दैनिक भास्कर
Feb 29, 2020, 08:13 PM IST
शेफ संजीव कपूर
आप कोई भी प्रोडक्ट खरीदते हैं तो उसके साथ जानकारियों वाले लेबल भी आते हैं। उदाहरण के लिए हम कपड़े खरीदते हैं, तो देखते हैं कि वह किस फ्रैब्रिक से बने हैं, कहां बने हैं, गारंटी कितनी है आदि। इस जानकारी को देखकर फैसला लेते हैं। हालांकि कपड़े तो वह चीज हैं जो हम पहनते हैं, लेकिन उनका क्या जिन्हें हम खाते हैं? खासतौर पर वे जिन्हें हम स्वस्थ रहने के लिए खाते हैं। हम जो फूड आइटम खरीदते हैं, उनपर भी लेबल होते हैं और बहुत से लोग उन्हें नजरअंदाज कर देते हैँ।
व्यक्तिगत रूप से मेरे लिए ये लेबल पढ़ना बहुत जरूरी है क्योंकि ये वह जानकारी देते हैं, जो यह समझने के लिए जरूरी है कि हम दरअसल खा क्या रहे हैं। साथ ही हम एक ही फूड प्रोडक्ट के अलग-अलग विकल्पों में उनके न्यूट्रीशनल कंटेंट के आधार पर तुलना भी कर सकते हैं। ये जानकारी फूड आइटम्स के पैकेट्स, बॉटल्स, कैन्स और डिब्बों के पीछे आसानी से उपलब्ध होती है। इन फूड लेबल्स को सही ढंग से कैसे पढ़ा और समझा जाए, इससे जुड़ी कुछ टिप्स दे रहा हूं।
न्यूट्रिशन फैक्ट्स टेबल : समझें कैलोरीज का फंडा
- इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, शुगर्स, फाइबर, फैट (सैचुरेटेड और ट्रांस फैट), कोलेस्ट्रॉल, सोडियम, विटामिन, कैल्शियम और आयरन आदि होते हैं।
- इसमें सबसे जरूरी जानकारी होती है कैलोरीज और सर्विंग साइज। सर्विंग साइज का मतलब है कि एक बार में कितना परोसा जाए यानी खाने का स्टैंडर्ड अमाउंट।
- मैंने देखा है कि यह वह हिस्सा होता है, जिसे अक्सर सही ढंग से नहीं पढ़ा जाता। इसे समझने का सही तरीका यह है कि कैलोरजी को सर्विंग साइज के आधार पर देखा जाए। जो कैलोरीज दी हैं, वे पूरे पैकट की नहीं, बल्कि एक सर्विंग की हैं। इससे आपको यह समझने में मदद मिलती है कि कितना खा रहे हैं, उससे कितनी कैलोरी मिलेंगी।
प्रोडक्ट डेट : फूड पॉइजनिंग से बचने के लिए इसे जरूर देखें
पैकेट्स पर लिखी डेट्स पर तो हम आमतौर पर ध्यान देते ही हैं। इसमें ‘मैन्यूफैक्चर्ड डेट’ बताती है कि प्रोडक्ट कब बना था। फिर दो तरह की तारीखें और होती हैं। किसी-किसी प्रोडक्ट में ‘सेल बाय डेट’ होती है, जिसमें उत्पादक वह तारीख या महीना बताता है, जब तक फूड आइटम बेचा जा सकता है। कुछ प्रोडक्ट्स पर ‘बेस्ट बिफोर डेट’ भी होती है। मैं इसपर जरूर ध्यान देता हूं, यह जानने के लिए कि फूड प्रोडक्ट कब एक्सपायर होगा। इससे फूड पॉइजिनिंग से बचने में मदद मिलती है।
इंग्रीडिएंट्स लिस्ट : क्या कुछ है प्रोडक्ट में इसे समझें
- इस लिस्ट को पूरा पढ़ना जरूरी है क्योंकि इसमें किसी फूड आइटम के प्रत्येक इंग्रीडिएंट के बारे में जानकारी होती है। इंग्रीडिएंट्स का क्रम उस मात्रा के आधार पर होता है, जिस मात्रा में वे प्रोडक्ट में इस्तेमाल होते हैं। यानी जिसका वजन सबसे ज्यादा होता है, वह सबसे पहले लिखा होता है।
- कई लोगों को कुछ फूड एलर्जीज भी होती हैं। जैसे मूंगफली से। पैक पर खासतौर पर लिखा भी रहता है, ‘मे कंटेन पीनट्स’ (इसमें मूंगफली हो सकती), फिर भले ही प्रोडक्ट में मूंगफली न हो। इसलिए इसपर ध्यान जरूर दें।