- पहला यह कि सरकारी प्रतिबंध कई पालकों को रास नहीं आया, वे चाहते हैं कि बच्चों की पढ़ाई जारी रहे और दूसरा सरकारी आदेश में वीडियो भेजकर पढ़ाई कराने पर रोक नहीं है
- ऑनलाइन पढ़ाई पर रोक के बाद सहोदय समूह सरकार को भेज रहा सुझाव
दैनिक भास्कर
Jun 25, 2020, 04:19 AM IST
इंदौर. प्रदेश सरकार ने पांचवीं तक के बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई पर रोक लगा दी है। इसके बाद स्कूलों ने तय किया है कि वे पालकों की मदद से बच्चों को पढ़ाएंगे। इस व्यवस्था के पीछे दो कारण हैं। पहला यह कि सरकारी प्रतिबंध कई पालकों को रास नहीं आया, वे चाहते हैं कि बच्चों की पढ़ाई जारी रहे और दूसरा सरकारी आदेश में वीडियो भेजकर पढ़ाई कराने पर रोक नहीं है।
स्कूल प्रिंसिपल नीरज बधोतिया ने बताया ऑनलाइन पढ़ाई दो तरीके की होती है, सिंक्रोनस जिसमें शिक्षक पढ़ाते हैं और बच्चे मोबाइल पर सीधा उन्हें देखते हैं। दूसरा तरीका है, एसिंक्रोनस जिसमें बच्चों को कोई काम दिया जाता है जिसे उन्हें पूरा करना होता है। सरकार पहले तरीके को रोकना या कम करना चाहती है। आदेश में वीडियो के जरिए पढ़ाने की बात है। बच्चों को गूगल क्लास रूम के जरिए स्टडी मटेरियल दिया जाएगा तो अकाउंट खोलने और मटेरियल को समझने के लिए पालकों को बच्चों की मदद करनी पड़ेगी।
पालक कह रहे, बच्चों में पढ़ने की आदत कम हो रही
कई स्कूलों ने बच्चों को पढ़ाई जारी रहे इसलिए अपनी लाइब्रेरी में पालकों को आने की सलाह दी है। सहोदय ग्रुप के पूर्व चेयरमैन मनोज वाजपेयी ने बताया, कई स्कूल के पालक प्रबंधन से कह रहे हैं कि उनके बच्चों की पढ़ाई की आदत छूट रही है और पढ़ाई का नुकसान भी हो रहा है। चूंकि बच्चों को तो स्कूल नहीं बुलाया जा सकता इसलिए पालकों को स्कूल आकर लाइब्रेरी से किताबें ले जाकर बच्चों को पढ़ाने की सलाह दी है। यदि पढ़ाई संबंधी कोई समस्या हो तो स्कूल में मौजूद टीचर से वे सलाह ले सकते हैं।
पढ़ाई के साथ एरोबिक्स भी कराने का सुझाव: सहोदय ग्रुप
सहोदय ग्रुप के चेयरमैन यूके झा के मुताबिक पढ़ाई बंद किए जाने की अपेक्षा समय कम किया जा सकता है। दूसरे भी उपाय हैं। इसमें पढ़ाई के साथ एरोबिक्स या दूसरी शारीरिक गतिविधियां कराने का सुझाव भी देंगे। सहोदय के पूर्व प्रमुख मोहित यादव के अनुसार बच्चों की सेहत और शिक्षा दोनों जरूरी है। सहोदय इसी के लिए प्रयास कर रहा है। इमसें पालकों को भी सहयोग करना चाहिए।
सुझाव अच्छा, लेकिन इससे पालकों पर बढ़ेगा दबाव
पालक संघ के अध्यक्ष अनुरोध जैन का कहना है कि स्कूल संचालकों का यह सुझाव अच्छा है। हालांकि वे ऐसा करके अपनी जिम्मेदारी पालकों पर डालना चाह रहे हैं। इससे पालकों पर दबाव बढ़ जाएगा। ऐसे में स्कूलों को फीस भी कम करनी चाहिए। पहली से पांचवीं तक के छात्रों के सिलेबस में भी 30 प्रतिशत तक की कटौती करनी चाहिए।