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मार्केट रेगुलेटर सेबी ने मुरली इंडस्ट्रीज और उसके 18 प्रमोटर्स सहित 28 लोगों पर 11 करोड़ रुपए की पेनाल्टी लगाई

  • सेबी के अनुसार यह सभी एक दूसरे से कनेक्टेड होकर शेयरों में कारोबार कर रहे थे
  • टेकओवर के नियमों का उल्लंघन और एक दूसरे के खाते में पैसों का ट्रांसफर कर रहे थे

दैनिक भास्कर

Jun 30, 2020, 06:24 PM IST

मुंबई. पूंजी बाजार नियामक सेबी ने मंगलवार को मुरली इंडस्ट्रीज और इसके 18 प्रमोटर्स सहित कुल 28 लोगों पर 11 करोड़ रुपए की पेनाल्टी लगाई है। यह पेनाल्टी टेकओवर नियमों के उल्लंघन के मामले में लगाई गई है। जिन लोगों पर पेनाल्टी लगाई गई है उसमें प्रमोटर्स  बजरंगलाल मालू, बजरंग बी मालू, दिनेश मालू, लालचंद मालू, लालचंद बी मालू, मधु सुनील मालू, महेश मालू, मुरली मालू, नंदलाल मालू, निर्मला देवी मालू, प्रेमादेवी मालू, संगीता देवी मालू, सरिता मालू, शांतिदेवी मालू, शिल्पा मालू, शोभा मालू, सुनील कुमार मालू का समावेश है। यह सभी प्रमोटर्स हैं।

इनके अलावा रुंचिका अलायज एंड स्टील, इंको इंफ्रा, रामजी एग्री बिजनेस, अंबाजी पेपर्स, कन्हैया माइनिंग, कृष्णाम इनवेस्टमेंट, लखी पैकेजिंग, सिंपल माइनिंग, टाइटन मैनेजमेंट और रामकृष्णा फैब्रिकेशन का समावेश है। सेबी के अनुसार यह सभी मुरली इंडस्ट्रीज के प्रमोटर थे। इन सभी को कंपनी के शेयरों को खरीदने के एवज में टेकओवर के नियमों के तहत खुलासा करना था। इन लोगों ने 15 दिसंबर 2006 को शेयरों को खरीदा था। लेकिन इन लोगों ने इस तरह का कोई खुलासा नहीं किया।

सेबी की जांच में पाया गया कि जिन लोगों ने शेयरों को खरीदा और जिन लोगों ने बेचा वे सभी एक दूसरे से पहले से ही कनेक्टेड थे। इसके मुताबिक प्रमोटर्स के अलावा जो 10 लोग थे, उनके पास कुल 29.83 प्रतिशत शेयर था। जबकि प्रमोटर्स ग्रुप की होल्डिंग मिला दें तो इसके साथ ही कुल होल्डिंग 85.18 प्रतिशत हो जाती है।

सेबी के मुताबिक मुरली इंडस्ट्रीज ने शेयरों के प्रफरेंशियल अलॉटमेंट से पहले साइकाम से 4.86 करोड़ रुपए 5 लोगों ने अलग अलग लिया। इसके एवज में इन लोगों ने मुरली इंडस्ट्रीज के 5 लाख इक्विटी शेयरों को गिरवी रख दिया था। हालांकि गिरवी रखने से पहले मुरली इंडस्ट्रीज के प्रमोटर्स को 1.5 लाख शेयर सभी से अलग अलग लेना था। इस तरह से कुल 5 लोगों से 7.5 लाख शेयर मुरली इंडस्ट्रीज को लेना था।

सेबी की जांच में पाया गया कि ये सभी लोग आपस में कनेक्टेड थे और इन्होंने एक दूसरे को बाद की तारीख का चेक भी दे रखा था। लेकिन बाद में यह सब एक ही लोग निकले। बाद में पता चला कि जो पांच लोग थे, उनका कोई बिजनेस नहीं था और वे लोग आईसीडी लेने की पोजीशन में नहीं थे।

सेबी ने कहा कि मुरली इंडस्ट्रीज ने 28.27 करोड़ रुपए मधुलिका को बिना किसी कोलैटरल के 20 नवंबर 2007 को कर्ज दिया था। हालांकि मधुलिका ने यह राशि तुरंत पांच लोगों कन्हैया, रुनिचा, रामजी, इंको और अंबाजी को को ट्रांसफर कर दिया। इसमें से मधुलिका ने सवा लाख रुपए अपने पास रख लिया। इससे यह पता चला कि प्रमोटर ने जो प्लांट और मशीनरी के लिए ट्रांसफर की बात कही थी, वह झूठा निकला। मधुलिका ने कभी भी इस पैसे का उपयोग प्लांट या मशीनरी के लिए उपयोग नहीं किया। मधुलिका को इस मामले में केवल फ्रंट एंटिटि के रूप में ट्रांसफर करने के लिए उपयोग किया गया था।

सेबी ने पाया की सभी कनेक्टेड कंपनीज का प्रबंधन अमित राजा कर रहे थे। राजा सीए थे और जांच में पाया गया कि इनका सभी के साथ कनेक्शन था। यही नहीं, कई और कंपनियां भी इसी तरह कनेक्टेड थीं। सेबी ने पाया कि मुरली इंडस्ट्रीज और प्रमोटर्स ने इन कनेक्टेड कंपनियों के लिए फंडिंग की व्यवस्था की। यह एक मोडस ऑपरेंडी थी।

बैंक खाते से पता चला कि 2007 में मुरली इंडस्ट्रीज ने कुल 1.82 करोड़ रुपए रामकृष्णा को ट्रांसफर किया। रामकृष्णा भी एक दूसरे से कनेक्टेड थे। यह सभी कनेक्टेड कंपनीज मुरली इंडस्ट्रीज के शेयर में कारोबार कर रहे थे। 10 कनेक्टेड कंपनियां एक दूसरे से कनेक्शन में थीं। इसमें कंपनी के प्रमोटर्स भी थे।

सेबी ने यह भी पाया कि साइकाम ने पांच कनेक्टेड एंटीटीज को गारंटी लेटर के आधार पर लोन दिया। यह लेटर मुरली इंडस्ट्रीज ने दिया था। इसके प्रमोटर्स भी लेटर दिए थे।    

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