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दुख को कभी खुद पर हावी न होने दें, हर दुख से छुटकारा पाने का कोई न कोई उपाय जरूर होता है

13 घंटे पहले

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  • बुद्ध कहते हैं दुखी होने से परेशानियां खत्म नहीं होती, हर इंसान को दुख से छुटकारा पाने के लिए उससे जुड़ी बातों पर विचार करना चाहिए

भगवान बुद्ध द्वारा दी गई सीख आज भी प्रासंगिक है। गौतम बुद्ध ने सारनाथ में दिए अपने पहले उपदेश में भी दुख के बारे में बात की है। बुद्ध ने कहा है दुख के बारे में अच्छे से जान लेने के बाद ही सुख मिलता है। उन्होंने बताया कि हर इंसान कभी न कभी दुखी होता ही है। हर इंसान को ये जान लेना चाहिए कि दुख का कारण क्या है, क्यों दुख आता है, हर तरह के दुख से छुटकारा पाया जा सकता है। और दुख को खत्म करने के क्या उपाय हैं। इन बातों को जो इंसान समझ लेता है वो किसी भी हालात में परेशान नहीं होता है।

  • आज हर इंसान किसी न किसी बात को लेकर परेशान है या कहा जा सकता है कि दुखी है। भगवान बुद्ध का कहना है कि दुखी होने से परेशानियां खत्म नहीं होती हैं। हर इंसान को दुख से छुटकारा पाने के लिए उससे जुड़ी बातों पर विचार करना चाहिए। इसके लिए भगवान बुद्ध की सीख से मदद मिलती है।

बुद्ध की 4 सीख

  1. दुख है: महात्मा बुद्ध की पहली सीख कहती है कि संसार में दुःख है। बुद्ध कहते हैं कि इस संसार में कोई भी प्राणी ऐसा नहीं है जिसे दुःख ना हो। उनके मुताबिक दुख को एक सामान्य स्थिति समझना चाहिए। इसे खुद पर हावी नहीं होने देना चाहिए। इसलिए हर इंसान को दुखी होने पर चिंतित और परेशान नहीं होना चाहिए। इसके उलट खुद को खुश रखने की कोशिश करनी चाहिए।
  2. दुख का कारण है: महात्मा बुद्ध ने अपनी दूसरी सीख में दुख के कारण का जिक्र किया है। बुद्ध का कहना है कि हर दुख की वजह तृष्णा यानी तेज इच्छा है। इसलिए किसी भी चीज के लिए तृष्णा नहीं रखना चाहिए। यानी कहा जा सकता है कि किसी चीज या इंसान से उम्मीद नहीं रखनी चाहिए।
  3. दुख का निवारण है: महात्मा बुद्ध ने तीसरी सीख में बताया है कि किसी भी तरह का दुख हो उसको दूर किया जा सकता है। उनका कहना है कि हर इंसान को ये समझना चाहिए कि कोई भी दुख हमेशा नहीं रहता है, उसको खत्म किया जा सकता है।
  4. दुख निवारण का उपाय है: बुद्ध का कहना है कि हर दुख को दूर करने का उपाय मौजूद होता है। निवारण के उपाय भी मौजूद है। दुःख को दूर करने के लिए इंसान को भगवान बुद्ध के बताए गए सद् मार्ग यानी अष्टांगिक मार्ग को जानना चाहिए। जिससे कभी दुख महसूस नहीं होगा।

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