- Hindi News
- International
- Farmer’s Son Yoshihida Suga Can Become The Next Prime Minister Of The Japan, Served As The Country’s Chief Cabinet For 8 Years
टोक्योएक घंटा पहले
- सुगा अपने परिवार से राजनीति में आने वाले पहले व्यक्ति हैं, उनके पिता अकिता राज्य के कस्बे युजावा में स्ट्रॉबेरी की खेती करते थे
- प्रधानमंत्री पद के तीन उम्मीदवारों के लिए रूलिंग पार्टी के 534 सांसदों ने वोटिंग की, सुगा को 377 यानी करीब 70% वोट हासिल हुए
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के इस्तीफे के बाद किसान के बेटे योशिहिडे सुगा देश के नए प्रधानमंत्री बनेंगे। उन्होंने सोमवार को रूलिंग लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) के इलेक्शन में जीत हासिल कर ली। वोटिंग में पार्टी के कुल 534 सांसद शामिल हुए। इसमें सुगा को 377 यानी करीब 70% वोट हासिल हुए। अब उनके प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है। सुगा 8 साल तक देश के चीफ कैबिनेट सेक्रेटरी के तौर पर सेवाएं दे चुके हैं। उन्हें आबे का करीबी माना जाता है।
प्रधानमंत्री पद के तीन उम्मीदवारों लिए डाइट मेम्बर्स और देश के सभी 47 राज्यों के तीन सांसदों ने वोटिंग की। यही वजह रही कि इसमें 788 सांसदों के बदले सिर्फ 534 सदस्य ही शामिल हुए। इमरजेंसी की स्थिति को देखते हुए यह तरीका अपनाया गया। एलडीपी के सेक्रेटरी जनरल और तोशिहिरो निकाइ ने वोटिंग करवाई।
पीएम पद के लिए दो और नेता रेस में थे
प्रधानमंत्री बनने की रेस में एलडीपी के पॉलिसी चीफ फुमियो किशिदा और पूर्व रक्षा मंत्री शिगेरु इशिबा भी शामिल थे। दोनों ही नेताओं ने आबे के पद छोड़ने के तुरंत बाद यह पद संभालने की अपनी इच्छा जाहिर कर दी थी। अंत में योशिहिडे सुगा का नाम सामने आया, पर वे सबसे आगे निकल गए। किशिदा को 89 और इशिबा को 68 वोट मिले। निचले सदन में एलडीपी बहुमत में है। ऐसे में यह पक्का है कि अब सुगा ही देश के अगले प्रधानमंत्री होंगे।
फोटो 2013 की है। इसमें सुगा और पूर्व पीएम आबे संसद सत्र के दौरान एक दूसरे से बात करते नजर आ रहे हैं।
सुगा के पिता स्ट्रॉबेरी उगाने वाले किसान थे
6 दिसंबर 1948 को योशिहिडे सुगा का जन्म अकिता राज्य में हुआ। वे अपने परिवार से राजनीति में आने वाले पहले व्यक्ति हैं। सुगा के पिता वासाबुरो द्वितीय विश्व युद्ध के समय साउथ मंचूरिया रेलवे कंपनी में भी काम करते थे। जंग में अपने देश के सरेंडर करने के बाद वे वापस जापान लौट आए। उन्होंने अकिता राज्य के युजावा कस्बे में स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की। बड़े बेटे होने के नाते सुगा बचपन में खेतों में अपने पिता की मदद करते थे। उनकी मां टाटसु एक स्कूल टीचर थीं।
बचपन के इस फोटो में सुगा (दाएं) अपने बचपन के दोस्त मासाशी यूरी (बाएं) के साथ नजर आ रहे हैं। सुगा स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद भागकर टोक्यो आ गए थे।
सिक्योरिटी गार्ड और फिश मार्केट तक में काम किया
सुगा अपने पिता की तरह खेती नहीं करना चाहते थे। इसलिए, वे स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद घर से भागकर टोक्यो आ गए। यहां आने के बाद उन्होंने कई पार्ट टाइम नौकरियां की। उन्होंने सबसे पहले कार्डबोर्ड फैक्ट्री में काम शुरू किया। कुछ पैसे जमा होने पर 1969 में होसेई यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लिया। पढ़ाई जारी रखने और यूनिवर्सिटी की फीस भरने के लिए उन्हें कई और पार्टटाइम किया। सुगा ने एक लोकल फिश मार्केट में और सिक्योरिटी गार्ड के तौर पर भी काम किया।
अकिता राज्य के युजावा कस्बे के इसी मकान में सुगा का बचपन बीता था।
कैसे हुई राजनीति में एंट्री?
शुरुआत में सुगा की राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं थी। जापान में जब अमेरिका के साथ सुरक्षा समझौता हुआ और वियतनाम युद्ध के बाद प्रदर्शन शुरू हुए तो वे इसमें शामिल नहीं हुए। ग्रेजुएशन की पढाई पूरी करने के बाद वे एक इलेक्ट्रिकल मेंटेनेंस कंपनी में शामिल हो गए। इसके बाद राजनीति में रुचि बढ़ी और वे एक डाइट मेम्बर के सेक्रेटरी बन गए। सांसद के कामकाज के तरीकों को समझने के बाद 1987 में उन्होंने योकोहामा सिटी असेंबली से चुनाव लड़ा। उन्होंने एक दर्जन से ज्यादा जूते एक बार में पहनकर करीब 30 हजार लोगों के घर जाकर प्रचार किया। चुनाव में उनकी जीत हुई।
सुगा के बचपन की दोस्त मासाशी यूरी अपने फोटो कलेक्शन में सुगा की बचपन की फोटो दिखाते हुए।
8 साल से शिंजो आबे के राइट हैंड
1996 में जापान के निचले सदन में चुने जाने के बाद से सुगा की आबे से नजदीकी बढ़ी। जब आबे 2012 में जापान के प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने सुगा को चीफ कैबिनेट सेक्रेटरी बनाया। सुगा तब से आबे के राइट हैंड मैन की तरह काम करते रहे। रोज 2 मीडिया ब्रीफिंग के जरिए वे चर्चाओं में बने रहते थे। सरकार से जुड़े हर तीखे सवालों की जिम्मेदारी सुगा निभा रहे थे।
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ सुगा की यह फोटो 2014 की है। सुगा को आबे का करीबी माना जाता है।
लोग प्यार से अंकल रेवा कहते हैं
पिछले साल जापान के तत्कालीन राजा अकिहितो ने सिंहासन खत्म किया था और उनके बड़े बेटे नारुहितो ने गद्दी संभाली थी। इस नए युग का नाम रेवा दिया गया, जिसका मतलब सुंदर तालमेल (ब्यूटीफुल हारमनी) होता है। सुगा ने इस नाम का ऐलान किया था, इसलिए प्यार से उन्हें अंकल रेवा कहते हैं।
फोटो अप्रैल 2019 की है। इसमें सुगा एक प्रेस कॉन्फ्रेस में नए युग का नाम रेवा दिखाते नजर आ रहे हैं।
विदेश दौरे बहुत कम करते हैं
खुद को एक रिफॉर्मिस्ट बताने वाले सुगा कहते हैं कि उन्होंने ब्यूरोक्रेसी के बैरियर तोड़कर पॉलिसी तैयार करने का काम किया। वे जापान में विदेशी टूरिज्म को बढ़ावा देने की कोशिशों, सेलफोन के बिल कम करवाने और एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट को संभालने का क्रेडिट खुद को देते हैं, लेकिन विदेश यात्राएं काफी कम करते हैं। इसलिए उनकी डिप्लोमेटिक स्किल्स के बारे में लोगों को ज्यादा पता नहीं है।
कोरोना और चीन से निपटने की चुनौती
उम्मीद की जा रही है कि सुगा भी आबे की प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए काम करेंगे। कोरोना और इकोनॉमी में गिरावट के अलावा उनके सामने कई दूसरे चैलेंज भी होंगे। जैसे- ईस्ट चाइना सी में चीन लगातार अड़ियल रवैया अपना रहा है। सुगा को टोक्यो ओलिंपिक्स पर भी फैसला लेना है, जो कोरोना की वजह से अगले साल गर्मियों तक टाल दिए गए हैं। अमेरिकी चुनाव के बाद वहां नई सरकार बनती है तो उससे अच्छे रिश्ते बनाने की चुनौती भी होगी।
आप जापान से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ सकते हैं…