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बुध की मिथुन राशि में होगा 21 जून का सूर्य ग्रहण, वातावरण में बढ़ सकती है अस्थिरता, ग्रहण की वजह से व्यापारियों के लिए बढ़ सकती हैं परेशानियां

  • ग्रहण का असर करीब 6 माह तक रहता है, 21 जून से दिसंबर तक रहना होगा सतर्क

दैनिक भास्कर

Jun 19, 2020, 06:36 PM IST

21 जून को इस वर्ष का पहला चूड़ामणि सूर्य ग्रहण लगने वाला है। यह सुबह लगभग 10.14 बजे शुरू होगा और दोपहर 1.38 तक रहेगा। आर्ट ऑफ लिविंग के वैदिक धर्म संस्थान में ज्योतिष और वास्तु विभाग के प्रशासक आशुतोष चावला के अनुसार दिसंबर में हुआ सूर्य ग्रहण विश्व के लिए कई परेशानी लेकर आया था। कोरोना वायरस का जन्म हुआ और सभी देशों पर इसका असर हुआ है।

ज्योतिष के हिसाब से एक साथ तीन ग्रहण होना शुभ संकेत नहीं माना जाता है। 21 जून का सूर्य ग्रहण वायु तत्व की राशि पर आ रहा है तो इसके प्रभाव से वातावरण में अस्थिरता ज्यादा रहेगी। वायु यात्रा आने वाले कुछ समय और तक प्रभावित होने वाली है।

5 जून से 5 जुलाई तक 30 दिन में तीन ग्रहण

अगले माह में 5 जुलाई को मांद्य चंद्र ग्रहण होगा। इससे पहले 5 जून को भी मांद्य चंद्र ग्रहण हुआ था। इस तरह 30 दिन में ये 3 ग्रहण पड़ रहे हैं और शास्त्रों के अनुसार भी इस को अच्छा नहीं माना जाता। महाभारत में भी इसका जिक्र है कि जब भी दो तिथि पर, दो नक्षत्र पर इतने कम समय में ग्रहण पड़ जाए, वो आम लोगों के लिए, देश के लिए, वातावरण के लिए अच्छा नहीं होता। क्योंकि, सूर्य आत्मकारक है और चंद्र मनकारक है। इन पर जब भी ग्रहण लगेगा, कहीं न कहीं, कुछ न कुछ तो अवसाद आना ही है। यह भी सही है कि कुछ लोगों को ग्रहण के कारण फायदा भी होता है। कुछ लोग जो भावनाओं में फंसे हुए होते है, उनके लिए ताकत मिल जाती है, वे इनसे बाहर निकल आते हैं या फ़िर जो काम रुके हुए होते हैं, उनके लिए एक विशेष बल इस समय पर मिलता है।

बुध की मिथुन राशि में होगा ये सूर्य ग्रहण

हर ग्रहण के समय सूतक लगता है, उसके बाद सब कुछ नया होता है। इसी प्रकार सूर्यदेव भी ग्रहण के बाद नए होंगे तो यह संकेत है कि कोरोना बीमारी का पतन इसके बाद आना चाहिए। यह ग्रहण बुध की मिथुन राशि में हो रहा है। मृगशिरा नक्षत्र और आर्द्रा नक्षत्र इस में संलग्न होंगे। आद्रा नक्षत्र भी मूल नक्षत्र का ही साथी है, रूद्र उसके देवता है। मृगशिरा नक्षत्र में सूर्य का होना थोड़ा राहत की बात तो नहीं कह सकते, लेकिन कम से कम ये दर्शाता है कि कोई नई बीमारी नहीं आने वाली है। मृगशिरा नक्षत्र के देवता सोम हैं। सोम यानी चंद्र, सोम को हमारे जीवन में एक ऐसा तत्व भी बताया जाता है जो हर बीमारी से बचाता है। संभव है इस ग्रहण के बाद शायद कोई वैक्सीन सामने आए जिससे कोरोना वायरस का अंत शुरू हो जाए।

ग्रहण की वजह से व्यापारियों के लिए बढ़ सकती हैं परेशानियां

बुध की मिथुन राशि होने के कारण व्यापार वर्ग के लिए कुछ मुश्किलें होने वाली है। भारत की अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ सकता है। ये काल पुरुष की तीसरी राशि है और केतु भी नवम स्थान में है। तीसरा स्थान कुछ नया शुरू करने का होता है। नवम स्थान में केतु के रहने की वजह से हमारे अन्न आदि भंडारण पर थोड़ा संकट आ सकता है और उसके लिए हमें तैयार रहना पड़ेगा। मृगशिरा मंगल का नक्षत्र है, राहु भी इसमें संलग्न है, राहु और मंगल विस्फोटक स्थिति भी पैदा कर सकते है। हो सकता है कि कहीं न कहीं कुछ हिंसा हो। बाढ़ आ सकती है, हमारी खेती प्रभावित हो सकती है।

मंत्र जाप का मिलता है लाख गुना ज्यादा फल

साधकों के लिए तो ग्रहण एक वरदान ही होता है तो हर साधक को खुशी होनी चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि ग्रहण के समय मंत्र जाप करने से उसका लाख गुना ज्यादा फल मिलता है। अगर आप कोई मंत्र सिद्ध करना चाहते हैं तो ये बहुत ही अच्छा वक्त है। एक राहत की बात है कि ये ग्रहण इस बार सूर्य के खुद के वार में पड़ रहा है, रविवार को सूर्य बलवान है, क्योंकि सूर्य उसका दिन है।

सूतक काल में क्या करें और क्या न करें

कोई भी ग्रहण जब भी आया है तो कुछ नया सृजन हुआ है और ये सृजन धर्म और सत्य को बढ़ाने के लिए हुआ है। जो सही रास्ते पर हैं, उन सबको इससे शक्ति ही मिली है। ग्रहण का सूतक 20 जून की रात करीब 10.14 बजे से शुरू हो जाएगा। सूतक काल में कुछ खाना-पीना नहीं चाहिए। सूतक से पहले भोजन ग्रहण कर लें। सुबह उठकर ग्रहण से पहले स्नान कर लें। इसके बाद ध्यान-साधना आरंभ करें। ग्रहण काल में भी कुछ भी खाते-पीते नहीं हैं। सोते भी नहीं हैं। इस ग्रहण का असर आने वाले कुछ महीनों तक रहेगा। कम से कम छह-सात महीनों तक ग्रहण का असर बना रहेगा। 21 जून से लेकर दिसंबर-जनवरी तक का समय विशेष रहेगा। इसीलिए सभी लोगों को इस समय में विशेष सावधानी रखनी होगी।

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