- गोद लिए हुए गांवों में कोरोना को राेकने के लिए रिसर्च करेंगे सरकारी कॉलेज और यूनिवर्सिटी
- ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में संक्रमण के प्रसार का जोखिम 1.09 गुना ज्यादा
दैनिक भास्कर
Jun 16, 2020, 02:42 PM IST
देशभर में फैले कोरोना संक्रमण को खत्म करने के लिए सरकार की तरफ से कई तरह के प्रयास किए जा रहे है। इसके अलावा सरकार महामारी से जुड़ी सभी गाइडलाइन देने के लिए लोगों से भी लगातार संवाद भी कर रही है। इसी क्रम में अब कोरोना के खतरे को गांवों में कम करने के मकसद से अब सरकारी कॉलेज व यूनिवर्सिटी भी रिसर्च करेंगे। इस बारे में यूजीसी ने सभी कॉलेज और यूनिवर्सिटी को पत्र लिखकर कहा है कि वह अपने गोद लिए हुए गांवों में कोरोना को राेकने के लिए रिसर्च करें। इन सभी गांवों में कोरोना से निपटने के लिए उसी तरह कोशिश करनी होगी, जैसा कि 1918 में फैले एच1एन1 वायरस या स्पेनिश फ्लू महामारी से निपटे थे। इसके लिए सभी प्रिंसिपल से कहा गया है कि वे अपने गोद लिए पांच-छह गांवों या अपने संस्थान के पास के गांवों में जाकर कोरोना वायरस पर अध्ययन करें।
यूजीसी ने पत्र लिख दी जानकारी
सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को लिखें अपने पत्र में, यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) ने कहा कि, ‘मौजूदा दौर में पूरा देश महामारी के खिलाफ जंग लड़ रहा है। ऐसी स्थिति के लिए अधिक सहयोग, समझ और अनुकूलनशीलता की आवश्यकता होती है। खासकर, कृषक समुदाय द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका के साथ-साथ महामारी के प्रभाव का संवेदनशील विश्लेषण करने की भी आवश्यकता है। इस अध्ययन के दौरान इन तीन मुख्य बातों पर ध्यान देने को कहा गया है-
- गांवों में करोना को लेकर जागरूकता का स्तर
- गांव ने वायरस द्वारा उत्पन्न चुनौतियों का सामना कैसे किया?
- कोरोना के खिलाफ लड़ाई में किन बेहतरीन रणनीतियों को अपनाया ?
स्पेनिश फ्लू के प्रभाव पर करेंगे अध्ययन
इसके अलावा यूजीसी ने इस अध्ययन में स्पेनिश फ्लू के प्रभाव और भारत ने किस तरह इस इस महामारी का सामना किया के बारे में जानकारी हासिल करने को कहा है। साथ ही इस सर्वे में यह भी पता लगाया जाएगा कि स्पेनिश फ्लू के बाद कैसे गांवों ने अपनी अर्थव्यस्था को मजबूत किया था और अब कोरोना संकट काल में किन उपायों की मदद से अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाया जा सकता है। इस सर्वे के लिए एक टीम बनानी होगी, जिसे यह रिसर्च रिपोर्ट 30 जून तक जमा करनी होगी।
ग्रामीण इलाकों में संक्रमण का खतरा कम
साल 1918 में फैले स्पैनिश फ्लू की शुरुआत यूरोप में प्रथम विश्व युद्ध के अंत में हुई थी। यह एक सांस की बीमारी थी, जो कोरोना वायरस की तरह ही फैली हुई थी। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में वर्तमान में सबसे ज्यादा फोकस संक्रमण के आगे बढ़ने से रोकने पर है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के मुताबिक ग्रामीण आबादी में संक्रमण के जोखिम की संभावना कम है। ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में प्रसार का जोखिम 1.09 गुना ज्यादा है। जबकि ग्रामीण इलाकों संक्रमण की दर 0.08 प्रतिशत से बहुत कम है।