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दोनों दिग्गजों के कैंसर से जूझने की कहानी एक जैसी, दो साल ट्रीटमेंट चला; इलाज सफल होने की खबर आई और फिल्में की पर अचानक अलविदा कह गए

  • दो साल पहले इरफान खान ने ट्विटर पर अपनी पोस्ट में न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर की बात स्वीकारी
  • ऋषि कपूर दो साल से ल्यूकेमिया से लड़ रहे थे, जोकि एक तरह का ब्लड कैंसर होता है

दैनिक भास्कर

Apr 30, 2020, 01:45 PM IST

मुम्बई. कैंसर फिल्म जगत के दो दिग्गज कलाकार इरफान खान और ऋषि कपूर को निगल गया। दोनों ही दो साल से इससे जूझ रहे थे और लगभग इलाज सफल होने की खबरें भी आईं। फिल्म जगत में वापसी हुई और फिल्में भी की लेकिन अचानक 22 घंटे के अंदर दुनिया को अलविदा कह गए। दोनों ही दिग्गजों की बीमारी का सफर एक जैसा ही रहा। जानिए कैसे शुरू हुई उनकी कैंसर की कहानी…

ऋषि कपूर : लम्बे समय बाद न्यूयॉर्क से लौटे, फिल्में की और अचानक अलविदा कह गए

फरवरी 2018 : निमोनिया ने जकड़ा और दिल्ली में भर्ती हुए
ऋषि कपूर की तबियत बिगड़ने की शुरुआत फरवरी 2018 में हुई जब उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई। उस दौरान वह दिल्ली में फैमिली फंक्शन में पहुंचे थे। उन्हें दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती किया गया। वह निमोनिया के संक्रमण से जूझ रहे थे, यह बात उन्होंने खुद मानी, हालांकि रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं आई थी। ऋषि कपूर ने बीमारी की जानकारी देते हुए कहा था, मुझे बुखार है और जांच हो रही है। डॉक्टर्स ने हालात खराब होने की वजह निमोनिया बताया था, जिसका इलाज हो गया है। लोग तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं। मैं उन सभी अटकलों को रोकते हुए आपको एंटरटेन करना चाहता हूं, आपको प्यार करता है। फिलहाल में अब मुम्बई में हूं।

अक्टूबर 2018 : भाई रणधीर ने इलाज की पुष्टि की
ऋषि कपूर को कैंसर होने की पहली खबर 3 अक्टूबर 2018 को आई। भाई रणधीर कपूर ने बताया कि ऋषि सितंबर में इलाज कराने के लिए अमेरिका गए। वह ल्यूकेमिया से लड़ रहे थे, जोकि एक तरह का ब्लड कैंसर होता है। अमेरिका में उनका मैरो ट्रीटमेंट चल रहा था। इलाज के कारण वह अपनी मां को अंतिम विदाई देने भारत नहीं आ पाए थे। वह न्यूयॉर्क से 11 महीने 11 दिन के बाद इलाज कराकर लौटे तो ट्वीट किया ‘घर वापस आ गया’।

अंतिम इंटरव्यू : ‘लोग लिवर, दिल की बीमारी से जूझते हैं मेरा मैरो ट्रीटमेंट चला’
ऋषि ने अपने अंतिम इंटरव्यू में बीमारी से जुड़ी बातों का खुलासा किया था। उन्होंने कहा, जब हम बुरे दिनों की बात करते हैं तो इसका मजतब कोई सर्जरी या दर्द नहीं होता। इसका तरह का कुछ भी नहीं होता। जैसे लोगों को किडनी, लिवर और दिल से जुड़ी बीमारियां होती हैं मुझे मैरो की समस्या थी। जिसका इलाज हुआ। यह कोई गंभीर विषय नहीं है। दो बार लम्बा इलाज चला इस दौरान वह (नीतू) मेरे साथ रहीं। हम अपने शहर आए और गए। आप बार-बार लम्बी दूरी की यात्रा नहीं कर सकते है। इसलिए लम्बे समय तक वहां रहा। मेरा वहां इलाज चला और यह सफल रहा। आप सभी लोगों को दुआ का धन्यवाद, इसने मुझे लड़ने का साहस मिला। 

इरफान खान : 5 मार्च 2018 को  कैंसर की जानकारी दी, लिखा-जिंदगी पर आरोप नहीं कि हमें वह नहीं दिया जिसकी हमें उससे उम्मीद थी

अफवाहों पर फुल स्टॉप लगाया और लिखा- नई कहानियों के साथ लौटूंगा

इरफान खान ने 5 मार्च 2018 को ट्वीट कर उनकी बीमारी को लेकर लग रहे कयास पर विराम लगा दिया था।  ट्वीट में लिखा था, मुझे न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर होने का पता चला। इसे स्वीकार करना आसान नहीं है, लेकिन मेरे आसपास मौजूद लोगों के प्यार और मेरी इच्छाशक्ति ने मुझे उम्मीद दी है।” “आप सभी मेरे लिए दुआएं कीजिए। इस बीच उड़ी अफवाहों की बात करूं तो न्यूरो शब्द का इस्तेमाल हमेशा ब्रेन के लिए ही नहीं होता और रिसर्च के लिए गूगल से आसान रास्ता नहीं है। जिन लोगों ने मेरे लिखने का इंतजार किया, उम्मीद है उन्हें बताने के लिए कई कहानियों के साथ लौटूंगा।”

‘कभी-कभी आप एक झटके से जागते हैं’
 इरफान खान ने अपने ट्वीट में लिखा था था- “कभी-कभी आप एक झटके से जागते हैं। पिछले 15 दिन मेरे जीवन की सस्पेंस स्टोरी है। मैं दुर्लभ बीमारी से पीड़ित हूं। मैंने जिंदगी में कभी समझौता नहीं किया। मैं हमेशा अपनी पसंद के लिए लड़ता रहा और आगे भी ऐसा ही करूंगा।” “मेरा परिवार और दोस्त मेरे साथ हैं। हम बेहतर रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे हैं। जैसे ही सारे टेस्ट हो जाएंगे, मैं आने वाले दस दिनों में अपने बारे में बात दूंगा। तब तक मेरे लिए दुआ करें।”

न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर क्या है?
न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर उस अवस्था को कहते हैं, जिसमें शरीर में हार्मोन पैदा करने वाले न्यूरोएंडोक्राइन सेल्स बहुत अधिक या कम हार्मोन बनाने लगती हैं। इस ट्यूमर को कारसिनॉयड्स भी कहते हैं। यह शरीर के कई हिस्सों में हो सकता है, जैसे कि लंग्स, गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट, थायरॉयड या एड्रिनल ग्लैंड। ट्यूमर शरीर के किस हिस्से में है, इसके आधार पर इसका प्रकार तय होता है। वहीं, अगर बीमारी का पता वक्त से लग जाए तो इलाज संभव है।

तीन प्रकार का होता है ये ट्यूमर
1) गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर: यह ट्यूमर गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट के किसी भी हिस्से में हो सकता है, जिसमें बड़ी आंत और एपेंडिक्स शामिल है।
2) लंग न्यूरोजएंडोक्राइन ट्यूमर: यह फेफड़ों में होने वाला ट्यूमर है। जिसमें खांसी के दौरान ब्लड आना और सांस लेने में दिक्कत होती है।
3) पेंक्रियाटिक न्यूरोजएंडोक्राइन ट्यूमर: यह पेंक्रियास में होने वाला ट्यूमर है। हार्मोन से जुड़ाव के कारण ब्लड शुगर काफी प्रभावित होता है।

क्यों होता है यह ट्यूमर ?
 न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर होने की कई वजह हैं। इनमें से एक बड़ी वजह माता-पिता में इस बीमारी के होने को माना जाता है। माता या पिता में से किसी एक को भी यह बीमारी है तो बच्चों को होने की आशंका बढ़ जाती है। वहीं, स्मोकिंग और बढ़ती उम्र के साथ कमजोर हाेता इम्यून सिस्टम भी बीमारी को पनपने का मौका दे देता है। इसके अलावा अल्ट्रावायोलेट किरणें भी न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर होने के खतरे को बढ़ाती हैं।

क्या हैं इसके लक्षण?

ब्लड प्रेशर बढ़ जाना, थकान या कमजोरी महसूस होना

पेट में लगातार दर्द रहना और वजन घटना

टखनों में सूजन रहना, स्किन पर धब्बे होना

बेहोशी छाना, पसीना आना

शरीर में ग्लूकोज का लेवल तेजी से बढ़ना या कम होना

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