- जनवरी में प्याज के कण यानी बीज काे खेताें में बाेया जाता है
- किसान अप्रैल में इससे बनी पौध को खेतों से निकालकर घरों में ले आते हैं
दैनिक भास्कर
Jul 09, 2020, 06:06 AM IST
अलवर (राजस्थान). बरसाती मौसम में प्याज को हवा भी चाहिए और पानी से भी बचाना है। इसलिए चार महीने के लिए किसानों के घर ही गोदाम बन जाते हैं। दरअसल, जनवरी में प्याज के कण यानी बीज काे खेताें में बाेया जाता है। इसलिए किसान अप्रैल में इससे बनी पौध को खेतों से निकालकर घरों में ले आते हैं।
साथ ही प्याज की गंठी (सूखे प्याज की गठान) बनाकर कमराें और दीवाराें पर लटका देते हैं ताकि इनकाे हवा लगती रहे। फिर अगस्त में इन्हें खेताें में बाेया जाता है, जिसके बाद दीपावली के आसपास ये प्याज बनकर तैयार हाे जाती है। फिर किसान इन्हें बेचने के लिए मंडी ले जाते हैं। इस समय राजस्थान में अलवर के आसपास स्थित ग्रामीण क्षेत्राें के मकानाें में इस तरह प्याज की गंठियां देखने काे मिल जाएंगी।
अलवर से दिल्ली, यूपी व पंजाब समेत 9 राज्यों में भेजा जाता है प्याज
उद्यानिकी विभाग के सहायक निदेशक लीलाराम जाट बताते हैं कि अलवर में प्याज की खेती से करीब 36 हजार किसान जुड़े हैं। यहां 4.5 लाख मीट्रिक टन प्याज की पैदावार होती है। यहां से पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उप्र, बिहार, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, असम और मणिपुर प्याज भेजा जाता है।