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अमेरिकी संसद के दोनों सदनों में बिल पेश, इसमें यूएस में पढ़े विदेशी कामगारों को तरजीह देने का प्रस्ताव

  • एच-1बी वीजा के तहत अमेरिकी कंपनियों में काम करने वाले भारतीय टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट ही ज्यादा होते हैं
  • बिल में कहा गया है कि एच-1बी धारक को नियुक्ति देने पर अमेरिकी वर्कर्स पर इसका उल्टा प्रभाव नहीं पड़ेगा
  • सीनेटर चक ग्रेसली ने कहा- इसका मकसद अमेरिकी कर्मचारियों की सुरक्षा और बेहतर सैलरी सुनिश्चित करना

दैनिक भास्कर

May 23, 2020, 02:51 PM IST

वॉशिंगटन. अमेरिकी संसद (कांग्रेस) में एच-1बी वीजा कानूनों में बदलाव को लेकर बिल पेश किया गया है। इसमें अमेरिका में पढ़े विदेशी टेक प्रोफेशनल्स को तरजीह देने की बात कही गई है। बिल का मकसद अमेरिकी कर्मचारियों की सुरक्षा और बेहतर सैलरी सुनिश्चित करना है। एच-1बी वीजा के तहत अमेरिकी कंपनियों में काम करने वाले भारतीय टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट ही ज्यादा होते हैं।

अगर बिल, कानून का रूप लेता है तो यह पहली बार होगा कि अमेरिकी सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विस एच-1बी वीजा प्राथमिकता का आधार पर देगी। प्रस्ताव के मुताबिक, अमेरिका में एजुकेटेड योग्य छात्रों को एच-1बी वीजा के लिए चुनना है। साथ ही इसके तहत उन छात्रों को भी मौका मिलेगा जिनके पास एडवांस्ड डिग्री है और जो ज्यादा सैलरी पा रहे हैं।

किन सांसदों ने बिल पेश किया
सीनेट में: चक ग्रेसली, डिक डर्बन।
हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में: बिल पास्क्रेल, पॉल गोसर, रो खन्ना, फ्रेंक पालोन और लांस गूडन। 

क्या है बिल का मकसद?
इसके तहत एच-1बी या एल-1 वीजाधारकों को अमेरिकी कर्मचारियों की जगह लेने से रोकना है। बिल में साफतौर पर कहा गया है कि एच-1बी धारक को नियुक्ति देने पर अमेरिकी वर्कर्स पर इसका उल्टा प्रभाव नहीं पड़ेगा। विशेष रूप से बिल 50 से ज्यादा कर्मचारियों वाली ऐसी कंपनियों को प्रतिबंधित करेगा, जिनमें से कम से कम आधे एच-1बी या एल-1 वीजाधारक हैं। साथ ही वे कंपनियां जो अतिरिक्त एच -1 बी कर्मचारियों को काम पर रखती हैं।

‘हमारी नीतियां हमारा ही नुकसान कर रहीं’
सीनेटर ग्रेसली ने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ कंपनियां हमारी बनाई नीतियों के आधार पर कम तनख्वाह पर कर्मचारियों को भर्ती करती हैं, जिससे अमेरिकियों को नुकसान होता है। हमें ऐसी नीतियां बनाने की जरूरत है, जिसमें अमेरिकन वर्कर्स को तरजीह मिले। हमारा बिल यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाता है कि कार्यक्रम अमेरिकियों और कुशल विदेशी कर्मचारियों के लिए समान रूप से काम करते हैं।’’

क्या है एच-1बी वीजा?

एच-1 बी वीजा गैर-प्रवासी वीजा है। अमेरिकी कंपनियां इसके तहत दूसरे देशों के टेक्निकल एक्सपर्ट्स को नियुक्त करती हैं। नियुक्ति के बाद सरकार से इन लोगों के लिए एच-1बी वीजा मांगा जाता है। अमेरिका की ज्यादातर आईटी कंपनियां हर साल भारत और चीन जैसे देशों से लाखों कर्मचारियों की नियुक्ति इसी वीजा के जरिए करती हैं। नियम के अनुसार, अगर किसी एच-1बी वीजाधारक की कंपनी ने उसके साथ कांट्रैक्ट खत्म कर लिया है तो वीजा स्टेटस बनाए रखने के लिए उसे 60 दिनों के अंदर नई कंपनी में जॉब तलाशना होगा। यूएससीआईएस के मुताबिक, एच-1बी वीजा के सबसे बड़े लाभार्थी भारतीय ही हैं।

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