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डॉ. हर्षवर्धन ने कहा- हमने कोरोना से लड़ने के लिए सर्वश्रेष्ठ कोशिशें कीं; चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग बोले- हमने जिम्मेदारी के साथ काम किया

  • वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा- अगर हम कोरोना का वैक्सीन बना लेते हैं, तो हर किसी तक इसकी पहुंच होनी चाहिए
  • जर्मन चांसलर ने डब्ल्यूएचओ में और सुधार करने के सुझाव दिए, साथ ही कहा कि महामारी से लड़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग जरूरी था

दैनिक भास्कर

May 19, 2020, 12:16 AM IST

जेनेवा. वर्ल्ड हेल्थ असेंबली सोमवार से शुरू हो गई। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि कोरोना से लड़ने लिए हमें और ज्यादा ग्लोबल यूनिटी की जरूरत है। इससे विकासशील देशों में और ज्यादा नुकसान होने की संभावना है। वहीं, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा- हमने कोरोना महामारी से निपटने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया। भारत ने हर आवश्यक कदम उठाया है। हम अभी भी सीख रहे हैं। हमें भरोसा है कि हम आने वाले वक्त में और बेहतर करेंगे।

इससे पहले, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि महामारी से निपटने के लिए हम सभी ने खुलेपन, पारदर्शिता और जिम्मेदारी के साथ काम किया है। उन्होंने कहा कि जब महामारी काबू में आ जाए इसके बाद ही जांच की जानी चाहिए। हालांकि, उन्होंने कहा कि यह निष्पक्ष हो और अपने उद्देश्य को पूरा करने वाला हो। ताइवान लाख कोशिशों के बावजूद भी वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में शामिल नहीं हो पाया। 

कोरोना से निपटने के लिए 2 साल में 15 हजार करोड़ देगा चीन  
जिनपिंग ने अगले दो साल में कोरोना से निपटने के लिए 2 बिलियन डॉलर (करीब 15 हजार करोड़ रु.) देने का घोषणा की। उन्होंने भरोसा दिलाया कि अगर चीन में कोरोना का वैक्सीन तैयार होता है तो इसे वैश्विक तौर पर सार्वजनिक सामान घोषित किया जाएगा।

स्वास्थ्य को लेकर लड़ा नहीं जा सकता: मैक्रों
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा- वायरस से निपटने के लिए हमने वैश्विक दृष्टिकोण के महत्व पर ज्यादा जोर दिया। अगर हम इसका वैक्सीन बना लेते हैं, तो हर किसी तक इसकी पहुंच होनी चाहिए। जब तक यह बीमारी कुछ के लिए खतरा बनी रहेगी, तब तक सबको इससे खतरा रहेगा। स्वास्थ्य को लेकर लड़ा नहीं जा सकता। न ही इसे खरीदा या बेचा जा सकता है।

मर्केल ने डब्ल्यूएचओ का बचाव किया
जर्मन चांसलर एंजेला मर्कल ने डब्ल्यूएचओ का बचाव किया। साथ ही कहा कि इसमें और सुधार करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि यह एक वैश्विक संस्था है। जहां सभी एक सूत्र में आते हैं। यही वह स्थिति है, जिस पर हमें ध्यान देना होगा कि हम अपने कामकाज को और बेहतर कैसे बना सकते हैं। महामारी पर काबू पाने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग जरूरी था।

यह डब्ल्यूएचओ की 73वीं असेंबली है।  इससे पहले ऑस्ट्रेलिया और यूरोपियन यूनियन (ईयू) ने महामारी पर डब्ल्यूएचओ के जवाब की निष्पक्ष जांच की मांग की है। भारत समेत 62 देशों ने इसका समर्थन किया है। इसमें कई देश कोरोना की जांच को लेकर एक प्रस्ताव रखेंगे। प्रस्ताव में कोरोना को रोकने के लिए किए गए डब्ल्यूएचओ के कामों और इसके लिए तय की गई समय सीमा की भी जांच करने की मांग की गई है।

इसमें कहा गया है कि जांच में सदस्य देशों को शामिल किया जाए। इन देशों की सलाह से जांच के लिए मौजूदा प्रणाली के साथ एक चरणबद्ध प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए। महामारी से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए गए काम से क्या अनुभव हासिल हुए, इसकी समीक्षा की जानी चाहिए। वर्ल्ड हेल्थ असेंबली, डब्ल्यूएचओ का ही हिस्सा है।

किन देशों ने किया प्रस्ताव का समर्थन
यूरोपियन यूनियन के समर्थन के साथ पेश किए गए जांच प्रस्ताव का समर्थन करने वाले प्रमुख देशों में जापान, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया, ब्राजील और कनाडा शामिल हैं। वर्ल्ड हेल्थ असेंबली की बैठक इस बार कोरोना को देखते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हो रही है। भारत की ओर से इसमें स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन शामिल होंगे। इस बैठक के दो दिन बाद ही 22 मई काे डब्ल्यूएचओ के एग्जीक्यूटिव बोर्ड की बैठक होगी। इसमें भारत को डब्ल्यूएचओ के फैसले पर निर्णय लेने वाले बोर्ड का प्रमुख बनाया जाएगा।

ऑस्ट्रेलिया जांच की मांग करने वाला पहला देश

ऑस्ट्रेलिया पहला ऐसा देश है, जिसने यह जांच करने की मांग की थी कि कोरोना दुनियाभर में कैसे फैला। ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री मैरिस पेन ने पिछले महीने की यह मामला उठाया था। उन्होंने कहा था कि महामारी फैलने की जांच से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अगली महामारी को बेहतर ढंग से रोकने और अपने लोगों को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी। मुझे लगता है कि डब्ल्यूएचओ को कोरोना फैलने की जांच की इजाजत देना शिकारी को शिकार की रखवाली सौंपने जैसा है।

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