- 1995 में भारत के प्रयास का अमेरीकी जासूसों ने पता लगा लिया था और दबाव में भारत को अपना परीक्षण टालना पड़ा था
- 11 मई 1998 की सुबह थार के रेगिस्तान में पोखरण के खेतोलाई गांव के पास भारत ने अपना परमाणु परीक्षण किया था
दैनिक भास्कर
May 11, 2020, 04:13 PM IST
नई दिल्ली. 11 मई का दिन देश के लिए वैश्विक स्तर पर बेहद खास है क्योंकि इस दिन को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस यानी ‘नेशनल टेक्नोलॉजी डे’ के रूप में मनाया जाता है। आज ही के दिन देश में टेक्नोलॉजी क्रांति आई थी। आज का दिन साल 1998 में सफल ‘पोखरण परमाणु परिक्षण’ और अंतरिक्ष में भारत की बड़ी प्रगति के रूप में इतिहास में दर्ज है। आज ही के दिन भारतीय सेना के पोखरण परीक्षण रेंज में भारत द्वारा किए गए पांच परमाणु बम विस्फोटों की सीरीज में पहला कदम था और भारत ने आज ही के दिन ऑपरेशन शक्ति मिसाइल को सफलतापूर्वक फायर किया था।
भारत ने परमाणु मिसाइल का परीक्षण करते हुए दुनियाभर में न्यूक्लियर खेल को पूरी तरह से बदल दिया। डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की बदौलत भारत ने पश्चिमी शक्तियों के कभी न खत्म होने वाले प्रभुत्व को चुनौती दी।
अमेरिकी खुफिया एजेंसी को दिया था चकमा
- भारत ने परमाणु टेस्ट बेहद खुफिया तरीके से किया था क्योंकि 1995 में भारत के प्रयास का अमेरिकी जासूसों ने पता लगा लिया था और दबाव में भारत को अपना परीक्षण टालना पड़ा था। इस बार भारत कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता था। परीक्षण स्थल का कलाम और उनकी टीम ने कई बार दौरा किया। वो कई माह तक इस क्षेत्र में सैन्य अधिकारी के रूप में घूमते रहे लेकिन किसी को भनक तक नहीं पड़ी और फिर सफल परमाणु परीक्षण हुआ।
- 11 मई 1998 की सुबह थार के रेगिस्तान में पोखरण के खेतोलाई गांव के पास भारत ने अपना परमाणु परीक्षण किया था। व्हाइट हाउस नाम से बनाए शाफ्ट में धमाका हुआ। भारत ने 58 किलो टन क्षमता के परमाणु बम का परीक्षण करके सभी को चौंका दिया था। यह अमेरिका की ओर से दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान के हिरोशिमा में गिराए गए परमाणु बम लिटिल बॉय से चार गुना अधिक शक्तिशाली था। दुनिया भौचक्की रह गई कि भारत ने यह कारनामा कैसे किया लेकिन भारत अपना काम चुका था।
- जिसके बाद तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत को एक परमाणु संपन्न देश घोषित किया था। उसके बाद भारत परमाणु क्लब देशों में शामिल होने वाला छठा देश बना गया था। इसीलिए 1999 से 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस (नेशनल टेक्नोलॉजी डे) के रूप में मनाया जाता है।
मिसाइल त्रिशूल का सफल परीक्षण हुआ था
- परमाणु परीक्षणों के अलावा भारत ने राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशालाओं, बेंगलुरु द्वारा विकसित अपने पहले स्वदेशी विमान- हंसा 3 का भी सफलतापूर्वक परीक्षण किया। इसके अलावा भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने भारत की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल त्रिशूल का सफल परीक्षण करके इस दिन की उपलब्धि में चार चांद लगा दिए। यह सेना और नौसेना द्वारा शामिल किया गया और भारत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम का एक हिस्सा बन गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीटर पर दी टेक्नोलॉजी डे की बधाई
पीएम मोदी ने पोकरण परीक्षण को लेकर मन की बात में हुए जिक्र का वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि 1998 में पोखरण में हुए परीक्षणों ने दिखाया कि कैसे एक मजबूत राजनीतिक नेतृत्व बड़ा अंतर पैदा कर सकता है।
On National Technology Day, our nation salutes all those who are leveraging technology to bring a positive difference in the lives of others. We remember the exceptional achievement of our scientists on this day in 1998. It was a landmark moment in India’s history.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 11, 2020
ट्वीटर पर पीएम ने एक वीडियो भी शेयर किया
पीएम मोदी ने साथ ही कहा कि आज दुनिया को COVID-19 से मुक्त बनाने के प्रयासों में कई तकनीक मदद कर रही है। पीएम ने कहा कि मैं कोरोना वायरस को हराने के तरीकों पर अनुसंधान और इनोवेशन में सबसे आगे उन सभी को सलाम करता हूं। प्रधानमंत्री ने अपील की कि स्वस्थ और बेहतर ग्रह बनाने के लिए हम तकनीक का इस्तेमाल करते रहें।
The tests in Pokhran in 1998 also showed the difference a strong political leadership can make.
Here is what I had said about Pokhran, India’s scientists and Atal Ji’s remarkable leadership during one of the #MannKiBaat programmes. pic.twitter.com/UuJR1tLtrL
— Narendra Modi (@narendramodi) May 11, 2020