एक घंटा पहले
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- मोदी सरकार ने लॉन्च किया नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन
- आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना का ही हिस्सा होगा यह मिशन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 74वें स्वतंत्रता दिवस पर नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन की घोषणा की। उन्होंने बताया कि हर भारतीय नागरिक का यूनिक हेल्थ आईडी बनाया जाएगा। नीति आयोग ने 2018 में इस संबंध में प्रस्ताव बनाया था और उसके आधार पर ही नेशनल हेल्थ स्टैक में प्रत्येक यूजर को यूनिक आईडी दिया जाएगा।
क्या है नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन?
- आपने प्रैक्टो देखा होगा। आजकल कई डॉक्टर इसका इस्तेमाल करते हैं। इस ऐप पर डॉक्टरों का डिटेल होता है। उनके प्रिस्क्रिप्शन और डाइग्नोस्टिक रिपोर्ट भी उसमें रहते हैं।
- सरकार की कोशिश भी प्रैक्टो जैसा एक ऐप बनाने की है। यह सरकार का होगा और सरकारी गाइडलाइंस के आधार पर प्राइवेट कंपनियां भी इसे बना सकेंगी।
- नीति आयोग ने 2018 में नेशनल हेल्थ स्टैक का प्रस्ताव दिया था। हेल्थ मिनिस्ट्री की समिति ने इसका फ्रेमवर्क बनाने के लिए नेशनल डिजिटल हेल्थ ब्लूप्रिंट तैयार किया है।
- डिजिटल हेल्थ मिशन के तहत देश के सभी नागरिकों के हेल्थ आईडी से लिंक करते हुए उनका हेल्थ डेटा डिजिटाइज्ड हो जाएगा। इससे नेशनल हेल्थ डेटाबेस बन जाएगा।
- मिशन का विजन नेशनल डिजिटल हेल्थ इकोसिस्टम बनाना है। सभी के लिए सस्ती, समावेशी और सुरक्षित हेल्थकेयर के लिए समय पर और कुशल पहुंच प्रदान करता है।
- यह एक समग्र, स्वैच्छिक हेल्थकेयर प्रोग्राम है जो डॉक्टरों, अस्पतालों और अन्य हेल्थकेयर प्रोवाइडर, फार्मेसी, बीमा कंपनियों और नागरिकों के अंतर को कम करेगा।
‘राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन’ एक दूरदर्शी निर्णय है, जो एक स्वस्थ भारत का निर्माण कर स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति लाएगा, इसके लिए @NarendraModi जी का आभार व्यक्त करता हूँ। इसमें प्रत्येक नागरिक को स्वास्थ्य ID दी जाएगी जिसमें उनके सभी मेडिकल रिकॉर्ड के विवरण संग्रहित होंगे। pic.twitter.com/ecOtQyPwuL
— Amit Shah (@AmitShah) August 15, 2020
कैसे बनेगा प्रत्येक नागरिक का यूनिक हेल्थ आईडी?
- जिस तरह आधार स्कीम के तहत प्रत्येक भारतीय नागरिक को पहचान मिली है, वैसे ही प्रत्येक नागरिक को यूनिक हेल्थ आईडी देंगे। यह हेल्थ इंफर्मेशन का रिपॉजिटरी होगा।
- यह अनिवार्य नहीं होगा बल्कि स्वैच्छिक होगा। कोई अपने हेल्थ रिकॉर्ड को डिजिटली उपलब्ध कराना चाहता है, तो वह हेल्थ आईडी बनाकर इसकी इजाजत दे सकता है।
- हेल्थ आईडी में हर एक की बुनियादी जानकारी और मोबाइल नंबर या आधार होगा। इसका इंफ्रास्ट्रक्चर स्वास्थ्य मंत्रालय की एजेंसी नेशनल हेल्थ अथॉरिटी बनाएगी।
- हेल्थ आईडी किसी भी मरीज का डिजिटाइज्ड स्वास्थ्य खाता होगा। मेडिकल हिस्ट्री, डॉक्टरों के पुराने परचे, नए परचे, किए गए डायग्नोस्टिक टेस्ट रिपोर्ट आदि इस पर रहेंगे।
- हेल्थ आईडी मोबाइल ऐप्लिकेशन के तौर पर उपलब्ध रहेगा। इसके फीचर कुछ ऐसे हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसमें रजिस्ट्रेशन के लिए आकर्षित किया जाएगा।
प्रत्येक नागरिक के हेल्थ डेटा पर अधिकार किसका होगा?
- सरकार ने यह भी आश्वासन दिया है कि डेटा को सुरक्षित रखा जाएगा। किसी व्यक्ति की सहमति के बिना उसे किसी और के साथ शेयर नहीं किया जा सकेगा।
- मरीज/अस्पताल/मेडिकल प्रोफेशनल्स यदि कोई डेटा अपलोड करता है और शेयरिंग इनेबल करता है तो उस पर नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (एनएचए) का अधिकार होगा।
- मिशन के तहत डॉक्टरों व अस्पतालों को डिजिटल कॉपी अपलोड करना होगा। भले ही उन्होंने उसकी हार्ड कॉपी मरीज को दी हो। इस तरह हेल्थ रिकॉर्ड ऑनलाइन बनता रहेगा।
- मिशन डॉक्युमेंट के मुताबिक एनडीएचएम में गोपनीयता और निजता का ध्यान रखने के लिए डिजिटल कंसेंट फ्रेमवर्क बनेगा, जो डिजिलॉकर कंसेंट मैनेजमेंट फ्रेमवर्क पर बनेगा।
नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन कहां और कैसे लागू होगा?
कब से लागू होगा #NationalDigitalHealthMission?
पत्रकारों के इस सवाल का जवाब देते हुए मैंने बताया कि पहले चरण में देश के 6 संघ शासित प्रदेशों में यह योजना लागू हो गई है और इसके लिए रजिस्ट्रेशन भी प्रारंभ हो गई है।@PMOIndia #IndependenceDay #AatmaNirbharBharat pic.twitter.com/Dl7q6DXmmV
— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) August 15, 2020
- स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि यह योजना केंद्र शासित प्रदेशों चंडीगढ़, लद्दाख, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, पुडुचेरी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप में एक पायलट स्कीम के तौर पर 15 अगस्त को लॉन्च हो चुकी है।
- इन केंद्रशासित प्रदेशों में इस पायलट स्कीम को लागू करने के बाद उसके लाभों की स्टडी की जाएगी। इसके आधार पर राज्यों से भागीदारी की जाएगी। इसके तहत नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन शुरू होगा।
नेशनल डिजिटल हेल्थ डेटाबेस से क्या होगा फायदा?
- मिशन का अप्रोच सिटीजन-सेंट्रिक है। छह बुनियाद हैं- हेल्थआईडी, डिजिडॉक्टर, हेल्थ फेसिलिटी रजिस्ट्री, पर्सनल हेल्थ रिकॉर्ड, ई-फार्मेसी और टेलीमेडिसिन।
- हर भारतीय नागरिक को हरसंभव बेहतर स्वास्थ्य सेवा को उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। नेशनल हेल्थ अथॉरिटी इसका इकोसिस्टम डिजाइन करेगी और लागू करेगी।
- सही डॉक्टर तलाशने, अपॉइंटमेंट लेने, कंसल्टेशन फी का भुगतान करने, प्रिस्क्रिप्शन शीट्स के लिए अस्पतालों के चक्कर लगाने जैसी चुनौतियों से छुटकारा मिलेगा।
- ई-फार्मेसी और टेलीमेडिसिन को छोड़कर इन सभी डिजिटल प्रोडक्ट्स को उपलब्ध करा दिया गया है। ये संचालित किए जा रहे हैं।
- हेल्थ सर्विस डिलीवरी की दक्षता, प्रभावशीलता और पारदर्शिता सुधरेगी। यह यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज के यूएन सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल की दिशा में यह प्रमुख प्रगति है।
डिजिटल हेल्थ मिशन से पारदर्शिता कैसे आएगी?
- डिजिटल हेल्थ मिशन कई स्तरों पर मददगार साबित होगा। डॉक्युमेंटेशन कम होगा। बच्चे के जन्म लेने के बाद से उसे लगने वाले टीके इस पर दर्ज होंगे। साथ ही उसका यदि कोई इलाज हुआ है तो पूरा रिकॉर्ड इस पर होगा।
- इस योजना के लागू होने के बाद अस्पताल और डॉक्टर इलाज के नाम पर ज्यादा पैसे नहीं ऐंठ पाएंगे। यदि कोई डॉक्टर मरीजों को गैरजरूरी एंटीबायोटिक दवाइयां लिखते हैं तो उनकी जवाबदेही तय होगी। दवाई और बीमारी का पूरा रिकॉर्ड उस नंबर से जुड़ा होगा।
- उम्मीद है कि 2021 की शुरुआत में भारत डिजिटल हेल्थप्रवाइडर्स को मान्यता देने लगेगा। जो सिस्टम आम तौर पर तीन साल में बनता है, भारत में चार महीने में बनाने की कोशिश हो रही है।
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