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- This Time The Tradition Of 237 Years Old Will Break, Ramlila Ramlila Will Not Be Organized This Time Due To Corona Epidemic.
वाराणसी2 घंटे पहले
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कोरोना महामारी के चलते इस बार रामनगर की रामलीला नहीं होगी। हालांकि ऐसा पहली बार हो रहा है कि सदियों से चली आ रही यह परम्परा टूट रही है। बीमारी के चलते काशी नरेश भी देश से बाहर हैं। फाइल फोटो
- रामलीला के पात्रों को प्रोफेशनल तौर पर किसी को कोई पेमेंट नहीं मिलती है
- काशी नरेश परिवार की तरफ से जो दिया जाता है वही उपहार होता है
देश ही नहीं दुनियाभर में कोरोना संक्रमण से हाहाकार मचा है। कई सारे महत्वपूर्ण आयोजनों पर रोक लगा दी गई है। कुछ ऐसा ही इस बार वाराणसी में होने जा रहा है। बताया जा रहा है कि महामारी के चलते इस बार रामनगर की रामलीला नहीं होगी। यानी पिछले 237 सालों से चली आ रही यह परम्परा इस बार टूट जाएगी।
पुलिस और प्रशासन की अपील पर आयोजकों ने सहयोग करने को कहा है। 1783 में काशी नरेश उदित नारायण के समय से यह रामलीला चली आ रही है। दुनिया के सबसे बड़े ओपन थियेटर (एक किमी से ज्यादा रामनगर का इलाका) में कई जगहों पर 31 दिनों तक लगातार लीला चलती है। पेट्रोमैक्स और बिना लाउडस्पीकर के होती है। इसका मंचन रामचरितमानस के अवधि भाषा में होता है।
इस लीला को देखने हजारों की संख्या में भक्त आते हैं। कभी कुर्सी का इंतजाम भी नहीं किया जाता है। टाट और चटाई पर बैठते हैं। यहां के सभी पात्र रामनगर के ही होते हैं। कुल 27 पात्र मुख्य तौर पर होते हैं। संस्कृत श्लोक जो स्पष्ट बोल ले उस पर खास फोकस होता है।
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शाम 5 बजे लीला शुरू होकर रात्रि 7 से 8 बजे तज चलती है। पात्रों का वस्त्र काशी नरेश के ओर से ही मिलता है। सभी पात्रों का कड़ा अभ्यास कराया जाता है जो महीनों पहले से होता है। कोई ऑडिशन कभी नहीं होता है। राम,सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न की उम्र 15 साल से ज्यादा नहीं होती है।
कोरोना की चपेट में हैं काशी नरेश
कोरोना ने काशी राजपरिवार के सदस्य कुंवर अनंत नारायण सिंह को भी अपनी चपेट में ले लिया है। बताया जा रहा है कि उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई है। 21 अगस्त को उनकी तबीयत खराब होने पर उन्हें एयर एम्बुलेंस से दिल्ली ले जाया गया। उसके बाद उन्हें गुरुग्राम में स्थित मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया। पहली बार ऐसा होगा कि रामनगर के ऐतिहासिक राम लीला नहीं होगी और अनंत नारायण भी काशी में मौजूद नहीं हैं। हर बार वो लीला हाथी पर सवार होकर लीला स्थल पहुंचकर देखते थे।
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