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हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के नियमों में बदलाव के लिए आरबीआई ने जारी किया प्रस्ताव, मांगा पार्टियों से राय

  • पहले एचएफसी का रेगुलेशन नेशनल हाउसिंग बैंक करता था
  • पिछले साल अगस्त में आरबीआई के पास चला गया एचएफसी

दैनिक भास्कर

Jun 18, 2020, 03:22 PM IST

मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक ने हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (एचएफसी) के लिए सख्त नियमों का प्रस्ताव किया है। इस प्रस्ताव में हितों के टकराव (conflict of interest) को रोकने की बात कही है। इसमें ग्रुप की कंपनियों में लोन और निवेश पर लगाम लगाने की बात कही गई है। जबकि “हाउसिंग फाइनेंस” की परिभाषा को बदलना और मॉर्गेज इंडस्ट्री के लिए सिस्टमैटिक रूप से महत्वपूर्ण बड़ी कंपनियों की पहचान करने के लिए मैकेनिज्म स्थापित करना शामिल है।

डबल फाइनेंसिंग पर लगेगी रोक

आरबीआई ने कहा कि एचएफसी या तो रियल एस्टेट कारोबार में ग्रुप कंपनी में एक्सपोजर ले सकती हैं या ग्रुप की कंपनियों के प्रोजेक्ट्स में रिटेल घर खरीदारों (retail individual home buyers) को उधार दे सकती हैं। हालांकि इन दोनों को एक साथ नहीं कर सकते हैं। आरबीआई ने एक ड्राफ्ट रेगुलेशन में कहा कि इसका उद्देश्य ग्रुप कंपनियों को लोन देने के कारण दोहरे वित्तपोषण (double financing) पर चिंताओं को समाप्त करना है। इसमें कंपनियों से फ्लैट खरीदने वाले व्यक्तियों को भी शामिल करना है।

इसमें कहा गया है कि एचएफसी का एक्सपोजर (लोन और निवेश) ग्रुप की एक कंपनी में 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता है। जबकि पूरे ग्रुप में 25 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता है।

हाउसिंग फाइनेंस की परिभाषा बदलने की कोशिश

आरबीआई “हाउसिंग फाइनेंस” की परिभाषा को बदल रहा है। इसमें अपने दायरे में रेसिडेंशियल यूनिट्स, स्कूलों और अस्पतालों के निर्माण के लिए बिल्डरों को लोन शामिल करने का प्रस्ताव रखा है। लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी को इससे बाहर रखा गया है। आरबीआई ने कहा कि एचएफसी के नेट असेट्स का न्यूनतम 50 प्रतिशत “हाउसिंग फाइनेंस” होना चाहिए। इसमें इंडिविजुअल लोन पोर्टफोलियो बनाने के लिए कंपनियों को चार साल के समय का सुझाव दिया गया था। यह हाउसिंग फाइनेंस बुक का कम से 75 प्रतिशत होगा। इसे बनाए रखने में अगर कंपनी फेल होती है तो एचएफसी को एनबीएफसी -निवेश और क्रेडिट कंपनियों (एनबीएफसी-आईसीएस) के रूप में माना जाएगा।

न्यूनतम ओनरशिप वाले फंड को दोगुना कर 20 करोड़ रुपए किया जाएगा

आरबीआई ने यह भी कहा कि मौजूदा होम लोन कर्जदाताओं को दो साल में अपने न्यूनतम ओनरशिप वाले फंड को दोगुना कर 20 करोड़ रुपए करने की जरूरत होगी। “इस कदम का उद्देश्य कैपिटल बेस को मजबूत करना है। विशेष रूप से उन छोटी एचएफसी कंपनियों का जो एनएचबी एक्ट के तहत आती हैं। जिन्होंने रजिस्टर्ड कराने का प्रस्ताव रखा है। आरबीआई ने 15 जुलाई तक इस पर सभी पार्टियों से राय मांगी है।

कई और नियमों का पालन करने की जरूरत

आधार हाउसिंग फाइनेंस के एमडी देव शंकर त्रिपाठी ने कहा कि आरबीआई ने एचएफसी के कुछ नियमों को एनबीएफसी के साथ एलाइन करने का प्रस्ताव किया है। इन प्रस्तावों में लिस्टेड शेयरों की जमानत के बदले में कर्ज देने से संबंधित नियमों का भी पालन किया जाएगा। बता दें कि आरबीआई ने नेशनल हाउसिंग बैंक (एनएचबी) से एचएफसी का रेगुलेशन अपने हाथ में ले लिया था। इसलिए यह माना जा रहा था कि एचएफसी पर लागू मौजूदा नियमों की समीक्षा होगी।

आरबीआई पिछले साल अगस्त से सीधे एचएफसी को रेगुलेट कर रहा है। एचएफसी के प्रमुख व्यवसाय में स्पष्टता की कोशिश की जा रही है। 

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