पंचांग की गणना के अनुसार 29 जून को देव शयनी एकादशी रहेगी। धर्मशास्त्र की मान्यता के अनुसार देव शयनी एकादशी के बाद चातुर्मास का आरंभ होगा। साथ ही विवाह आदि मांगलिक कार्यों में भी विराम लग लगेगा। इस बार श्रावण अधिक मास होने से चातुर्मास चार की जगह पांच माह का रहेगा। धर्मशास्त्र के जानकारों के अनुसार जून में विवाह के श्रेष्ठ मुहूर्त की संख्या मात्र 5 है, इसके बाद देवउठनी एकादशी तक पांच माह प्रतीक्षा करनी होगी। जून माह में विवाह के मात्र 5 श्रेष्ठ मुहूर्त आ रहे हैं जो क्रमशः 11, 12, 22, 23, 27 को रहेंगे।
सीजन का आखरी अबूझ मुहूर्त 27 जून को है, यह भड्डाली नवमी के नाम से प्रसिद्ध हैं। इसे अबूझ मुहूर्त की श्रेणी में रखा गया है अर्थात इस दौरान भी विवाह आदि किए जा सकेंगे। इस दिन विवाह आदि मांगलिक कार्य करने के लिए मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं रहती है।
2 श्रावण से अधिक मास की स्थिति
ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला ने बताया ग्रह गोचर की गणना एवं भारतीय ज्योतिष शास्त्र में अधिक मास की गणना के अनुक्रम से देखें तो इस बार चातुर्मास के अंतर्गत आने वाले 2 श्रावण से अधिक मास की स्थिति बनेगी।
19 वर्ष बाद बन रहा संयोग
अधिक मास अर्थात शुद्ध श्रावण और अधिक मास का संयोग 19 वर्ष बाद बन रहा है। श्रावण अधिक मास होने से यह विशेष रूप से पूजनीय तथा अध्यात्म की दृष्टि से अनुकूल है। इस दौरान उज्जैन में चौरासी महादेव व नौ नारायण की यात्रा तथा सप्त सागरों का पूजन विशेष बताया गया है।
5 माह धर्म तथा आध्यात्म तथा तीर्थाटन के लिए श्रेष्ठ
देव शयनी एकादशी से चातुर्मास का आरंभ हो जाता है। क्योंकि इस बार चातुर्मास के साथ-साथ अधिक मास का भी अनुक्रम बन रहा है, इस दृष्टि से यह कुल मिलाकर 5 माह का धर्म अध्यात्म संस्कृति व तीर्थ के दर्शन के लिए श्रेष्ठ माना जाएगा। यह समय भगवान शिव की साधना के साथ-साथ भगवान विष्णु की आराधना का संयुक्त अनुक्रम स्थापित करने के लिए श्रेष्ठ अवसर रहेगा।