नई दिल्ली4 घंटे पहले
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- यमुना को प्रदूषित करने वाली 12 सीईटीपी पर 12करोड़ का जुर्माना
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी )ने नालों से निकलने वाली दूषित जल के निपटान के लागू मानकों के अनुसार उपाय नहीं करने वाले दिल्ली के 12 कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) पर सख्ती बरतनी शुरू कर दिया है।
डीपीसीसी 12 सीईटीपी प्लांटों पर यमुना को प्रदूषित करने लिए 12करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया है। इसके साथ ही डीपीसीसी के अधिकारी सीईटीपी प्लांटों पर जुर्माना के साथ ही प्लांट के अधिकारियों पर भी कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रही है।
दिल्ली में 24 औद्योगिक इलाके हैं जिनमें से 17 इलाके 12 सीईटीपीएस से जुड़े हैं जो औद्योगिक ईकाइयों से निकलने वाले अपशिष्ट जल को पुन: इस्तेमाल करने या उसे यमुना नदी में बहाने से पहले उसका शोधन करते हैं।
डीपीसीसी के विशेषज्ञों के अनुसार, बिना शोधन वाला अपशिष्ट जल और सीईटीपी से निकलने वाले गंदे पानी की खराब गुणवत्ता तथा सीवेज जल ही यमुना नदी में प्रदूषण की मुख्य वजह है. जबकि ये 12 सीईटीपी झिलमिल, बादली, मायापुरी, मंगोलपुरी, नांगलोई, ओखला, नरेला, बवाना, नारायणा, जीटीके रोड और केशवपुरम में औद्योगिक इलाकों में हैं।
डीपीसीसी ने पहले भेजा था नोटिस
डीपीसीसी ने इन सभी 12 सीईटीपी को कई नोटिस जारी कर उनसे अपशिष्ट जल के निपटान के मानकों पर खरा उतरने के लिए सुधारात्मक उपाय उठाने के लिए कहा था। डीपीसीसी के अनुसार, ये सीईटीपी प्लांट फरवरी 2019 से इस साल फरवरी के बीच बार-बार मानकों पर खरा उतरने में असफल रहीं है इसके कारण इन प्लांटों पर एक-एक करोड़ का जुर्माना लगाया गया है।
बिजली पानी काटने का आदेश
यही नहीं, डीपीसीसी ने जिले के डीएम को राजधानी की 1068 औद्योगिक इकाइयों को तत्काल प्रभाव से सील करने का आदेश देने के साथ इनका बिजली-पानी काटने का निर्देश जारी किया है। संबंधित क्षेत्र के एसडीएम इन इकाइयों की सीलिंग कर आदेश का पालन न होने पर जल अधिनियम 1974 के तहत कार्रवाई करेगी।
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