- दुनियाभर में कोरोनावायरस से संक्रमित 70 हजार मामलों की पुष्टि, 1600 से ज्यादा मौत हुईं
- चीन के शोधकर्ताओं के मुताबिक- कोरोनावायरस पैंगोलिन से चमगादड़ और इससे इंसान में पहुंचा
अंकित गुप्ता
Mar 06, 2020, 10:25 AM IST
हेल्थ डेस्क. कोरोनावायरस चमगादड़ से फैला या दूसरे जीव से, साफतौर पर भले ही यह साबित नहीं हो पाया हो लेकिन ज्यादातर रिसर्च इसकी ओर इशारा कर रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी मंगलवार को अपने बयान में यही इशारा किया। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि ऐसे सबूतों की संख्या बढ़ रही है, जो बता रहे हैं चमगादड़ में कोरोनवायरस था। बड़ा सवाल है कि दुनियाभर में ज्यादातर वायरस चमगादड़ से ही क्यों फैले? भारत में निपाह, दूसरे देशों में इबोला और रैबीज के मामलों में भी चमगादड़ के नाम पर मुहर लग चुकी है। रिसर्च स्टोरी में पढ़िए क्या है चमगादड़ का कोरोनावायरस से कनेक्शन…
थ्योरी कई, लेकिन केंद्र में चमगादड़ बरकरार
एक्सपर्ट की राय : कनेक्शन तो है सिर्फ साबित होना बाकी
अमेरिका के ऑन्टेरियो वेटरनेरी कॉलेज के प्रोफेसर स्कॉट वीज जानवरों से फैलने वाली बीमारियों पर रिसर्च कर रहे हैं। प्रोफेसर स्कॉट के मुताबिक, कोरोनावायरस का चमगादड़ से कनेक्शन तो है लेकिन यह इंसानों तक पहुंचना कैसे अब तक सामने नहीं आ पाया है। चीनी वैज्ञानिकों ने भले ही पैंगोलिन से चमगादड़ और फिर चमगादड़ से इंसान में वायरस पहुंचने की बात कही हो, लेकिन यह बात पूरी तरह साबित नहीं हो पाई है।
चीनी वैज्ञानिकों का पक्ष : पैंगोलिन से चमगादड़ में पहुंचा वायरस
अब तक वुहान में कोरोनावायरस के संक्रमण की वजह चमगादड़ और सांप को माना जा रहा था लेकिन चीनी वैज्ञानिकों ने रिसर्च में एक नया खुलासा किया है। चीन की साउथ चाइना एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कोरोनावायरस के लिए पैंगोलिन को जिम्मेदार ठहराया है। शोधकर्ता शेन योंगी और जिओ लिहुआ के मुताबिक, वायरस पैंगोलिन से चमगादड़ और इससे इंसान में पहुंचा। इसे समझने के लिए 1 हजार जंगली जानवरों के सेंपल लिए। मरीजों से लिए गए सैंपल में मौजूद कोनोरावायरस और पैंगोलिन का जीनोम सिक्वेंस (आनुवांशिक अनुक्रम) 99 फीसदी तक एक जैसा है।
डब्ल्यूएचओ का बयान : चमगादड़ से दूसरे जानवर में पहुंचा वायरस
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, इंसान सीधी तौर पर चमगादड़ के संपर्क में नहीं आते, इसलिए इसका पता लगाना और जरूरी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हो सकता है चमगादड़ ने दूसरे जानवर को संक्रमित किया हो जिससे वायरस इंसान तक पहुंचा हो।
माइक्रोबायोलॉजिस्ट का तर्क : यह कई तरह के वायरस का वाहक
टोरंटो हेल्थ साइंस सेंटर की माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ समीरा मुबारेका कहती हैं, यह पहली बार नहीं है जब इंसानों में किसी बीमारी की वजह के रूप में चमगादड़ का नाम आया है। यह कई तरह के वायरस का वाहक है जो पहले भी साबित हो चुका है। चमगादड़ की कुछ प्रजातियां रेबीज और निपाह वायरस की भी वाहक रही हैं। जुलाई 2019 में कनाडा के वैंकूवर आइलैंड में रेबीज से 23 साल के एक व्यक्ति की मौत हुई। जांच में पुष्टि हुई कि रेबीज का वाहक चमगादड़ था।
कई वायरस का समूह है कोरोनावायरस
अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, कोरोना वायरस खास किस्म के वायरस का एक समूह है जो विशेषतौर पर जानवरों में पाया जाता है। इसे वैज्ञानिक ‘जूनोटिक’ कहते हैं। इसका मतलब है दुर्लभ स्थिति में यह जानवरों से निकलकर इंसानों को संक्रमित कर सकता है। कुछ चुनिंदा कोरोनावायरस ऐसे हैं जो इंसानों के लिए काफी खतरनाक माने जाते हैं। जैसे मिडिल ईस्ट रेस्पिरेट्री सिंड्रोम (MERS) का कारण बनने वाला मेर्स वायरस। और सीवियर एक्यूट रेस्पिरेट्री वायरस (सार्स)। इसलिए आसान भाषा में कहें तो सार्स भी एक तरह का कोरोनावायरस है, लेकिन नया वायरस ज्यादा खतरनाक है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, दुनियाभर में चमगादड़ 200 से अधिक कोरोनावायरस के वाहक हैं, लेकिन चीन के वुहान से फैले कोरोनावायरस के बारे में ज्यादातर विशेषज्ञों का कहना है यह चमगादड़ (हॉर्सशू बैट) के जरिए फैला।
वायरस चमगादड़ को संक्रमित क्यों नहीं कर पाता?
चमगादड़ पर 50 साल से अधिक समय से रिसर्च कर रहे वेस्टर्न ऑन्टेरियो युनिवर्सिटी के प्रो ब्रॉक फेंटॉन के मुताबिक, चमगादड़ में एक समय में कई वायरस हो सकते हैं। यह उसकी खासियत में से एक है लेकिन वायरस उसे संक्रमित नहीं कर पाते। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर स्टीफन लुबी निपाह वायरस पर पिछले 12 साल से रिसर्च कर रहे हैं। उनका कहना है कि रात को निकलने वाले चमगादड़ के शरीर में एक विशेष प्रकार की एंटीबॉडीज पाई जाती हैं। इसी कारण से वायरस चमगादड़ को प्रभावित नहीं कर पाता। यह वायरस चमगादड़ के शरीर में सुप्त अवस्था में पड़ा रहता है, जिसे शेडिंग कहते हैं। जब चमगादड़ कोई फल खाता है या ताड़ी जैसा कोई पेय पीता है तो वायरस चमगादड़ से उन चीजों में प्रसारित हो जाता है। ये वायरस चमगादड़ के मल-मूत्र द्वारा भी दूसरे जीवों और खासतौर पर स्तनाधारियों को संक्रमित कर सकता है। संक्रमित होने पर अजीब तरह का बुखार आता है जो सही समय पर इलाज न मिलने से जानलेवा बन जाता है। 2018 में केरल में फैले निपाह वायरस का वाहक भी चमगादड़ था।
चीन में क्यों फैल रहे कोरोना वायरस के मामले
चीन की जलवायु और जैव-विविधता के कारण वहां चमगादड़ की कई प्रजाति पाई जाती हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, चीन में कई तरह के कोरोनावायरस भी मौजूद हैं। यहां आबादी बढ़ने के कारण तेजी से जंगल काटे जा रहे हैं। चमगादड़ों के लिए रहने की जगह घट रही है, धीरे-धीरे ये इंसानों के करीब पहुंच रहे हैं और संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। चीन में जानवरों में चमगादड़ और सांप जैसे जीवों का मांस और सूप पीने का भी चलन है। मामलों के बढ़ने की एक वजह ये भी है। हाल ही में चीन में एक लिस्ट वायरल हुई थी, जिसमें वुहान के बाजार में जानवरों से तैयार होने वाले उत्पादों की कीमतें लिखी थीं। लिस्ट में लोमड़ी, मगरमच्छ, भेड़िए के बच्चे, सांप, चूहे, मोर, ऊंट के मांस समेत 112 जानवरों से बने उत्पादों का जिक्र था।
कब-कब चमगादड़ से फैले वायरस
- 2002 में चमगादड़ से फैले सार्स से दुनियाभर में 774 मौते हुईं। सार्स वायरस पहले चमगादड़ से बिल्ली और इससे इंसानों तक पहुंचा।
- 2018 में केरल में निपाह वायरस का वाहक भारतीय फलभक्षी चमगादड़ था, इससे 17 मौतें हुई थीं।
- इसके अलावा इबोला, रैबीज, हेंद्र और मारबर्ग वायरस के मामलों में भी वाहक चमगादड़ ही था।
महिला-पुरुष में से किसे ज्यादा खतरा
हाल ही में कोरोनवायरस के संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले पुरुषों में पाए गए हैं। चीन की वुहान यूनिवर्सिटी ने इस पर रिसर्च भी की है। वुहान यूनिवर्सिटी के हॉस्पिटल में रिसर्च के दौरान 52 फीसदी पुरुष कोरोनावायरस से संक्रमित पाए गए। हॉस्पिटल में मरीजों के आंकड़ों पर गौर किया तो सामने आए कुल भर्ती मरीजों में 68 फीसदी पुरुष थे। शोधकर्ताओं के मुताबिक, पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की रोगों से लड़ने की क्षमता यानी इम्युनिटी ज्यादा होती है। चीन में सार्स वायरस के संक्रमण के दौर में भी 55 साल तक के पुरुषों में मामले अधिक देखे गए थे।
डब्ल्यूएचओ ने कोरोनावायरस का नाम कोविड-19 रखा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंगलवार को नोवेल कोरोनावायरस का नया आधिकारिक नाम ‘कोविड-19’ रखा। को- कोरोना, वि- वायरस और डी का मतलब डिजीज है। चीन के हेल्थ कमीशन ने 8 फरवरी को कोरोनावायरस का नाम बदलकर नोवेल कोरोनावायरस निमोनिया (एनसीपी) कर दिया था।