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पिता ने पेट्रोल पंप पर नौकरी करके बेटे को IAS बनाया, 2018 में सिर्फ एक रैंक से IAS बनने से चूके थे

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  • Pradeep Singh, Who Secured 26th Rank, Passed The UPSC Examination On The Basis Of Self Study Twice, The Dream Of Becoming An IAS Was Not Completed By One Rank In 2018.

एक घंटा पहलेलेखक: सिद्धार्थ सराठे

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UPSC में 26वीं AIR रैंक वाले प्रदीप सिंह और उनके पिता मनोज सिंह। (फाइल फोटो)

  • मैरिट लिस्ट में नंबर 1 पर सोनीपत के प्रदीप सिंह हैं जबकि 26वां स्थान इंदौर के प्रदीप सिंह को मिला
  • इंदौर के प्रदीप सिंह मूलत: बिहार के हैं और उनके पिता इंदौर में पेट्रोल पंप पर नौकरी करते हैं
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यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) ने सिविल सर्विसेज एग्जामिनेशन-2019 का रिजल्ट मंगलवार को जारी कर दिया है। इसमें प्रदीप सिंह टॉपर रहे। दूसरे नंबर पर जतिन किशोर और तीसरे पर प्रतिभा वर्मा रहीं। लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के बाद अपाइंटमेंट के लिए कुल 829 कैंडिडेट्स चुने गए हैं। इनमें जनरल के 304, ईडब्ल्यूएस के 78, ओबीसी के 251, एससी के 129 और एसटी के 67 कैंडिडेट्स हैं।

मैरिट लिस्ट में पहले नंबर पर हरियाणा के सोनीपत के किसान परिवार के प्रदीप सिंह हैं, जबकि 26वां स्थान भी प्रदीप सिंह नाम के कैंडिडेट को ही मिला है जो मूलत: बिहार से हैं और वर्तमान में उनका परिवार इंदौर में रहता है। प्रदीप 2 साल पहले भी यूपीएससी में सफल हो चुके हैं। 2017 में प्रदीप ने UPSC की तैयारी शुरू की थी। उनके पिता मनोज सिंह पेट्रोल पंप पर काम करते हैं और उन्होंने बेटे को IAS बनाने के लिए अपना घर तक बेच दिया।

यूपीएससी की तैयारी शुरू करने से लेकर IAS का सपना पूरा करने तक के अनुभव प्रदीप ने दैनिक भास्कर से साझा किए।

असिस्टेंट कमिश्नर हैं प्रदीप, छुट्‌टी लेकर कर रहे थे तैयारी

2 साल पहले यानी साल 2018 में हुई UPSC परीक्षा प्रदीप सिंह ने पहले ही प्रयास में पास कर ली थी। उस समय प्रदीप की ऑल इंडिया रैंक ( AIR) 93 थी। परीक्षा में सफल होने के बाद प्रदीप का अपॉइंटमेंट इंडियन रेवेन्यू सर्विस ( IRS) में हुआ था। वे वर्तमान में आयकर विभाग में बतौर असिस्टेंट कमिश्नर पदस्थ हैं। छुट्‌टी लेकर वे दोबारा यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे।

IAS बनने का सपना अधूरा रह गया था, इसलिए दोबारा दी परीक्षा

प्रदीप बताते हैं। उनका लक्ष्य IAS बनना ही था। 2018 में यूपीएससी क्लियर हो गया पर IAS से सिर्फ एक रैंक पीछे रह गए। प्रदीप के पास उस समय IPS बनने का भी विकल्प था। लेकिन, उन्होंने उस विकल्प को न चुनते हुए फॉरेंस सर्विस ज्वॉइन की, तैयारी के लिए छुट्‌टी ली और 2020 में अपना सपना पूरा किया।

संघर्ष किया, पर इसका अच्छा परिणाम भी मिला

प्रदीप के पिता पेट्रोल पंप पर काम करते हैं। उनके लिए प्रदीप की पढ़ाई का खर्च उठाना आसान नहीं था। इस पर प्रदीप कहते हैं कि मेरे पिता ने बहुत संघर्ष किया और सफलता का श्रेय उन्हीं का जाता है। लेकिन, आखिरकार पिता के संघर्ष का अच्छा परिणाम मिल चुका है। ​​​​​​कई विपरीत परिस्थितियां भी आईं पर अब मैं उनपर ज्यादा बात नहीं करना चाहता। ​

सेल्फ स्टडी के दम पर दो बार क्लियर की परीक्षा

प्रदीप बताते हैं कि तैयारी के लिए वे दिल्ली गए जरूर थे। पर जल्द ही उन्हें एहसास हो गया कि परीक्षा वे सेल्फ स्टडी के दम पर ही निकाल सकते हैं। समय-समय पर उन्होंने कोचिंग की भी मदद ली। लेकिन, तैयारी का अधिकतर हिस्सा सेल्फ स्टडी के जरिए ही पूरा किया।

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