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Hindi NewsHappylifeCommon Antibiotic Doxycycline Provides Relief To TB Patients, Prevents Lung Damage And Accelerates Recovery
17 घंटे पहले
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कॉमन एंटीबायोटिक टीबी के इलाज में असरदार साबित होती है। 30 मरीजों पर हुए ट्रायल में सामने आया है कि एंटीबायोटिक डॉक्सीसायक्लीन को टीबी के ट्रीटमेंट के साथ दिया जाए है तो फेफड़ों को डैमेज होने से बचा सकती है। टीबी के ट्रीटमेंट के बाद यह मरीजों की रिकवरी को भी तेज करती है। यह दावा सिंगापुर के नेशनल यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल की रिसर्च में किया गया है।
डॉक्सीसायक्लीन क्यों है जरूरी, यह समझिएक्लीनिकल इन्वेस्टिगेशन जर्नल में पब्लिश रिसर्च के मुताबिक, टीबी की वजह मायकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया का संक्रमण है। इस बैक्टीरिया के संक्रमण के बाद फेफड़े में एक खास जगह पर धीरे-धीरे बैक्टीरिया की संख्या बढ़ने लगती है। इस जगह को कैविटी कहते हैं।
टीबी की दवाएं कैविटी पर पूरी तरह से असर नहीं करतीं। इसलिए टीबी का इलाज पूरा होने के बाद भी सांस लेने में दिक्कत, फेफड़ों में अकड़न और ब्रॉन्काइटिस का खतरा बढ़ता है। नतीजा, खांसने के दौरान खून आ सकता है।
शोधकर्ता कैथरीन ऑन्ग का कहना है, टीबी पूरी तरह से खत्म होने के बाद भी फेफड़े डैमेज हो सकते हैं और मरीजों में मौत का खतरा बढ़ता है। डॉक्सीसायक्लीन ऐसी एंटीबायोटिक है जो सस्ती और आसानी से उपलब्ध है। ऐसे मरीजों रिकवरी के बाद यह दवा फेफड़ों के डैमेज होने से रोकती है। मरीजों की हालत में भी सुधार लाती है।
हर साल टीबी के एक करोड़ नए मरीजदुनियाभर में हर साल करीब टीबी के एक करोड़ मामले सामने आते हैं। टीबी संक्रमण से होने वाली मौतों के बड़े कारणों में से एक है। टीबी का एक मरीज 5 से 15 लोगों को संक्रमित कर सकता है। 2019 में इससे दुनियाभर में 14 लाख लोगों की मौत हुई और 30 फीसदी तक टीबी के नए मामले भी मिले।
क्या टीबी का पूरी तरह से इलाज संभव है?
जसलोक हॉस्पिटल में रेस्पिरेट्री मेडिसिन कंसल्टेंट डॉ. समीर गार्डे कहते हैं, टीबी के मरीज के छींकने, खांसने, बोलने और गाना गाने से टीबी का बैक्टीरिया सामने वाले इंसान को संक्रमित कर सकता है। संक्रमित इंसान के मुंह से निकली लार की बूंदों में टीबी के बैक्टीरिया होते हैं जो संक्रमण फैलाते हैं। ऐसे मरीज के सम्पर्क में आने से बचें। इसका पूरी तरह से इलाज संभव है। इसलिए लक्षण दिखने पर डॉक्टर से सम्पर्क करें।
संक्रमण के कई साल बाद भी दिख सकता है असर
टीबी का हर संक्रमण खतरनाक नहीं है। बच्चों में टीबी के मामले और फेफड़ों के बाहर होने वाला टीबी का संक्रमण अधिक खतरनाक नहीं होता। आमतौर पर एक सेहतमंद इंसान में शरीर का इम्यून सिस्टम ही टीबी के बैक्टीरिया को खत्म कर देता है। लेकिन, कुछ मामलों में ऐसा नहीं हो पाता। करीब 10 फीसदी मामले ऐसे भी होते हैं, जिनमें टीबी का संक्रमण होने के कई साल बाद लक्षण दिखते हैं।
यह असर तब दिखता है जब रोगों से बचाने वाला इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ता है। जैसे कोई मरीज डायबिटीज से जूझ रहा है या उसमें पोषक तत्वों की कमी हो गई है या फिर तम्बाकू और अल्कोहल का अधिक सेवन करता है। ऐसी स्थिति में संक्रमित होने का खतरा ज्यादा रहता है।
टीबी के गंभीर मामलों में गले में सूजन, पेट में सूजन, सिरदर्द और दौरे भी पड़ सकते हैं। टीबी का पूरी तरह से इलाज संभव है। इसलिए ऐसा होने पर दवाएं समय से लें और कोर्स अधूरा न छोड़ें।
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