केंद्र सरकार ने प्रवासी मजदूरों के मामले में शनिवार कोसुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर दिया। इसमें सरकार ने कहा है कि मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई गईं। कई राज्य सरकारों ने बसों की सुविधा दी। मजदूरों को मुफ्त में खाना-पानी, दवाइयां, कपड़े, चप्पल और अन्य जरूरी चीजें मुहैया कराई गई हैं। सड़क पर पैदल चल रहे मजदूरों कोनेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) की मदद से उनके घर तक पहुंचाया गया।
सरकार ने हलफनामे में यह भी कहा कि राज्य सरकारें और रेलवे प्रवासी मजदूरों को मुफ्त में भोजन और पानी उपलब्ध कराते हैं। एक जून तकरेलवे ने संबंधित राज्य सरकारों की ओर से दी जा रही सुविधाओं को छोड़कर 1.63 करोड़ भोजन के पैकेट और 2.10 करोड़ से ज्यादा पानी की बोतलें बांटी हैं।
मजदूरों के रहने के लिए कैंपबनाए
केंद्र सरकार ने कहा कि कई राज्यसरकारों ने पैदल चल रहे मजदूरों के रूकने के लिए भी व्यवस्था की। जगह-जगह कैंप बनाए गए थे जहांमजदूरों को रहने, खाने-पीने की सुविधा दी। बीमार पड़ने वाले मजदूरों को चिकित्सीय सहायता दी गई।
9 जून को आएगा फैसला
इसके पहले5 जून को सुप्रीम कोर्ट में प्रवासी मजदूरों केमुद्दे परसुनवाई हुई थी। कोर्ट ने केंद्र सरकार से मजदूरों को अगले 15 दिनों में उनके घर तक पहुंचाने को कहा था। कोर्ट ने राज्य सरकारों से कहा था कि वह सभी प्रवासी मजदूरों के रोजगार की व्यवस्था सुनिश्चित करें। कोर्ट ने केंद्र और राज्यों की तमाम दलीलों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। अब मंगलवार 9 जून को इस मामले में फैसला आना है।
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