May 4, 2024 : 9:52 AM
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पंजाब कांग्रेस में घमासान

दरअसल, शनिवार को ही पंजाब के सभी कांग्रेस विधायकों की बैठक चंडीगढ़ के प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में बुलाई गई है और अब से थोड़ी देर पहले पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख सुनील जाखड़ ने ट्वीट करके इसके संकेत भी दे दिए हैं कि आज कुछ बड़ा बदलाव होने जा रहा है.

उन्होंने ट्वीट किया है, “एक कठिन और जटिल समस्या को सिकंदर वाले समाधान का पंजाबी संस्करण इस्तेमाल करने के लिए श्री राहुल गांधी की प्रशंसा होनी चाहिए. इतना बड़ा साहसिक नेतृत्व निर्णय न केवल पंजाब कांग्रेस की उलझन सुलझाएगा बल्कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भी रोमांचित करेगा लेकिन यह अकालियों की रीढ़ में कंपकंपी ज़रूर फैला देगा.”वहीं शनिवार की शाम होने वाली बैठक की जानकारी शुक्रवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और प्रदेश प्रभारी हरीश रावत ने ट्वीट करके दी थी.

हरीश रावत ने ट्वीट किया था, ”ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी को बड़ी संख्या में कांग्रेस पार्टी के विधायकों ने तुरंत बैठक बुलाने का निवेदन किया है. इसके तहत कांग्रेस विधायक दल की बैठक 18 सितंबर को शाम 5 बजे होगी. सभी कांग्रेस विधायकों को इस मीटिंग में उपस्थित रहना होगा.’हरीश रावत के ट्वीट को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने भी रिट्वीट किया है.

नहीं थमा है विवाद
इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस में विवाद अभी तक थमा नहीं है और आज इस मामले में कोई नया मोड़ आ सकता है.

यह बैठक शाम को पाँच बजे होनी है, जिसमें पंजाब के प्रदेश प्रभारी हरीश रावत और प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू शामिल होंगे.

यह बैठक इस मामले में भी दिलचस्प है क्योंकि पंजाब में अभी तक विधायकों की सभी बैठकें मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में हुई हैं लेकिन अब जिस तरह नेतृत्व ने विधायकों की बैठक कांग्रेस कार्यालय में बुलाने को कहा है, इससे कई कयास लगाए जा रहे हैं.
कई मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि बैठक में कैप्टन और सिद्धू विधायकों के समर्थन को लेकर अपनी-अपनी ताक़त दिखा सकते हैं.

नवजोत सिंह सिद्धू ने अपनी पार्टी और मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ बाग़ी तेवर अपनाया था. ऐसा समझा जा रहा है कि यह आज सब समाप्त हो सकता है.

कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस हाई कमांन को काफ़ी पहले से इस तरह की स्थिति से अवगत कराते रहे हैं.

दूसरी ओर मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के ख़िलाफ़ लामबंद हो रहे कई विधायकों ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मांग की थी कि पंजाब विधायक दल की बैठक बुलाई जाए, जिसमें विधायकों को अपना पक्ष रखने का अवसर मिल सके.

इन विधायकों ने सोनिया गांधी को इस बारे में एक पत्र भेजा था, जिसमें कैप्टन के कामकाज पर उंगली उठाते हुए उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की गई थी. कई विधायक चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद के लिए एक नया चेहरा चाहते हैं.कहाँ से हुई शुरुआत
नवजोत सिंह सिद्धू और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच विवाद काफ़ी समय से चला आ रहा है. माना जा रहा है कि सिद्धू जब बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे तभी से इसकी शुरुआत हो गई थी.

हालांकि, उनको कैप्टन सरकार में मंत्री का पद भी दिया गया था लेकिन दोनों के बीच तल्ख़ होते रिश्तों के बाद उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया था.

इसके बाद कैप्टन की नाख़ुशी के बाद भी कांग्रेस ने सिद्धू को इसी साल जुलाई में प्रदेश अध्यक्ष का पद दे दिया जिसके बाद दोनों के बीच एकबार फिर टकराव देखने को मिलने लगा. दोनों ही एक दूसरे के ख़िलाफ़ बयानबाज़ियां करते रहे हैं.

एक समय सिद्धू ने कैप्टन के ख़िलाफ़ कुछ ट्वीट कर दिए जिसके बाद कैप्टन ने कहा कि वो सिद्धू से तब तक नहीं मिलेंगे जब तक कि वो माफी नहीं मांग लेते हैं.

इसके बाद दोनों ही नेता अलग-अलग समय पर दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान से मिलने आने लगे. एक समय समझा जा रहा था कि दोनों नेताओं के बीच मतभेद दूर कर लिए गए हैं लेकिन अब यह साफ़ हो गया है कि दोनों के बीच कोई सहमति नहीं बनी थी.

पंजाब में कांग्रेस की यह स्थिति तब आन खड़ी हुई है जब अगले साल की शुरुआत में ही उसे विधानसभा चुनाव लड़ना है और अपनी सरकार बचानी है.

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