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पर्यावरण बेहतर बनाने की पहल: 90% समुद्र के प्लास्टिक कचरे से बनाई गई बार्बी, एक डॉल की कीमत 1300 रु.; कम्पनी का दावा, 2030 तक 100% प्लास्टिक से तैयार होगी

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Hindi NewsHappylifeBarbie Made From 90% Ocean Plastic Waste, A Dollop Of Rs 1,300; The Company’s Claim Will Be 100% Eco friendly By 2030

20 घंटे पहले

कॉपी लिंकबार्बी के नए कलेक्शन में तीन तरह की डॉल पेश की गई हैं। - Dainik Bhaskar

बार्बी के नए कलेक्शन में तीन तरह की डॉल पेश की गई हैं।

नए कलेक्शन का नाम ‘बार्बी लव्स द ओशियन’ रखा2 सितम्बर से मार्केट में उपलब्ध होगा कलेक्शन

समुद्र से प्लास्टिक कचरे को कम करने की पहल में बार्बी डॉल बनाने वाली कम्पनी मैटल भी शामिल हो गई है। कम्पनी ने हाल में अपना नया कलेक्शन पेश किया है। इस कलेक्शन में तीन बार्बी डाल हैं, जिसे समुद्र से इकट्ठा किए गए प्लास्टिक कचरे को रिसायकल करके तैयार किया गया है।

बार्बी डॉल का 90 फीसदी रिसायकल किए गए कचरे से तैयार किया गया है। कम्पनी मैटल का का कहना है वो 2030 तक इस आंकड़े को 100 फीसदी तक ले जाएगी और प्रोडक्ट व पैकिंग में भी रिसायकल प्लास्टिक कर इस्तेमाल किया जाएगा।

सिर्फ सिर और बालों को वर्जिन प्लास्टिक से तैयार कियाकम्पनी के मुताबिक, डॉल में 90 फीसदी समुद्र के प्लास्टिक वेस्ट और 10 फीसदी वर्जिन प्लास्टिक का इस्तेमाल किया गया है। वर्जिन प्लास्टिक की मदद से सिर्फ सिर और बालों को तैयार किया गया है ताकि उसका लुक पहले जैसा बरकरार रहे। कम्पनी का कहना है, यह कलेक्शन 2 सितम्बर से मार्केट में उपलब्ध होगा। एक डॉल की कीमत 1300 रुपए है।

बार्बी की थीम ‘ओशियन बीच’बार्बी के नए कलेक्शन का नाम है ‘बार्बी लव्स द ओशियन’। इसमें मौजूद तीनों बार्बी डॉल्स को समुद्रतट की थीम के मुताबिक तैयार किया गया है। कंपनी की वाइस प्रेसिडेंट लीसा मैकनाइट का कहना है, पिछले 62 सालों में काफी बदलाव हुआ है। हम आगे भी ऐसी पहल करना जारी रखेंगे जो बच्चों को बेहतर संदेश दे। नया कलेक्शन उसी पहल का एक उदाहरण है।

लीसा कहती हैं, हम बड़े स्तर पर बच्चों का इस बदलाव का हिस्सा बनाना चाहते हैं ताकि वे दुनिया को वैसा देख सकेंगे जैसा वो देखना चाहते हैं।

इस्तेमाल हुए खिलौने भी होंगे रिसायकलमैटल ने टॉय रिटर्न प्रोग्राम शुरू किया है। प्रोग्राम के मुताबिक, पुराने खिलौनों को रिसायकल करके नए खिलौने तैयार किए जाएंगे। कम्पनी का कहना है, ऐसा करने से प्लास्टिक कचरे में कमी आएगी।

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