चल रही है। वो यह कि संपर्क में आने वाले कुछ लोग पॉजिटिव आते हैं और कुछ निगेटिव, ऐसा क्यों? इस पर डॉ. धमीजा ने कहा, अभी तक यह स्पष्‍ट नहीं हो सका है कि ऐसे कौन लोग हैं, जो संपर्क में आने के बाद भी संक्रमित नहीं हो रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि हो सकता है, उनमें इम्‍युनिटी अधिक हो, या बार-बार कोई दूसरा इंफेक्‍शन हुआ हो, जिसकी वजह से उनकी रेसिस्‍टेंस पावर ज्‍यादा हो। यह एक से दूसरे इंसान और वायरल लोड पर निर्भर करता है।

मेट्रो में सफर करें तो ये ध्यान रखें

डॉ. धमीजा का कहना है कि मेट्रो में यात्रा के दौरान सबसे बड़ी चुनौती क्राउड मैनेजमेंट होगी। लोगों को यह समझना होगा कि कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है। जितना हो सके उतना कॉन्टैक्ट लेस ट्रैवल करें। कोशिश करें कि भीड़ का हिस्सा न बनें। भीड़ इस वायरस के लिए मैगनेट का काम करती है। मेट्रो के ऑपरेशन स्‍टाफ को भी बहुत एहतियात बरतनी होगी।

उन्‍होंने कहा कि मेट्रो में यात्रा के वक्त आरोग्य सेतु ऐप बहुत महत्वपूर्ण योगदान देने वाला है। इस ऐप से यह ट्रैक किया जा सकेगा कि आप कहीं किसी संक्रमित के संपर्क में तो नहीं आए हैं। वैसे, जितने भी नियम बनाए जा रहे हैं, उन नियमों को तोड़ने वालों पर सख्‍त पेनाल्टी लगाई जानी चाहिए।

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