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सरकार ने अब पहले से बैन 59 चीनी ऐप्स के 47 क्लोन बैन किए; क्या पबजी समेत 275 अन्य ऐप्स पर भी प्रतिबंध लगेगा?

4 दिन पहले

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  • 29 जून को 59 और 24 जुलाई को 47 चीनी ऐप्स बैन किए गए, अब तक कुल 106 चीनी ऐप्स पर बैन लग चुका है
  • प्रतिबंधित करने की वजह ऑपरेशनल एथिक्स यानी ऐप्स यूजर डेटा को चीन की खुफिया एजेंसियों तक पहुंचा रहे थे
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केंद्र सरकार ने 29 जून को 59 चीनी ऐप्स को भारत में प्रतिबंधित किया था। सोमवार को उनके 47 क्लोन ऐप्स को भी प्रतिबंधित कर दिया है। इन्हें मिलाकर अब तक 106 चीनी ऐप्स पर बैन लग चुका है। अब कहा जा रहा है कि पबजी, अली एक्सप्रेस समेत 275 ऐप्स पर नजर रखी जा रही है। इन पर भी बैन लगाया जा सकता है। अब सवाल उठता है कि यह क्लोन ऐप क्या होता है? किस तरह यह ऐप भारत के लिए खतरा बन रहे थे?

सरकार का फैसला क्या है और क्यों?

  • इंफर्मेशन और टेक्नोलॉजी मंत्रालय ने 24 जुलाई को 47 ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया। यह 29 जून को बैन किए गए 59 चीनी ऐप्स के क्लोन हैं।
  • इन ऐप्स को बैन करने की इकलौती वजह बताई जा रही है, इन ऐप्स के ‘ऑपरेशनल एथिक्स’। इसी के चलते इन ऐप्स पर नजर रखी जा रही थी।
  • ‘ऑपरेशनल एथिक्स’ का मतलब यह है कि यह ऐप्स यूजर डेटा को चीन की खुफिया एजेंसियों तक पहुंचा रहे थे। इससे देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है।
  • चीनी कानून के तहत चीनी मूल की कंपनियां खुफिया एजेंसियों से यूजर डेटा शेयर करती है। फिर भले ही उनके ऑपरेशन देश से बाहर क्यों न हो।
  • इसी को आधार बनाकर भारत ने 29 जून को टिकटॉक, शेयरइट, यूसी ब्राउजर और कैमस्कैनर जैसे 59 लोकप्रिय ऐप्स को बैन कर दिया था।
  • यह बैन ऐसे समय हुआ, जब भारत-चीन सीमा पर स्थित गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प हुई थी और उसमें 15 जून को 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे।
  • आईटी एक्ट के सेक्शन 69ए के तहत इन ऐप्स को बैन किया गया है। इनमें कुछ ऐप्स देश में सबसे ज्यादा डाउनलोड किए गए ऐप्स में शामिल थे।

47 क्लोन ऐप्स पर बैन क्यों? पहले क्यों नहीं किया इन्हें बैन?

  • जिन 47 क्लोन ऐप्स को बैन किया गया है, उनमें टिकटॉक लाइट, हेलो लाइट, शेयरइट लाइट, बिगो लाइट और वीएफवाय लाइट शामिल हैं।
  • जब सरकार ने पिछले महीने 59 ऐप्स बैन किए तो उनके क्लोन यानी उनके जैसे फीचर वाले ऐप्स का डाउनलोड बढ़ गया। यह सरकार की नजर में आया।
  • टिकटॉक, शेयरइट और कैमस्कैनर से मिलते-जुलते कुछ ऐप्स तो गूगल के प्ले स्टोर के टॉप 10 डाउनलोडेड ऐप्स की सूची में शामिल हो गए।
  • इसी को आधार बनाकर तफ्तीश की गई और नजर रखी गई तो पता चला कि यह 47 चीनी क्लोन ऐप्स भी डेटा चीन की खुफिया एजेंसियों तक पहुंचा रहे हैं।

अब पबजी पर बैन की बात क्यों हो रही है?

  • पबजी अकेले पर बैन की बात नहीं है। सूत्रों का कहना है कि सरकार प्लेयर अननोन्स बैटलग्राउंड (पबजी) समेत 275 ऐप्स पर नजर रख रही है।
  • पबजी भारत समेत कई देशों में सबसे लोकप्रिय मोबाइल गेम्स में से एक है। सिर्फ भारत में इस ऐप के 175 मिलियन डाउनलोड हो चुके हैं।
  • पबजी को दक्षिण कोरियाई वीडियो गेम कंपनी ब्लूहोल ने डेवलप किया है। हालांकि, चीनी मल्टीनेशनल कंपनी टेन्सेंट की इसमें िहस्सेदारी है।
  • पबजी इससे पहले भी निशाने पर रहा है। कई बच्चों में इसकी लत से उनके माता-पिता परेशान हैं। कुछ राज्यों ने तो इसे अस्थायी तौर पर बैन भी किया था।
  • पबजी ने इसके बाद आश्वस्त किया था कि पैरेंट्स, एजुकेटर्स और सरकारी संगठनों से राय लेकर सुरक्षित इकोसिस्टम बनाएगा।

पबजी के अलावा लिस्ट में और कौन-कौन है?

  • 275 ऐप्स की लिस्ट में पबजी के अलावा शाओमी का जिली, अलीबाबा ग्रुप का अलीएक्सप्रेस, रेसो और बाइटडांस का यूलाइक ऐप भी शामिल है।
  • डेटा शेयरिंग और प्राइवेसी की चिंताओं के चलते इन ऐप्स को रेड-फ्लैग किया गया है। हालांकि, अब तक इन्हें बैन करने पर कोई फैसला नहीं हुआ है।
  • शाओमी के 14 ऐप्स, कुछ कम लोकप्रिय ऐप्स -कैपकट, फेसयू, मीटू, एलबीई टेक, परफेक्ट कॉर्प, नेटइज गेम्स और यूजू ग्लोबल इस लिस्ट में है।
  • लिस्ट में हेलसिंकी बेस्ड सुपरसेल भी शामिल है जिसमें चीनी टेक कंपनियों का पैसा लगा है। सिना कॉर्प भी एक ऐसा ही ऐप है।

ऐप चीन का नहीं है तो भी बैन क्यों?

  • नेशनल साइबर सिक्योरिटी कोऑर्डिनेटर राजेश पंत के अनुसार, कंपनी भले ही सिंगापुर की हो। उसका सर्वर चीन में है, और चीन डेटा कलेक्ट कर रहा है।
  • जिन ऐप्स या टेक कंपनियों में चीन की मूल कंपनियों का पैसा लगा है, उससे खतरा है। कंपनियां चीनी होने से उन्हें सरकार से डेटा शेयर करना मजबूरी है।
  • सरकार ने इन ऐप्स को बैन करने की प्रक्रिया निर्धारित की है। संबंधित मंत्रालय को भारत में ऐप्स की निरंतर जांच के लिए एक कानून बनाने को कहा गया है।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स और इंफर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय के एक अधिकारी का दावा है कि इस तरह के बैन जारी करने के लिए एक कमेटी बनाई गई है।

क्या विदेशों में भारत की तर्ज पर बैन हो रहे हैं चीनी ऐप?

  • जे सागर एसोसिएट्स के पार्टनर सजय सिंह का कहना है कि वैश्विक स्तर पर कई देशों में अपने नागरिकों के डेटा की सुरक्षा को लेकर यह ट्रैंड दिख रहा है।
  • 2022 में भारत में स्मार्टफोन यूजर्स की संख्या 44 करोड़ के पार हो जाएगी। ऐसे में भारत सरकार ने अपने नागरिकों के डाटा की सुरक्षा की पहचान की है।
  • चीन में टेलीकॉम, ओटीटी समेत कई बड़ी कंपनियां सरकार के साथ लिंक हैं। इसी वजह से डेटा सिक्योरिटी के मुद्दे पर चीनी कंपनियों का विरोध हो रहा है।
  • अमेरिका के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों में भी चीनी ऐप्स से डेटा चोरी की शिकायतों के बाद कार्रवाई की मांग तेज हो रही है। हालांकि, अब तक किसी ने भारत की तर्ज पर किसी ऐप पर बैन नहीं लगाया है।

आखिर ऐप क्लोन क्या होता है?

  • ऐप क्लोन का मतलब होता है किसी अन्य वेबसाइट या ऐप थीम को आधार बनाकर उसकी डिजाइन और कंसेप्ट को कॉपी कर नया ऐप बनाना।
  • लेकिन क्लोनिंग का मतलब यह नहीं है कि ओरिजिनल जैसा बना लेना, बल्कि उसका आइडिया लेकर यूनिक फीचर उसमें जोड़कर नया बनाना है।
  • ऐप क्लोनिंग बहुत लोकप्रिय है और कई ऐप डेवलपमेंट कंपनियां ऐसा कर रही हैं। उबर, ओला, लिफ्ट आदि लोकप्रिय ऐप्स की हूबहू नकल तैयार हो चुकी है।
  • किसी भी ऐप को नए सिरे से डिजाइन करने में वक्त और इन्वेस्टमेंट लगता है। इससे बचने के लिए नई कंपनियां अक्सर पुराने ऐप के क्लोन बना देती हैं।
  • हकीकत तो यह है कि फेसबुक जैसे सफल ऐप भी किसी न किसी ऐप की कॉपी ही है। लेकिन उनके यूनिक फीचर उन्हें सफल बना देते हैं।

क्या ऐप की क्लोनिंग कानूनन वैध है?

  • हां। जब तक कि कोई ऐप डिजाइनर मौजूदा बिजनेस के आईपी, कॉपीराइट, पेटेंट और ट्रेडमार्क का उल्लंघन नहीं करता, तब तक यह यह कानूनन वैध है।
  • दरअसल, क्लोनिंग और ऐप क्लोनिंग अलग-अलग है। समझना होगा कि पूरे ऐप की कॉपी नहीं हो रही बल्कि सिर्फ आइडिया चुराया जा रहा है।
  • रेडीमेड क्लोन स्क्रिप्ट को कस्टमाइज कर नया ऐप तैयार किया जा सकता है। इससे डेवलपमेंट का वक्त बचता है। साथ ही खर्च भी कम हो जाता है।

क्या यह चीन के खिलाफ भारतीय कार्रवाई है?

  • बिल्कुल। पिछले हफ्ते भारत ने जनरल फाइनेंशियल रूल्स 2017 बदले थे। चीनी कंपनियों के लिए भारत में टेंडरिंग प्रक्रिया में भाग लेना मुश्किल बनाया है।
  • इस आदेश में कहा गया है कि भारत से सीमा साझा करने वाले देश के वेंडर्स टेंडर में तभी भाग ले सकते हैं जब उन्होंने सक्षम प्राधिकारी के पास रजिस्ट्रेशन कराया हो।
  • रजिस्ट्रेशन के लिए डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (डीपीआईआईटी) ने कमेटी बनाई है। विदेश और गृह मंत्रालय से सिक्योरिटी क्लीयरेंस भी इसके लिए जरूरी है।
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