9 घंटे पहलेलेखक: आकाश खरे
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- समय अवधि: 2 घंटे 15 मिनट
- रेटिंग: 3 स्टार
बीते कुछ समय में बॉलीवुड में जितनी भी बायोपिक बनी हैं, उन सभी ने इस जॉनर के स्टैंडर्ड को काफी हाई बना दिया है। सिद्धार्थ मल्होत्रा और कियारा अणवाणी स्टारर ‘शेरशाह’ भी इसी कैटेगरी की फिल्म है, पर यह ‘भाग मिल्खा भाग’ और ‘पान सिंह तोमर’ जैसी फिल्मों को टक्कर देने कामयाब नहीं हो पाई है। फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी इसकी राइटिंग है। राइटर संदीप श्रीवास्तव ने शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा के इर्द-गिर्द काफी कुछ बुनने की कोशिश की, पर ऐसे में वो किसी एक जगह पर फोकस नहीं कर पाए। इसे देखकर आप तय नहीं कर पाते कि यह लव स्टोरी है, बायोग्राफी है या वॉर ड्रामा।
विक्रम बत्रा की कहानी खूबसूरती से नहीं दर्शा पाए मेकर्स
कहानी शुरू होती है विक्रम बत्रा के बचपन से। एक सीन के बाद वे कॉलेज लाइफ में एंटर कर जाते हैं और फिर कुछ ही मिनटों में विक्रम फौजी बन जाते हैं। अब मेकर्स इस फिल्म को 2 घंटे तक खीचने के लिए इसमें गाने भरते हैं और थोड़ा सा थ्रिल भी पर सबकुछ अधूरा सा रह जाता है। कोई भी बात पूरी हुई सी नहीं लगती है। विक्रम की ओरजिनल स्टोरी जितनी खूबसूरत है उसे यहां मेकर्स उतनी खूबसूरती से नहीं दर्शा पाए।
फिल्म में सिद्धार्थ और कियारा का काम अच्छा है
सिद्धार्थ ने विक्रम को अडैप्ट करने की पूरी कोशिश की है। उनकी एक्टिंग कुछ हद तक सराहनीय है पर वे कभी ‘अय्यारी’ तो कभी ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ की टोन पकड़ लेते हैं। किआरा का काम अच्छा है। सिद्धार्थ के साथ स्क्रीन पर उनकी जोड़ी कमाल दिखती है। फौजियों के किरदार में शिव पंडित, निकेतन धीर, राज अर्जुन और बाकी कलाकारों ने अपना किरदार बखूबी निभाया है।
डायरेक्टर विष्णु वर्धन कैप्टन विक्रम की कहानी के हर हिस्से को थोड़ा-थोड़ा दिखाने के चक्कर में कोई भी हिस्सा पूरी तरह नहीं दिखा पाए। फिल्म का सबसे खूबसूरत हिस्सा वह है, जहां मेकर्स ने विक्रम का वो इंटरव्यू रीक्रिएट किया है, जो उन्होंने पॉइंट 5140 कैप्चर करने के बाद दिया था। विक्रम के इस सीन को जरूर देखें।