April 29, 2024 : 1:55 AM
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ब्रिटिश शोधकर्ताओं का दावा: कोरोना जाते-जाते 14 फीसदी मरीजों को नई बीमारी दे रहा, युवाओं में इसके मामले ज्यादा; रिकवरी के बाद इन्हें लम्बी देखभाल की जरूरत

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17 घंटे पहले

कॉपी लिंकलंदन के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ रिसर्च के शोधकर्ताओं का दावाकहा, रिकवरी के बाद कुछ मरीजों को दोबारा हॉस्पिटल का रुख करना पड़ रहा

कोरोना उबरने वाले मरीजों की दिक्कतें कम नहीं हो रहीं। संक्रमण खत्म होते-होते कोरोना 14 फीसदी मरीजों को नई बीमारी दे रहा है। नई बीमारी के कारण मरीजों को दोबारा हॉस्पिटल का रुख करना पड़ रहा है। यह दावा लंदन के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ रिसर्च के वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में किया है।

1.93 लाख मरीजों पर हुई स्टडीब्रिटिश मेडिकल जर्नल में पब्लिश रिसर्च कहती है, संक्रमण के बाद भले ही मरीज ठीक हो गया हो लेकिन उनमें नई बीमारियों का खतरा बना रहता है। इसे समझने के लिए लंदन के वैज्ञानिकों ने पिछले साल 1 जनवरी से 31 अक्टूबर के बीच कोरोना के 1,93,113 मरीजों पर रिसर्च की। इसमें 18 से 65 साल तक के मरीज शामिल किए गए।

रिकवरी के 6 महीने बाद तक नजर रखीशोधकर्ताओं ने कोरोना के मरीजों में संक्रमण की पुष्टि होने के 21 दिन बाद तक उनकी सेहत पर नजर रखी। इसके अलावा ‘नेशनल क्लेम डाटा’ का विश्लेषण कर यह जाना कि संक्रमण से रिकवर होने के बाद अगले 6 महीने में कितने मरीजों में नई बीमारी दिखीं।

इन आंकड़ों की तुलना उन लोगों से की जो कभी भी कोरोना से संक्रमित नहीं हुए। परिणाम के तौर पर सामने आया कि रिकवरी के बाद करीब 14 फीसदी मरीजों में नई स्वास्थ्य समस्याएं देखी गईं। इसके कारण मरीज को अस्पताल तक जाना पड़ा।

नई बीमारी का खतरा युवाओं में अधिक देखा गयाशोधकर्ता एलेन मैक्सवेल का कहना है, कोरोना से ठीक होने के बाद नई बीमारी का खतरा बुजुर्गों के मुकाबले युवाओं में अधिक देखा गया है। ये ऐसे युवा थे जिन्हें कोरोना से पहले कभी भी स्वास्थ्य से जुड़ी कोई दिक्क्त नहीं हुई थी। शोधकर्ताओं का कहना है, कोरोना से रिकवर होने वाले मरीजों को लम्बे समय तक देखभाल की जरूरत है।

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