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जापान के गांव में ततैया को खाकर मनाया जाता है जश्न, इससे बने खाने के लगते हैं स्टॉल

  • ततैया के छत्ते को निकालने की होती है प्रतियोगिता
  • फेस्टिवल में ततैये से बने व्यंजनों के लगते हैं स्टॉल

दैनिक भास्कर

Feb 19, 2020, 12:35 PM IST

लाइफस्टाइल डेस्क. भारत में जहां घरों मे ततैया के आने पर सभी लोग उससे डर कर उसे भगाते हैं वहीं जापान में इसे ढूंढ कर खाना आम बात है। जापान के कुशिहारा गांव में ततैयों के लिए हीबो फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है जहां लोग ततैया के छत्तों को लेकर पहुंचते हैं। बड़े छत्ते लाने वालों को सम्मानित करने के अलावा फेस्टिवल में ततैया और वास्प्स (ततैया के कीड़े) से बने व्यंजन शौक से खाए जाते है।

 

हीबो फेस्टिवल- जापान की स्थानीय भाषा में हीबो को मतलब ततैया होता है जिसके लिए हीबो मस्तूरी फेस्टिवल को बनाया गया है। ये फेस्टिवल इस गांव में हर साल नवंबर के पहले रविवार को होता है। इस जगह आस- पास के लोग ढूंढे हुए ततैया के छ्त्ते को लेकर पहुंचते हैं। जिस भी व्यक्ति का छत्ता सबसे बड़ा या भारी होता है उसे यहां अ‌वॉर्ड से सम्मानित किया जाता है। अवॉर्ड सेरेमनी के बाद जहां कुछ लोग छत्ते को बेचने का काम करते हैं वहीं स्थानीय लोग भारी मात्रा में घर में इसके व्यंजन बनाने के लिए उन्हें खरीदने पहुंचते हैं। इस फेस्टिवल में कई फूड स्टॉल लगाए जाते हैं, जहां ततैया और वास्प्स से व्यंजन मिलते हैं।

 

कुशिहारा के लोगों को पसंद हैं वास्प्स के ये व्यंजन

हीबो पॉट राइस: इस डिश में पके हुए चावल पर हीबो यानि ततैया को भूंज कर डाला जाता है। वास्प्स के अलावा इस व्यंजन में बड़ी ततैया भी मिलाई जाती है।

हीबो पॉट राइस।

गोहे मोची: ये एक तरह का फास्ट फूड है जिसे चावल को पकाकर केक की तरह बनाया जाता है। सबसे पहले पके चावल को एक लकड़ी में रखा जाता है जिसके ऊपर ततैया के कीड़े से बनी चटनी को लगाकर पकाया जाता है। वहां के लोग गोहे मोची को बहुत पसंद करते हैं।

गोहे मोची।

फ्राइड वास्प्स: कई तरह के वास्प को साफ करके तला जाता है। इस व्यंजन को सूखा खाया जाता है। कुशियारा गांव के आस पास ये स्ट्रीट फूड काफी पसंद किया जाता है।

फ्राइड वास्प्स।

प्रोटीन युक्त है वास्प्स

टोक्यो के रिक्यो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर केनिची नोनाका बताते हैं कि यहां के लोग वास्प्स क्यों खाते हैं ये एक रहस्य है। वहीं कुछ थ्योरीज़ का मानना है कि पहले वास्प्स को काफी प्रोटीन यूक्त माना जाता था।  नोनाका इससे इनकार करते हुए कहते हैं कि 100 ग्राम वास्प्स खाने से प्रोटीन मिलता है लेकिन लोग इतना कभी एक साथ खा ही नहीं पाते हैं। इन सब के बावजूद उनका मानना है कि वास्प्स को इकट्‌ठा करना इस गांव को बाकियों से यूनीक बनाता है। 

छत्ते में लगे हुए ततैया के कीड़े।

घरों के बाहर ततैया पालते हैं लोग

एना जिले के कुशियारा गांव के लोग फेस्टिवल में हिस्सा लेने के लिए साल भर अपने घर के बाहर ततैया पालते हैं। बड़े छत्ते की चाह में स्थानीय लोग ततैया को ढूंढ कर एक लकड़ी के ढब्बे में पालते हैं। लोग इन्हें खाने के लिए शक्कर, पानी और मांस भी देते हैं। कुछ ही समय में ये ततैया ढब्बे में ही अपना घर बनाना शुरू कर देती है। गर्मियों के मौसम से पालना शुरू करने के बाद इनके घरों को फेस्टिवल में उतारा जाता है।

वास्प्स।

धीरे-धीरे लुप्त हो रहा है हीबो फेस्टिवल

सालों से एना जिले के गांव में लोगो द्वारा वास्प्स की प्रदर्शनी की जा रही है। साल 1993 में इस चलन को जिंदा रखने के लिए ही कुशिहारा गांव के लोगों ने हीबो फेस्टिवल की शुरुआत की थी। धीरे-धीरे लोगों में इसका चलन कम होने लगा है। अब इस फेस्टिवल में काफी कम लोगों ही हिस्सा लेते हैं।

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