- क्या वायरल : फेसबुक पोस्ट में बताया सांवला रंग जानलेवा कोरोनावायरस से बचा सकता है
- क्या सच : गोरे और सांवले दोनों स्किन टोन वाले लोगों में एंटीबॉडीज बराबर, इसलिए यह दावा झूठा है
दैनिक भास्कर
Mar 04, 2020, 03:12 PM IST
फैक्टचेक डेस्क. क्या शरीर के रंग का सम्बंध कोरोना वायरस के इलाज से है… सोशल मीडिया पर वायरल एक पोस्ट में दावा किया गया है कि कोरोनावायरस से पीड़ित एक शख्स का रंग अधिक सांवला होने के कारण इलाज सफल हो पाया है। पोस्ट में बताया गया है कि हमारा मिलेनिन (रंग के लिए जिम्मेदार तत्व) ही हमारी सुरक्षा है। लेकिन कोरोनावायरस पर रिसर्च करने वाले विशेषज्ञ का कहना है पोस्ट में किया गया दावा अब तक किसी रिसर्च में साबित नहीं हो पाया है।
क्या वायरल
- फेसबुक पर Zanomoya ka Tshatshu Mditshwa नाम के शख्स ने पोस्ट में दावा किया है कि चीन में एक छात्र को हाल में कोरोनावायरस का इंफेक्शन हुआ। उसे इलाज के बाद अस्पताल से रिलीज कर दिया गया।
- पोस्ट में एक युवा बेड पर बैठा है और एक डॉक्टर उसके साथ चीयर करते नजर आ रहा है। 11 फरवरी की इस पोस्ट को केन्या, नाजीरिया, साउथ अफ्रीका और युगान्डा में शेयर किया गया है।
- पोस्ट के मुताबिक, चीनी डॉक्टरों का दावा है कि वह इसलिए जिंदा है क्योंकि उसकी स्किन का रंग सांवला है। यह रंग गोरे लोगों के मुकाबले काफी पावरफुल है।
- फेसबुक पोस्ट में साफतौर पर सांवले रंग को सुरक्षा चक्र बताते हुए लिखा है, हमारा मिलेनिन ही हमारा सुरक्षाचक्र है। दरअसल, मिलेनिन शरीर में पाया जाने वाला खास किस्म का तत्व है जो स्किन के रंग के लिए जिम्मेदार होता है।
क्या सच
- 3 फरवरी को जारी बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, यह 21 साल का छात्र चीन के यैंगट्ज यूनिवर्सिटी में पढ़ता है। जिसे फरवरी में भर्ती कराया गया था। एक अन्य एजेंसी का कहना है कि इसका नाम पावेल डेरेल है जिसका इलाज चीन के हेनान प्रांत में स्थित एक अस्पताल में इलाज हुआ।
- चीनी एम्बेंसी ने इस छात्र के ठीक होने की पुष्टि भी की है। उनका कहना है कि 10 फरवरी को छात्र ने जब अस्पताल छोड़ा तो वह पूरी तरह स्वस्थ हो चुका था।
- इस पूरे मामले पर एक्सपर्ट ने एएफपी न्यूज एजेंसी को बताया, सांवले रंग के लोगों का वायरस के प्रति रेसिस्टेंट होने की बात झूठी है। अफ्रीका में कोरोनावायरस के मामलों की जांच करने वाले शोधकर्ता प्रो एमेड्यू अल्फा के मुताबिक तक रिसर्च में इसका कोई प्रमाण नहीं मिला है।
- प्रो एमेड्यू का कहना है कि गोरों और सांवले लोगों के शरीर में एंटीबॉडी का स्तर एक ही जैसा रहा है, इसलिए यह दावा पूरी तरह से झूठा है।