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कोरोना वायरस: महाराष्ट्र में 100 साल पुरानी पद्धति से तैयार हो रही है कोविड की दवा, मांगी ट्रायल की अनुमति

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सुरेंद्र मिश्र, अमर उजाला, मुंबई
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Sat, 15 May 2021 07:24 PM IST

सार
आईसेरा कंपनी के पास 350 घोड़े हैं। इन्हें कोविड का वायरस दिया जाता है। एक महीने के बाद उसमें एंटीबॉडीज तैयार होती हैं। उसके बाद उस घोड़े का खून निकालकर उसमें से एंटीबॉडीज को अलग किया जाता है और बाकी रक्त को घोड़े में फिर से चढ़ा दिया जाता है…

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वैश्विक महामारी कोविड-19 से दुनिया परेशान है। तमाम कोशिशों के बावजूद अभी तक इसकी दवा नहीं बन पाई है। लेकिन, महाराष्ट्र में सांगली जिले के सिराला स्थित आईसेरा बॉयोलॉजिकल प्रा. लि. कंपनी ने सौ साल पुरानी पद्धति पर आधारित कोरोना पर प्रभावी दवा तैयार करने का दावा किया है। कंपनी ने पशुओं पर इसके सफल प्रयोग के बाद मानवीय परीक्षण के लिए आईसीएमआर से अनुमति मांगी है।

आईसेरा बॉयोलॉजिकल कंपनी का दावा है कि इंजेक्शन के रूप में विकसित की गई कोविड-19 की यह दवा भयावह कोरोना रोग के मरीजों के लिए संजीवनी साबित होगी। आईसेरा कंपनी पुणे की मशहूर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ मिलकर काम कर रही है। सीरम इंस्टीट्यूट कोविशील्ड वैक्सीन का उत्पादन करती है। वहीं, आईसेरा बॉयोलॉजिकल कंपनी एंटी रैबीज, एंटी स्नैक और एंटीस्कार्पिन बनाती है। अब कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर कोविड के इलाज के लिए प्रभावी दवा बनाने में जुटी है। आईसेरा बॉयोलॉजिकल के निदेशक प्रताप देशमुख की ओर से कंपनी की वेबसाइट पर लिखा गया है कि हमने पिछले कुछ महीनों से कोविड-19 दवा के क्लीनिकल ट्रॉयल को विभिन्न चरणों में सफलतापूर्वक पूरा किया है। अगले कुछ दिनों में हम सबसे सुरक्षित और प्रभावी दवा विकसित करने के रास्ते पर हैं, जो मानवजाति की सेवा के लिए उपलब्ध होगा। यह दवा न केवल अस्पताल में भर्ती होने और डर को कम करने में मदद करेगा बल्कि कोविड-19 के संक्रमण से प्रभावित हुई हमारी अर्थव्यवस्था को भी सामान्य करने में सहयोग करेगा।

आईसेरा को भी केंद्र कर मदद- पृथ्वीराज चव्हाण

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और विधायक पृथ्वीराज चव्हाण ने हाल ही में आईसेरा बॉयोलॉजिकल कंपनी का दौरा किया। उन्होंने अमर उजाला को बताया कि सिराला मेरा पुराना संसदीय क्षेत्र है। कंपनी का ट्वीट देखा तो कंपनी में गया। आईसेरा कंपनी क्यूरेटिव मेडिसिन बनाने में लगी है। लेकिन उसका अभी मानवीय परीक्षण होना है। उम्मीद है कि भारत सरकार की ओर से जल्द ही इसकी अनुमति मिल जाएगी। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि देहात में लड़के अच्छा काम कर रहे हैं। उन्हें मदद करनी चाहिए। दवा के ह्यूमन ट्रायल में दो-तीन महीने लगेंगे। अगर, आर्थिक सहयोग की जरूरत होगी तो उसमें भी सहयोग करेंगे। केंद्र सरकार ने सीरम को 11 करोड़ और भारत बॉयोटेक को 35 करोड़ दिए हैं। उसी तरह इस कंपनी को भी 10 करोड़ देना चाहिए।

घोड़ों के खून में बनी एंटीबॉडीज से बनेगी कोरोना की दवा

आईसेरा कंपनी के पास 350 घोड़े (टट्टू) हैं। इनमें कोविड का वायरस दिया जाता है। एक महीने के बाद उसमें एंटीबॉडीज तैयार होती हैं। उसके बाद उस घोड़े का खून निकालकर उसमें से एंटीबॉडीज को अलग किया जाता है और बाकी रक्त को घोड़े में फिर से चढ़ा दिया जाता है। चव्हाण ने कहा कि यह तकनीक सौ साल पुरानी है। आईसेरा कंपनी ने इसका पशुओं पर सफल परीक्षण किया है। मानवीय परीक्षण की सफलता देश के लिए बड़ी उपलब्धि होगी।

क्लीनिकल ट्रॉयल के लिए स्थानीय सासंद ने लिखा पीएम को पत्र

सांगली का शिराला क्षेत्र हातकलंगणे संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है। यहां के शिवसेना सांसद धैर्यशील माने ने आईसेरा कंपनी की तरफ से कोविड-19 के उपचार के लिए प्रभावी दवा बनाने की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि यह कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी सफलता है। जो कोविड-19 के मरीजों का हर तरह से इलाज कर सकता है। माने ने बताया कि कोरोना मरीजों पर प्रभावी तीन लाख इंजेक्शन बनकर तैयार हैं। इसके मानवीय परीक्षण के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सहित केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को पत्र लिखा है।

विस्तार

वैश्विक महामारी कोविड-19 से दुनिया परेशान है। तमाम कोशिशों के बावजूद अभी तक इसकी दवा नहीं बन पाई है। लेकिन, महाराष्ट्र में सांगली जिले के सिराला स्थित आईसेरा बॉयोलॉजिकल प्रा. लि. कंपनी ने सौ साल पुरानी पद्धति पर आधारित कोरोना पर प्रभावी दवा तैयार करने का दावा किया है। कंपनी ने पशुओं पर इसके सफल प्रयोग के बाद मानवीय परीक्षण के लिए आईसीएमआर से अनुमति मांगी है।

आईसेरा बॉयोलॉजिकल कंपनी का दावा है कि इंजेक्शन के रूप में विकसित की गई कोविड-19 की यह दवा भयावह कोरोना रोग के मरीजों के लिए संजीवनी साबित होगी। आईसेरा कंपनी पुणे की मशहूर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ मिलकर काम कर रही है। सीरम इंस्टीट्यूट कोविशील्ड वैक्सीन का उत्पादन करती है। वहीं, आईसेरा बॉयोलॉजिकल कंपनी एंटी रैबीज, एंटी स्नैक और एंटीस्कार्पिन बनाती है। अब कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर कोविड के इलाज के लिए प्रभावी दवा बनाने में जुटी है। आईसेरा बॉयोलॉजिकल के निदेशक प्रताप देशमुख की ओर से कंपनी की वेबसाइट पर लिखा गया है कि हमने पिछले कुछ महीनों से कोविड-19 दवा के क्लीनिकल ट्रॉयल को विभिन्न चरणों में सफलतापूर्वक पूरा किया है। अगले कुछ दिनों में हम सबसे सुरक्षित और प्रभावी दवा विकसित करने के रास्ते पर हैं, जो मानवजाति की सेवा के लिए उपलब्ध होगा। यह दवा न केवल अस्पताल में भर्ती होने और डर को कम करने में मदद करेगा बल्कि कोविड-19 के संक्रमण से प्रभावित हुई हमारी अर्थव्यवस्था को भी सामान्य करने में सहयोग करेगा।

आईसेरा को भी केंद्र कर मदद- पृथ्वीराज चव्हाण

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और विधायक पृथ्वीराज चव्हाण ने हाल ही में आईसेरा बॉयोलॉजिकल कंपनी का दौरा किया। उन्होंने अमर उजाला को बताया कि सिराला मेरा पुराना संसदीय क्षेत्र है। कंपनी का ट्वीट देखा तो कंपनी में गया। आईसेरा कंपनी क्यूरेटिव मेडिसिन बनाने में लगी है। लेकिन उसका अभी मानवीय परीक्षण होना है। उम्मीद है कि भारत सरकार की ओर से जल्द ही इसकी अनुमति मिल जाएगी। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि देहात में लड़के अच्छा काम कर रहे हैं। उन्हें मदद करनी चाहिए। दवा के ह्यूमन ट्रायल में दो-तीन महीने लगेंगे। अगर, आर्थिक सहयोग की जरूरत होगी तो उसमें भी सहयोग करेंगे। केंद्र सरकार ने सीरम को 11 करोड़ और भारत बॉयोटेक को 35 करोड़ दिए हैं। उसी तरह इस कंपनी को भी 10 करोड़ देना चाहिए।

घोड़ों के खून में बनी एंटीबॉडीज से बनेगी कोरोना की दवा

आईसेरा कंपनी के पास 350 घोड़े (टट्टू) हैं। इनमें कोविड का वायरस दिया जाता है। एक महीने के बाद उसमें एंटीबॉडीज तैयार होती हैं। उसके बाद उस घोड़े का खून निकालकर उसमें से एंटीबॉडीज को अलग किया जाता है और बाकी रक्त को घोड़े में फिर से चढ़ा दिया जाता है। चव्हाण ने कहा कि यह तकनीक सौ साल पुरानी है। आईसेरा कंपनी ने इसका पशुओं पर सफल परीक्षण किया है। मानवीय परीक्षण की सफलता देश के लिए बड़ी उपलब्धि होगी।

क्लीनिकल ट्रॉयल के लिए स्थानीय सासंद ने लिखा पीएम को पत्र

सांगली का शिराला क्षेत्र हातकलंगणे संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है। यहां के शिवसेना सांसद धैर्यशील माने ने आईसेरा कंपनी की तरफ से कोविड-19 के उपचार के लिए प्रभावी दवा बनाने की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि यह कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी सफलता है। जो कोविड-19 के मरीजों का हर तरह से इलाज कर सकता है। माने ने बताया कि कोरोना मरीजों पर प्रभावी तीन लाख इंजेक्शन बनकर तैयार हैं। इसके मानवीय परीक्षण के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सहित केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को पत्र लिखा है।

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