- मेडिटेशन से तनाव दूर और स्वास्थ बेहतर होगा।
- 15 वर्ष की उम्र से शुरू कर सकते हैं ध्यान करना।
दैनिक भास्कर
Feb 21, 2020, 12:58 PM IST
लाइफस्टाइल डेस्क. हार्टफुलनेस मेडिटेशन अपने आंतरिक स्व(अंतरात्मा) से जुड़ने की स्वभाविक कला है। इसमें हृदय पर ध्यान करके शांति, स्थिरता और सरलता को सहज अनुभव किया जा सकता है।
ध्यान की प्रक्रिया
सूर्योदय के पूर्व उठें और ध्यान के लिए आरामदायक मुद्रा या सुखासन में बैठ जाएं। आंखें धीमे से बंद कर लें। हृदय में सरलता, पवित्रता एवं समर्पण के भाव के साथ महसूस करें कि आपके हृदय में दिव्य प्रकाश मौजूद है, जो आपका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। आने जाने वाले विचारों पर ध्यान न दें।
सरलता से ध्यान करें
अक्सर ध्यान में अभ्यासी को इस समस्या का सामना करना पड़ता है कि विचार बहुत आते हैं। हार्टफुलनेस मेडिटेशन में दिव्य ऊर्जा का बहाव ‘प्राणाहूति’ साधक की ओर मोड़ा जाता है, जिससे अभ्यासी सरलता से ध्यान कर पाता है। इसके अनुभव के लिए इसे स्वयं करके देखें।
सेहत में ये फायदे
सरल भाव से किए गए ध्यान से तनाव कम होने लगता है। मन प्रसन्न रहने लगता है, जिससे जीवन में खुशी और सरलता का संचार होता है। इन सभी चीजों का स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बीपी, शुगर, हृदयरोग, अनिद्रा, बेचैनी, घबराहट आदि समस्याओं का एक बड़ा कारण आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में होने वाले तनाव को कम करके बेहतर स्वास्थ्य की ओर कदम बढ़ाते हैं।
एकता का मार्ग
धर्म, जाति, लिंग, भाषा, क्षेत्र, पद, प्रतिष्ठा में सामाजिक, क्षेत्रीय, सांस्कृतिक, शारीरिक या आर्थिक भेद हो सकते हैं, परंतु ईश्वरीय तत्व की मौजूदगी सबमें एक समान है। ज्यों-ज्यों हमारी ये अनुभूति बढ़ती जाती है, त्यों-त्यों बाहरी भेद समाप्त होकर वैश्विक एकता एवं समानुभूति का भाव बढ़ने लगता है।
हृदय जीवन का केन्द्र है
हृदय न सिर्फ जीवन का केन्द्र है, अपितु हृदय में रक्तशोधन के माध्यम से शरीर की अशुद्धियां दूर करने की क्षमता एवं शुद्ध रक्त संचार का पंप भी है। सोचिए, जब हृदय में दिव्य तत्व का अनुभव किया जाएगा, तो वह कैसे हमारे मन, वचन एवं कर्मों को शुद्ध कर देगा। यही पवित्रता शांति, सरलता और संतुलन का कारण बन जाती है।
क्या मिलेगा इससे
ईश्वरीय तत्व सभी के अंदर हैं, जिनकी ऊर्जा से जीवनी शक्ति का प्राणों में संचार होता है, परंतु उस परम तत्व को अपने दैनिक कार्य व्यापार एवं भौतिक लक्ष्यों और चिंताओं में डूबे हुए हम शायद ही पल-प्रतिपल महसूस कर पाते हैं। नतीजा यह होता है कि हम अपने आंतरिक स्व से दूर होने लगते हैं और जीवन में असंतुलन, असमंजस और अधीरता बढ़ने लगता है। यदि हम प्रतिदिन सुबह इस सरल अभ्यास के लिए समय निकालें, तो स्वयं से जुड़कर हृदय में प्रेम, सरलता और शांति का संचार पाएंगे।
कब शुरू करें
हार्टफुलनेस ध्यान का नियमित अभ्यास 15 वर्ष की उम्र से शुरू किया जा सकता है। ध्यान की तैयारी में हार्टफुलनेस रिलैक्सेशन किया जाता है, जिसे बच्चे भी कर सकते हैं। ध्यान से विद्यार्थियों में एकाग्रता सहज रूप से विकसित होती है। इन सभी विधियों की जानकारी Hearts App या heartfulness.org पर उपलब्ध है।
हार्टफुलनेस ध्यान के प्रमुख अंग
1. सफाई
इसमें हम शाम के वक्त अपने दैनिक कामकाज खत्म करके शांत लेकिन सक्रिय मनोभाव से बैठते हैं। कल्पना करते हैं कि हृदय के सभी विकार एवं अशुद्धियां पीठ से धुएं के रूप में बाहर जा रहे हैं एवं उनके स्थान पर दिव्य ऊर्जा सामने से प्रवेश कर रही है।
2. प्रार्थना
इसमें रात्रि में सोने से ठीक पहले ईश्वर को सम्मुख मानकर कृतज्ञ भाव से मन ही मन यह पंक्तियां दोहराई जाती है –
‘हे नाथ, तू ही मनुष्य जीवन का वास्तविक ध्येय है। हम अपनी इच्छाओं के गुलाम हैं, जो हमारी उन्नति में बाधक हैं।
तू ही एकमात्र ईश्वर एवं शक्ति है, जो हमें उस लक्ष्य तक ले चल सकती है।’ सोने से ठीक पहले की गई प्रार्थना हृदय में अलौकिक ईश्वरीय शक्ति की उपस्थिति का भाव बनाए रखती है।