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दो मैच हम हार चुके थे, एक और हारते तो टूर्नामेंट से बाहर होते; फाइनल में 183 रन ही बना सके थे, लेकिन कपिल के एक कैच ने जीत दिला दी

  • 1983 के वर्ल्ड कप में टीम इंडिया ने 6 ग्रुप मैच में से 4 जीते; ऑस्ट्रेलिया-वेस्टइंडीज से 1-1 मैच हारी थी
  • लगातार दो हार के बाद जिम्बाब्वे के खिलाफ खेलते हुए कपिल देव ने 175 रन बनाए थे
  • कपिल देव ने फाइनल मैच में मदनलाल की गेंद पर विव रिचर्ड्स का कैच पकड़ा था

दैनिक भास्कर

Jun 25, 2020, 09:17 PM IST

नई दिल्ली. तारीख थी 25 जून 1983 और जगह इंग्लैंड का लॉर्ड्स मैदान। वही मैदान, जिसे क्रिकेट का मक्का कहा जाता है। 37 साल पहले इसी मैदान पर भारत और वेस्टइंडीज के बीच फाइनल मुकाबला हुआ था। मुकाबला कोई छोटे-मोटे टूर्नामेंट का नहीं, बल्कि वर्ल्ड कप का था। ये वर्ल्ड कप का तीसरा एडिशन था, जिसमें 27 मैच हुए थे। इसमें टीम इंडिया ने 8 मैच खेले थे, जिसमें से दो हार गई थी।

टीम का इस वर्ल्ड कप में सफर उतना आसान नहीं था, क्योंकि उसका पहला ही मैच दो बार की वर्ल्ड चैम्पियन टीम वेस्टइंडीज से था। भारतीय टीम इस टूर्नामेंट में 6 ग्रुप मैच में से 2 मैच हार चुकी थी। 

अगर वह एक और मैच हारती तो टूर्नामेंट से बाहर होने का खतरा बढ़ जाता। तीसरे मैच में कप्तान कपिल देव ने 175 रन बनाकर टीम इंडिया का ऐसा मनोबल बढ़ाया कि बाद में उसने ऑस्ट्रेलिया को हराकर सेमीफाइनल में अपनी जगह पक्की की। और फिर फाइनल में।

इस मैच ने भारतीय क्रिकेट को दो हिस्सों में बांट दिया था। एक वो, जो वर्ल्ड कप से पहले था और एक था, वर्ल्ड कप की जीत के बाद बिल्कुल बदला हुआ पहले से बेहतर क्रिकेट। 

पहले वर्ल्ड कप के जीतने के 37 साल पूरे होने पर उस फाइनल मैच के 5 टर्निंग पॉइंट…

1. लॉर्ड्स में खेले गए इस फाइनल मैच में भारत और वेस्टइंडीज की टीम के केवल दो ही बल्लेबाज 30 से ज्यादा रन बना पाए थे। टीम इंडिया की तरफ से के. श्रीकांत ने सबसे ज्यादा 38 रन बनाए थे, जबकि वेस्टइंडीज की ओर से विवियन रिचर्ड्स ने 33 रनों की पारी खेली थी। इस मैच में श्रीकांत और रिचर्ड्स दोनों ने ही 7-7 चौके भी लगाए थे।

2. इस मैच में कपिल देव ने वेस्टइंडीज के विवियन रिचर्ड्स का शानदार कैच पकड़ा था। यही कैच मैच का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। दरअसल, रिचर्ड्स ने मदनलाल की गेंद पर एक बड़ा शॉट खेला था, लेकिन गेंद उनके बल्ले पर सही फिट नहीं हो पाई, जिसके बाद कपिल देव ने पीछे की ओर दौड़कर उनका कैच पकड़ लिया। इस कैच को क्रिकेट इतिहास के शानदार कैच के तौर पर याद किया जाता है।

3. टीम इंडिया ने इस मैच में आखिरी 7 विकेट महज 93 रनों के भीतर ही गंवा दिए थे और वेस्टइंडीज ने अपने आखिरी 9 विकेट महज 90 रनों के भीतर। यही वजह थी कि वर्ल्डकप के फाइनल में भी एक लो-स्कोरिंग मैच देखने को मिला था। मैच में टीम इंडिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 183 रन बनाए थे। इसके जवाब में वेस्टइंडीज की टीम 140 रन पर ही ऑलआउट हो गई थी।

4. फाइनल में ऑलराउंडर प्रदर्शन करने वाले मोहिंदर अमरनाथ को मैन ऑफ द मैच चुना गया था। इस मैच में उन्होंने बल्लेबाजी करते हुए 26 रन बनाए थे। साथ ही 7 ओवरों में 13 रन देकर 3 विकेट भी चटकाए थे।

5. 1983 का ये वर्ल्ड कप 60-60 ओवरों का खेला गया था। इसमें वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाज जोएल गार्नर ने 12 ओवरों में से 4 मेडेन ओवर डाले थे। भारत की ओर से कपिल देव ने 11 ओवरों में से 4 मेडेन डाले थे। इस मैच को भारतीय गेंदबाजों की शानदार गेंदबाजी के लिए भी याद किया जाता है।

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