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पेनकिलर्स का विकल्प तैयार करने की कोशिश:वैज्ञानिकों ने दर्द दूर करने वाला हेडसेट बनाया, इसे सिर में पहनने के बाद मरीज ऐप के जरिए दर्द कंट्रोल कर सकेगा; ट्रायल में हुई पुष्टि

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8 घंटे पहले

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हेडसेट लगाकर मरीज दर्द देने वाली ब्रेनवेव्स को देख सकता है। - Dainik Bhaskar

हेडसेट लगाकर मरीज दर्द देने वाली ब्रेनवेव्स को देख सकता है।

वैज्ञानिकों ने दर्द को घटाने वाला हेडसेट तैयार किया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि इसे 8 हफ्तों तक पहनने के बाद नींद, मूड और क्वालिटी ऑफ लाइफ पहले से बेहतर हुई है। बेचैनी और डिप्रेशन में भी कमी आई है।

रिसर्च कहती है, दर्द को घटाने के लिए फिजियोथैरेपी और पेनकिलर्स का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन यह हर मरीज के लिए असरदार नहीं साबित होतीं। कुछ मामलों में साइड इफेक्ट और कुछ मामलों में इसकी आदत भी हो जाती है।

ऐसे काम करता है हेडसेट, 3 पॉइंट में समझें

  • रिसर्चर्स कहते हैं, एक छोटे ट्रायल में यह सामने आया है कि इस डिवाइस को सिर में पहनने के बाद दर्द में कमी आती है। दरअसल, यह हेडसेट मस्तिष्क की ब्रेनवेव्स को पढ़ता है। फिर ब्रेन को दर्द से निपटने के लिए तैयार करता है। इस तरह लक्षण में कमी आती है।
  • यह हेडसेट इलेक्ट्रो-एनसिफेलोग्राम (ईईजी) तकनीक की मदद से काम करता है। हेडसेट में लगे 8 इलेक्ट्रोड सिर की स्किन (स्कैल्प) पर रखे जाते हैं। ये इलेक्ट्रोड दिमाग की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी पर नजर रखता है। इसी ईईजी मशीन से मिर्गी जैसी बीमारियों का भी पता लगाया जाता है।
  • इसे न्यूरोफीडबैक थैरेपी से भी जोड़ा जा सकता है। ऐसा होने पर ब्रेन से जुड़े डाटा को मरीज ऐप पर देख सकता है। इसकी मदद से ब्रेन की एक्टिविटी को कंट्रोल कर सकता है।
  • आर्थराइटिस जैसी बीमारी में तेज दर्द होने पर दिमाग को लगातार नर्व से सिग्नल मिलते हैं। ईईजी न्यूरोफीडबैक के जरिए इसे दर्द वाली ब्रेनवेव्स को दबाया जाता है और बिना दर्द वाली ब्रेनवेव्स को बढ़ाया जाता है।

इसलिए इंसान दर्द महसूस करता है
नॉथैम्प्टनशायर के ईस्ट मिडलैंड स्पाइन क्लीनिक के स्पाइन सर्जन और रिसर्चर निक विर्च का कहना है, ब्रेन जो दर्द से जुड़े सिग्नल भेजता है उसे ईईजी न्यूरोफीडबैक की मदद से बदला जा सकता है। हम दर्द तब महसूस करते हैं जब स्किन, जॉइंट और अंग में मौजूद खास तरह के रिसेप्टर नर्व के जरिए ब्रेन तक दर्द का सिग्नल भेजते हैं।

हेडसेट में लगे 8 इलेक्ट्रोड दिमाग की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी पर नजर रखते हैं।

हेडसेट में लगे 8 इलेक्ट्रोड दिमाग की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी पर नजर रखते हैं।

सभी मरीजों को दर्द में सुधार दिखा
रिसर्चर कहते हैं, जब ब्रेन दर्द की जानकारी मरीज को ऐप से मिलते लगती है तो वह इन ब्रेनवेव्स को कंट्रोल करने की कोशिश कर सकता है। तेज दर्द से जूझने वाले 16 मरीजों ने ट्रायल के दौरान घर पर 8 हफ्तों तक इस हेडसेट का इस्तेमाल किया। इन मरीजों के दर्द में सुधार देखा गया। 90 फीसदी मरीजों ने कहा, इसकी मदद से नींद, स्वभाव, क्वालिटी ऑफ लाइफ, बेचैनी और डिप्रेशन में भी सुधार हुआ है।

हेडसेट अगले साल तक मिलने की उम्मीद
रिसर्चर्स का कहना है, अगले साल तक यह हेडसेट बाजार में उपलब्ध कराया जा सकता है। इससे पहले न्यूजीलैंड मं बड़े स्तर पर ट्रायल किया जाएग, इसमें 100 से अधिक लोगों को शामिल किया जाएगा। लिवरपूल में द वॉल्टन सेंटर के कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. निक सिल्वर कहते हैं, पोर्टेबल ईईजी-न्यूरोफीडबैक डिवाइस एक बेहतरीन डेवलपमेंट है।

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