- 24 देशों के 235 अस्पतालों में 1128 मरीजों के डेटा का 30 दिन अध्ययन किया गया
- संक्रमण के बाद सर्जरी कराने पर पुरुषों में मृत्युदर 28.4% और महिलाओं में 18.2%
दैनिक भास्कर
May 30, 2020, 10:24 PM IST
लंदन. कोरोनावायरस को मात देने के बाद अगर कोई सर्जरी प्लान कर रहा है तो वह फिलहाल टाल दे। वीकली जर्नल द लैंसेट में प्रकाशित ताजा अध्ययन में बताया गया है कि ऐसे मरीजों में मौत का खतरा पहले की तुलना में ज्यादा है। शोधकर्ताओं ने इसके लिए 24 देशों के 235 अस्पतालों में 1128 मरीजों के डेटा का अध्ययन किया। इनमें यूरोप, अफ्रीका, एशिया और उत्तरी अमेरिका के मरीज शामिल थे।
बर्मिंघम के विशेषज्ञों की अगुआई वाली एनआईएचआर ग्लोबल रिसर्च हेल्थ यूनिट ने यह अध्ययन किया। 30 दिन के इस अध्ययन में मृत्युदर 23.8% पाई गई। अलग-अलग तरह की सर्जरी में भी मृत्युदर काफी ज्यादा थी।
1% से बढ़कर 19% हुआ मृत्यु का खतरा
शोधकर्ता अनील भांगू ने कहा, ‘‘आमतौर पर हम मानते हैं कि इलेक्टिव (इमरजेंसी के अलावा) सर्जरी में मौत की दर 1% होती है, लेकिन हमारे अध्ययन में पता चला कि कोरोना संक्रमण के मरीजों में यह माइनर और इलेक्टिव दोनों सर्जरी में ज्यादा है। माइनर सर्जरी में यह 16.3% और इलेक्टिव में 18.9% है। यहां तक कि कोरोना संक्रमण से पहले सबसे ज्यादा खतरे वाले मरीजों में जो मृत्युदर थी, यह उससे भी ज्यादा है।’’
सर्जरी | मृत्युदर |
इलेक्टिव | 18.9% |
इमरजेंसी | 25.6% |
मामूली (जैसे हार्निया) | 16.3% |
बड़ी सर्जरी (जैसे कोलोन कैंसर) | 26.9% |
पुरुषों में मौत का खतरा ज्यादा
अध्ययन में यह भी पाया गया कि कोरोना संक्रमण के बाद सर्जरी के मामलों में पुरुषों में मृत्युदर महिलाओं की तुलना में ज्यादा है। पुरुषों में यह 28.4% तो महिलाओं में यह 18.2% है। अगर मरीज की उम्र 70 साल से ज्यादा है तो यह दर 33.7%, जबकि इससे कम उम्र वालों में यह 13.9% है।
कोरोना के कारण 28.4% इलेक्टिव सर्जरी टाली गईं
शोधकर्ता दिमित्री नेपोगोदीव का कहना है कि दुनियाभर में कोरोना संकट की वजह से 28.4% इलेक्टिव सर्जरी टाले जाने का अनुमान है। उनका कहना है कि इस समय ऑपरेशन को टाल देना ही बेहतर है।