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उत्सव: 28 मार्च को होलिका दहन के समय नहीं रहेगी भद्रा, इन बनेंगे 4 शुभ योग, 29 को खत्म होगा होलाष्टक

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3 घंटे पहले

कॉपी लिंकजानिए होलाष्टक में शुभ काम क्यों नहीं किए जाते, फाल्गुन पूर्णिमा पर कौन-कौन से शुभ काम करें

हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर होता होलिका दहन किया जाता है। इस बार ये पर्व रविवार, 28 मार्च को मनाया जाएगा। इसके बाद अगले दिन यानी 29 मार्च को होली खेली जाएगी। होली से आठ दिन पहले 21 मार्च से होलाष्टक शुरू हो जाएगा। 29 मार्च तक होलाष्टक रहेगा। मान्यता है कि इन दिनों में मांगलिक कर्म नहीं करना चाहिए।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार इस साल होलिका दहन के समय भद्रा नहीं रहेगी। 28 मार्च को भद्रा दोपहर करीब 1.35 तक ही रहेगी। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग भी रहेगा। रविवार को शाम 6 बजे तक उत्तराभाद्रपद नक्षत्र और इसके बाद हस्त नक्षत्र रहेगा। रविवार को ये नक्षत्र होने से मित्र और मानस नाम के शुभ योग भी बन रहे हैं।

होलाष्टक में क्या करें और क्या न करें

होलाष्टक के दिनों में शादी, सगाई, नवीन घर में प्रवेश, अन्य मांगलिक कार्य, कोई बड़ी खरीदारी और अन्य शुभ संस्कार नहीं करना चाहिए। इन दिनों में पूजा-पाठ करें। अपने इष्टदेव के मंत्रों का जाप करें। किसी मंदिर में दान-पुण्य करें।

होलाष्टक से जुड़ी मान्यता

असुरों के राजा हिरण्यकश्चप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का भक्त था। इस बात से हिरण्यकश्यप बहुत क्रोधित था और अपने ही बेटे को मारने के लिए उसने कई बार प्रयास किए। असुरराज की बहन थी होलिका। होलिका को वरदान मिला था कि अग्नि उसे जला नहीं सकेगी। इसी वजह से वह प्रहलाद को लेकर जलती हुई अग्नि में बैठ गई थी, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद तो बच गया, लेकिन होलिका जल गई। इससे पहले आठ दिनों तक असुरराज ने प्रहलाद को मारने के लिए कई तरह की यातनाएं दी थीं। इन आठ दिनों को ही होलाष्टक माना जाता है। प्रहलाद की दी गई यातनाओं की वजह से होलाष्टक को अशुभ माना जाता है।

फाल्गुन पूर्णिमा पर कौन-कौन से शुभ काम करें

होलिका दहन वाले दिन किसी पवित्र नदी स्नान करें। अगर नदी में स्नान करना संभव न हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। इस दौरान सभी तीर्थों का ध्यान करना चाहिए। स्नान के बाद किसी मंदिर में पूजा-पाठ करें। शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। हनुमानजी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। श्रीकृष्ण के मंत्र कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जाप करें। भगवान विष्णु के मंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करें। मंत्र जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए। किसी जरूरतमंद व्यक्ति को वस्त्र, अनाज और धन का दान करें।

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