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दिल्ली की महिला के शरीर से 50 किलो का ओवेरियन ट्यूमर निकाला, ऑपरेशन के बाद वजन सिर्फ 56 किलो रह गया

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  • Woman With Largest Ovarian Tumour Successfully Operated At Delhi’s Apollo Hospital But Its Not Benian

2 दिन पहले

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  • 52 वर्षीय महिला पेट के निचले हिस्से में तकलीफ हुई, चलना-फिरना मुश्किल हुआ और हीमोग्लोबिन का स्तर गिरा
  • तेजी से वजन बढ़ने के कारण खाना पचना मुश्किल हो रहा था, 3 घंटे चली सर्जरी में ट्यूमर अलग किया गया

डॉक्टरों ने सर्जरी करके महिला के शरीर से 50 किलो का ओवेरियन ट्यूमर निकाला है। यह दुनिया का सबसे बड़ा ट्यूमर है, जिसे 52 वर्षीय महिला के शरीर से अलग किया गया जिसके बाद महिला के शरीर का वजन सिर्फ 56 किलो रहा गया है।

सर्जरी नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल में हुई। ट्यूमर के कारण महिला का वजन 106 किलो हो गया था। इससे पहले 2017 में 34 किलो के ट्यूमर का मामला कोयम्बटूर में सामने आया था।

चलना-फिरना भी मुश्किल हुआ

इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के मुताबिक, कई महीनों से दिल्ली निवासी महिला का वजन तेजी से बढ़ रहा था। यह 106 किलो तक पहुंच गया था। सांस लेने में तकलीफ, पेट के निचले हिस्से में दर्द और चलने-फिरने में परेशानी होने पर उन्हें अस्पताल में लाया गया।

हीमोग्लोबिन घटकर 6 रह गया था

जांच के दौरान पता चला कि महिला की ओवरी में बड़े आकार का ट्यूमर है, जो तेजी से बढ़ रहा है। इसके कारण आंतों पर दबाव बढ़ रहा है। खाना पचाना मुश्किल हो रहा है। मरीजों का हीमोग्लोबिन घटकर 6 पर आया गया और एनीमिया हो गया।

सर्जरी की 4 बड़ी चुनौतियां : ऑर्गन फेलियर हो सकता था

  • सर्जिकल गैस्ट्रोएंट्रोलोजी एंड बेरियाट्रिक सर्जरी डिपार्टमेंट के डाॅ. अरूण प्रसाद के नेतृत्व में महिला की सर्जरी हुई। डाॅ. अरूण ने बताया, सर्जरी 18 अगस्त को हुई थी। मैंने अपने 30 साल के करियर में आज तक 50 किलो का ट्यूमर नहीं देखा। यह दुनिया का पहला ऐसा मामला है। इसे शरीर से निकालना बड़ी चुनौती थी।
  • डाॅ अरूण के मुताबिक, मरीज़ का हीमोग्लोबिन बहुत कम था और उन्हें सर्जरी से पहले, दौरान और बाद में कुल 6 यूनिट खून भी चढ़ाना पड़ा। यह सर्जरी इस बात का उदाहरण है कि नई मिनिमल एक्सेस प्रक्रियाओं के साथ-साथ सर्जरी के पारम्परिक तरीके भी महत्वपूर्ण हैं।
  • डाॅ. अरूण ने बताया, इस मामले में, पेट में रोबोट असिस्टेड तरीकों से उपकरण डालने के लिए जगह नहीं थी, इसलिए हमें सर्जरी का पारम्परिक तरीका ही चुनना पड़ा। गैस्ट्रोएंट्रोलोजी, गायनेकोलॉजी और एनेस्थिसियोलॉजी टीम के विशेषज्ञों के प्रयासों के चलते सर्जरी सफल रही।
  • मुख्य सर्जन डाॅ. अभिषेक तिवारी ने बताया,‘मरीज़ के पेट में दर्द, सांस में तकलीफ़ और वजन बढ़ने की शिकायत के साथ अस्पताल में भर्ती किया गया। उन्हें तुरंत सर्जरी की सलाह दी गई, वरना ट्यूमर बहुत तेज़ी से बढ़ता और दूसरी अंगों पर दबाव के चलते ऑर्गन फेलियर हो सकता था।

यह कैंसर वाला ट्यूमर नहीं था

मुख्य सर्जन डाॅ अभिषेक तिवारी ने कहा, अच्छी बात यह थी, कि ट्यूमर बिनायन (कैंसर फैलाने वाला नहीं था) था और मरीज़ को कोई और बीमारी न होने के कारण वे जल्द ठीक हो गईं, सर्जरी के बाद उनका वज़न कम होकर 40 हो गया है।

गायनेकोलोजी एंड ऑब्स्टेट्रिक्स डिपार्टमेंट की सीनियर कंसल्टेंट डाॅ. गीता चड्ढा ने बताया, ओवरी में ट्यूमर क्यों हुआ, इसका कारण नहीं पता चल पाया है। लेकिन हो सकता है, यह शरीर में कोशिकाओं के बनने केे दौरान विकसित हुआ हो। सर्जरी बेहद मुश्किल थी। इतना बड़ा ट्यूमर होने के कारण, आंतों पर दबाव पड़ रहा था और ओवरी फट भी सकती थी। सर्जरी के दौरान अधिक सावधानी बरतनी पड़ी ताकि ओवरी और आंतों को नुकसान न पहुंचे।

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